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एजुस्पोर्टस के माध्यम से स्कूली बच्चों को शारीरिक शिक्षा और खेलों के प्रति जागरुक करते सौमिल मजूमदार

तीन वर्षों तक विप्रो में नौकरी करने के बाद 1998 में लर्न@होम के साथ उद्यमिता की दुनिया में रखा कदमवर्ष 2013 में स्वास्थ्य और फिटनेस से संबंधित बाजार को लक्षित करते हुए स्पोर्टसविलेज की की स्थापनावर्तमान में 4 देशों के 100 से भी अधिक शहरों के 400 स्कूलों के 3.5 लाख बच्चे ले रहे हैं फायदास्कूलों से 150 से 200 रुपये प्रतिबच्चा प्रतिमाह वसूलते हैं सेवा देने के बदले

एजुस्पोर्टस के माध्यम से स्कूली बच्चों को शारीरिक शिक्षा और खेलों के प्रति जागरुक करते सौमिल मजूमदार

Thursday October 15, 2015 , 5 min Read

करीब तीन वर्षो तक विप्रो के साथ एक मार्केटिंग एक्ज़ीक्यूटिव के रूप में काम करने के बाद सौमिल मजूमदार ने वर्ष 1998 में लर्न@होम (Learn@Home) के साथ व्यापार की दुनिया में कदम रखा जो एक व्यक्गित कंप्यूटर प्रशिक्षण से संबंधित काम था। इसके कुछ समय बाद जून 1999 में उन्होंने एक और उद्यम क्यूसपोर्ट (QSupport) की स्थापना की।

सौमिल क कहना है कि क्यूसपोर्ट अमरीका में बैठे पीसी और इंटरनेट उपभोक्तओं को रिमोट द्वारा तकनीकी सहायता उपलब्ध करवाने वाली कुछ प्रारंभिक कंपनियों में से एक थी। उद्यमिता के प्रति जुनून ने उन्हें जून 2013 में स्पोर्टसविलेज (SportzVillage) की स्थापना के लिये प्रेरित किया। स्पोर्टसविलेज भारत में उभरते हुए खेलों और स्वास्थ्य और फिटनेस से संबंधित बाजार पर अपना ध्यान केंद्रित करता है। और इस तरह से उन्होंने एक क्रमिक (सीरियल) उद्यमी के रूप में खुद को स्थापित किया।

एजुस्पोर्टस (EduSports) का सफर

एजुस्पोर्टस को प्रारंभ करने का विचार सौमिल के मस्तिष्क में तब आया जब एक दिन उनके मित्र ने उनका ध्यान इस ओर दिलाया कि उनका 6 वर्षीय बेटा शारीरिक गतिविधियों से मुंह चुराता है और वह अपना अधिकतर समय टीवी और कंप्यूटर के सामने बैठकर गुजारता है। कई दिनों के कठिन प्रयासों के बाद भी उनका मित्र इस प्रकार के मुद्दों को हल करने में सक्षम उचित सामाजिक माध्यमों की तलाश करने में असफल रहा।

स्पोर्टसविलेज के माध्यम से सौमिल बच्चों, स्कूलों, कंपनियों, विभिन्न ब्रांडों, खेल टिकट, सामान और परामर्श उपलब्ध करवाने वालों के संपर्क में रह चुके थे। और 2003 से लेकर 2009 तक के 6 वर्षों के अपने व्यापक अनुभव और सीख के सहारे उन्होंने खेल को प्रत्येक बच्चे की शिक्षा और परवरिश का एक अभिन्न अंग बनाने के दृष्टिकोण के साथ जनवरी 2009 में एजुस्पोर्टस की स्थापना की।

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एक लाभदायक और आगे बढ़ने वाले व्यापार का माॅडल तैयार करने के क्रम में सौमिल ने कई परोक्ष बी2सी माॅडलों को बनाने के कई तरीकों पर काम किया। इसके बाद उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि बच्चों को खेलों के जादू रूबरू करवाने के लिये स्कूलों से बेहतर साझेदार और कोई नहीं हो सकता।

वर्ष 2010 मे जब सीडफंड ने एजुस्पोर्टस में 7.5 करोड़ रुपये का निवेश किया तब इस स्टार्टअप की झोली में सिर्फ 10 स्कूल ही थे। आज 550 कर्मचारियों के साथ एजुस्पोर्टस चार देशों के 100 से भी अधिक शहरों में 400 के करीब स्कूलों के 3.5 लाख से अधिक बच्चों के साथ जुड़ा हुआ है।

सौमिल कहते हैं, ‘‘संचालन के स्तर पर अगर हम देखें तो हमारे पास दोबारा आने वाले उपभोक्ताओं की दर 90 प्रतिशत से भी अधिक है और हमें विभिन्न मंचों से भी कई पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। हमनें भारत के अलावा नेपाल, यूएई और कतर के करीब 400 स्कूलों के साथ हाथ मिलाया है। हम प्रतिवर्ष अपने साथ 100 स्कूलों को जोड़ रहे हैं और हमें उम्मीद है कि आने वाले समय में इस दर में और वृद्धि होगी।’’

हम बच्चों को खेलने का मौका देते हैं!

एजुस्पोर्टस बच्चों के मानसिक और व्यवहारिक कौशल के साथ शारीरिक कंडीशनिंग के विकास के लिये एक शैक्षणिक उपकरण के रूप में संरचित शारीरिक गतिविधियों और खेलों का बखूबी उपयोग करते हैं। एजुस्पोर्टस के कार्यक्रम विभिन्न डिजाइन सिद्धांतों पर आधारित होते हैं जिनमें आयु की उपयुक्तता, सभी बच्चों को व्यस्त रखने के लिये पर्याप्त उपकरण, मूल्यांकन की प्रक्रिया जहां प्रत्येक बच्चे का आंकलन किये जाने के अलावा उसके कौशल और फिटनेस के मापदंडों को परखा जाता है और स्वस्थ और फिट बच्चों को तैयार करने की प्रक्रिया में उनके माता-पिता को भी जोड़ा जाता है।

उनके कार्यक्रम में डेली लैसन प्लान्स को सीबीएसई, आईसीएसई, आईबी, इत्यादि जैसे विभिन्न बोर्डों के हिसाब से अनुपालन में प्रारंभिक कक्षाओं से लेकर ऊंची कक्षाओं के हिसाब से ढाला गया है और उसी के अनुसार उपयुक्त पाठ्यक्रम भी तैयार किया गया है।

सौमिल कहते हैं, ‘‘हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि स्कूलों के शिक्षक और अभिभावक बच्चों के सर्वांगीण विकास में शारीरिक शिक्षा के महत्व को समझें ताकि वे बच्चों का समर्थन कर सकें। इसीलिये हम विभिन्न कार्यशालाओं का आयोजन करते रहते हैं जहां बच्चों को शारीरिक गतिविधियों और खेलों में शामिल किया जाता है। हमें उम्मीद है कि अगर हम अभिभावकों और शिक्षकों को दोबारा खेलों के जादू से रूबरू करवा सकें तो वे अपने बच्चों को प्रोत्साहित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।’’

व्यापार माॅडल

स्कूल अपनी समयसारिणी में एजुस्पोर्टस को शामिल करते हैं और ऐसे में एजुस्पोर्टस स्कूलों द्वारा बच्चों को प्रदान किये जाने वाले समग्र शैक्षिक अनुभव का एक हिस्सा बन जाती है। स्कूल बच्चों की फीस में से ही मासिक रूप से एजुस्पोर्टस को भुगतान करते हैं। सौमिल स्पष्ट करते हुए बताते हैं, ‘‘स्कूल बच्चों की पढ़ाई के बदले उनके माता-पिता से वसूली जाने वाली फीस में से ही हमें भुगतान करते हैं। आमतौर पर यह रकम प्रतिबच्चा प्रतिमाह 150 से 200 रुपये के बीच रहती है (500 बच्चों के आधार पर)। स्कूलों के कार्यक्रमों में जहां स्कूल हमें प्रति बच्चे के आधार पर भुगतान करते हैं हम खेल आधारित ईवेंटों, वर्कबुक्स, स्कूल के बाद के कार्यक्रमों, समर कैंप्स, इत्यादि का भी आयोजन करते हैं।

विस्तार की योजनाएं

इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि 1500 रुपये प्रतिमाह की ट्यूशन फीस लेने वाले करीब 1500 निजी स्कूल मौजूद हैं इनका इरादा आने वाले 48 महीनों में 1000 स्कूलों को अपने साथ जोड़ते हुए एक मिलियन बच्चों को खेलों के जादू ये रूबरू करवाना है।

हाल ही में एजुस्पोर्टस ने विकास के नए अवसरों की तलाश में और अपने मौजूदा कारोबारी ढांचे को विस्तार देने के क्रम में गाजा कैपिटल से 10 मिलियन डाॅलर का निवेश पाने में सफलता पाई है।

निश्चय के भाव के साथ सौमिल कहते हैं, ‘‘हमारा पाठ्यक्रम पूर्णतः हमारे द्वारा ही भारतीय बच्चों और भारतीय स्कूलों के संदर्भ को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है क्योंकि यह सीमित समय और सीमित स्थान का होता है। हमनें कार्यक्रम की निरंतर निगरानी करने के अलावा उसकी गुणवत्ता को बनाए रखने के लिये एक मजबूत प्रौद्योगिकी आधारित माॅडल और प्रक्रियाओं में निवेश किया है।’’

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