काला धन तो जैसे हमारी पूरी राजनीतिक व्यवस्था का मुंह काला करने पर आमादा है। आए दिन ऐसे-ऐसे खुलासे होते रहते हैं कि उससे हर आम भारतीय का चौंकना स्वाभाविक है। देश के कारोबारी, नवधनाढ्य, राजनेता, उद्यमी, अभिनेता, अधिकारी, खिलाड़ी, लगभग हर वर्ग के अनेक लोगों के पास अथाह कालाधन आज भी तरह-तरह के गैरकानूनी उपायों से बचा हुआ है।
देश को इससे निजात दिलाने के लिए है पिछले साल आठ नवंबर को केंद्र सरकार ने नोटबंदी की जंग शुरू की थी, जिससे हर खासोआम विचलित हो उठा, और जिसके प्रभाव से आज भी लोग मुक्त नहीं हो सके हैं। आगामी 8 नवंबर को नोटबंदी का एक साल पूरा होने जा रहा है।
उस दिन विपक्ष ने नोटबंदी को 'सदी का सबसे बड़ा घोटाला' करार देते हुए काला दिवस मनाने की घोषणा की है तो भाजपा ने ऐलान किया है कि वह 'कालाधन विरोधी दिवस' मनाएगी। विपक्ष का दावा है कि नोटबंदी के कारण अर्थव्यवस्था एवं नौकरियों को नुकसान पहुंचा है।
काला धन तो जैसे हमारी पूरी राजनीतिक व्यवस्था का मुंह काला करने पर आमादा है। आए दिन ऐसे-ऐसे खुलासे होते रहते हैं कि उससे हर आम भारतीय का चौंकना स्वाभाविक है। देश के कारोबारी, नवधनाढ्य, राजनेता, उद्यमी, अभिनेता, अधिकारी, खिलाड़ी, लगभग हर वर्ग के अनेक लोगों के पास अथाह कालाधन आज भी तरह-तरह के गैरकानूनी उपायों से बचा हुआ है। देश को इससे निजात दिलाने के लिए है पिछले साल आठ नवंबर को केंद्र सरकार ने नोटबंदी की जंग शुरू की थी, जिससे हर खासोआम विचलित हो उठा, और जिसके प्रभाव से आज भी लोग मुक्त नहीं हो सके हैं। आगामी 8 नवंबर को नोटबंदी का एक साल पूरा होने जा रहा है। उस दिन विपक्ष ने नोटबंदी को 'सदी का सबसे बड़ा घोटाला' करार देते हुए काला दिवस मनाने की घोषणा की है तो भाजपा ने ऐलान किया है कि वह 'कालाधन विरोधी दिवस' मनाएगी। विपक्ष का दावा है कि नोटबंदी के कारण अर्थव्यवस्था एवं नौकरियों को नुकसान पहुंचा है।
इस बीच अमेरिका के पैराडाइज पेपर्स ने दुनिया के कई धनाढ्यों और सदी के नायक कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन समेत कई बड़ी हस्तियों के विदेशों में निवेश का खुलासा कर दिया है। इस खुलासे से पता चला है कि अभिनेता बच्चन समेत 714 भारतीयों ने टैक्स हेवंस कंट्रीज में निवेश किया है। गौरतलब है कि कुछ वक्त पहले बच्चन का नाम पनामा पेपर्स में भी आया था। पैराडाइज पेपर्स की रिपोर्ट में 180 देशों को शामिल किया गया है, इसमें शामिल नामों के लिहाज से भारत 19वें पायदान पर है। उधर, केंद्रीय निर्वाचन आयोग के मुताबिक भारत में रिकॉर्ड 1,900 राजनैतिक दल रजिस्टर्ड हैं, जिनमें से 400 से ज़्यादा ने तो कभी चुनाव लड़ा ही नहीं है, इसलिए मुमकिन है कि इन दलों का इस्तेमाल काले धन को सफेद बनाने के लिए किया जा रहा है।
केंद्रीय निर्वाचन आयुक्त नसीम ज़ैदी बता चुके हैं कि काला धन छिपाने वाली पार्टियों के नाम अपनी सूची से काटने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। नाम सूची में से काट दिए जाने पर वे पार्टियां आयकर छूट पाने के अयोग्य हो जाएंगी। केंद्रीय चुनाव आयोग ने राज्यों के मुख्य निर्वाचन आयुक्तों से कहा है कि वे अपने पास रजिस्टर्ड उन सभी राजनैतिक पार्टियों की सूची भेजें, जिन्होंने कभी चुनाव नहीं लड़ा है। राज्य आयोगों से इन पार्टियों द्वारा हासिल किए गए चंदे की जानकारी भी मांगी गई है। आयोग छंटाई का यह काम अब हर साल करेगा।
कालाधन को लेकर इस दौरान एक और ताजा झमेला ऑनलाइन सेवा प्रदाता कंपनियों ऐपल, गूगल, एमेजॉन, माइक्रोसॉफ्ट आदि पर जनरल एंटी-अवॉइडेंस रूल्स (गार) का शिकंजा कसने का सामने आ रहा है। ऐसी ऑनलाइन कंपनियां हमारे देश की भी फ्लिपकार्ट, स्नैपडील आदि हैं जिन्होंने भारत से बाहर अपनी बौद्धिक संपदा का पंजीकरण नहीं कराया है। टैक्स की चोरी और काले धन पर रोकथाम के लिए बनाया गया 'गार', नियमों का एक ऐसा समूह है, जिन्हें लागू करने के पीछे सरकार का एक ही लक्ष्य है कि जो भी विदेशी कंपनियाँ भारत में निवेश करें, वे यहाँ के तय नियमों के मुताबिक कर अदा करें। गार नियम मूल रूप से प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) 2010 में प्रस्तावित है और तत्कालीन वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने आम बजट 2012-13 को प्रस्तुत करते समय गार के प्रावधानों का उल्लेख किया था। लेकिन बाद में इन नियमों को लेकर उठे विवादों से बचने के लिए इसे स्थगित कर दिया गया और पार्थसारथी शोम की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गयी। आम बजट 2016-17 प्रस्तुत करने के दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गार नियमों को 1 अप्रैल, 2017 से लागू करने की घोषणा की थी।
अब ऑनलाइन सेवा प्रदाता वे कंपनियां स्वयं से सम्बंधित मामलों को लेकर 'गार' पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए अगले सप्ताह वित्त मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात करने वाली हैं, जिनकी वेबसाइटें भारत से बाहर किसी देश में पंजीकृत हैं। हाल में ही बेंगलूरु आयकर अपीलीय पंचाट ने अपने एक आदेश में गूगल इंडिया को 1,457 करोड़ रुपये की आय पर कर भुगतान करने के लिए कहा था। गूगल की भारतीय इकाई ने गूगल एडवड्र्स से संबंधित मामले में यह रकम आयरलैंड इकाई को स्थानांतरित की थी। 'गार' के नियमानुसार इन डिजिटल कंपनियों के विज्ञापन राजस्व को रॉयल्टी भुगतान माना गया है। यदि उसका नियमतः भारत सरकार को भुगतान नहीं किया जाता है तो उसे भी एक बड़ा काला धन संग्रहण माना जाएगा। 'गार' का उद्देश्य है, कर चोरी को रोक कर सरकारी राजस्व में वृद्धि की जाए। कालेधन की बचत का यह गैर कानूनी खेल भारत में ही नहीं चल रहा है, बल्कि पूरी दुनिया में कंपनियां अपने व्यापार और निवेश की संरचना इस तरह कर रही हैं कि वह टैक्स चोरी कर सकें। सरकार का मानना है कि भारत में हर किसी को अपनी आमदनी पर टैक्स देना पड़ता है, ऐसे में विदेशी कंपनियों को छूट नहीं दी जा सकती।
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