Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

सामाजिक बंदिशों को तोड़कर रज़िया बेगम ने लिखी कामयाबी की नयी कहानी

कई लड़कियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनी रजियासामाजिक बंदिशों को तोड़कर तय किया सफरधुन की पक्की रजिया बनी टीम लीडरचुनौतियों का सामना करना अब इनकी बन चुकी है आदत

सामाजिक बंदिशों को तोड़कर रज़िया बेगम ने लिखी कामयाबी की नयी कहानी

Saturday March 14, 2015 , 4 min Read

अल्पसंख्यक समुदाय की एक लड़की जिसने बचपन में ही अपने पिता को खो दिया हो, जिन्हें शुरू से ही जो अपने भाईयों पर आश्रित रहना पड़ा हो, उनके लिये स्टेजि़ला जैसे आॅनलाइन बाजार में काम करना और बुलंदियों को छूना कोई आसान काम नहीं था। लेकिन सभी सामाजिक बंदिशों को तोड़कर रज़िया बेगम ने जो कर दिखाया उसके बाद वह सैंकड़ों लड़कियों के लिये प्रेरणास्त्रोत बनकर सामने आई है।

रूढि़वादी और पुराने ख्यालात वाले परिवार से आने वाली रज़िया के लिए शिखर तक का सफर इतना आसान नहीं था। परिवार में आर्थिक तंगी के बावजूद उनके परिजन उन्हें हमेशा हतोत्साहित करते रहे और उनके काम करने पर बंदिशें लगी रहीं।

रज़िया के बारे में बात करते हुए स्टेजिला की सीओओ रूपल योगेंद्र की आंखों में चमक आ जाती है और वह बताती हैं कि रज़िया हमारी कंपनी से शुरुआत से जुड़ी हैं और उनका जोश, ऊर्जा और काम करने का तरीका हमारी कंपनी के बारे में बताने के लिये काफी है।

image


रूपल बताती हैं कि, ‘‘रज़िया औरों से बिल्कुल अलग है क्योंकि उसके अंदर कार्य के दौरान सामने आने वाली परेशानियों और चुनौतियों से निबटने का जो जज़्बा है वह उसे दूसरों से काफी आगे खड़ा कर देता है और यही जज़्बा उसकी सफलता का मूल मंत्र है।’’

स्नातक की डिग्री लेने के बाद रज़िया को परिवार के दबाव के आगे झुकना पड़ा और उन्हें लगभग 6 महीने तक घर पर बैठकर अपना समय व्यतीत करना पड़ा। लेकिन धुन की पक्की रज़िया ने हार नहीं मानी और घर बैठकर भी वह हर बाधा को पार कर जिंदगी में सफल होने के बारे में ही सोचती रहीं। इसी दौरान उसकी बहन ने उसे स्टेजिला के बारे में बताया और उसनें वहाँ आकर साक्षातकार दिया जिसमें सफल होकर उसे यहां नौकरी मिल गई।

चूंकि यह रज़िया की पहली नौकरी थी और उन्हें काम करने का कोई अनुभव नहीं था इसलिये शुरुआत में उन्हें काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। काम के आरंभिक दिनों के बारे में याद करते हुए रज़िया बताती हें कि उन्होंने वर्ष 2005 में नौकरी करनी शुरू की थी और उसके बाद उनकी जिंदगी का सफर काफी झंझावतों से गुजरा। इस दौरान उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला और वे लगातार सफलता की सीढि़यां चढ़ती रहीं।

रज़िया आगे जोड़ती हैं कि आरंभिक दौर में उन्हें सरल गणना करने और डाटा एंट्री जैसा काम भी काफी मुश्किल लगता था और प्रारंभिक दौर में ही उन्होंने कई बार नौकरी छोड़ने का विचार भी बना लिया था। रजिया कहती हें कि आज वह जो कुद भी हैं उसके पीछे रूपल का हाथ है क्योंकि उस दौर में वह रूपल ही थीं जिन्होंने उन्हें हिम्मत नहीं हारने का हौसला दिया और उन्हें खुद पर यकीन रखने को कहा।

रूपल के बारे में बताते हुए रज़िया कहती हैं कि उस दौर में रूपल नें उन्हें काम करते रहने की सलाह देते हुए समझाया था कि अगर उन्हें जिंदगी में किसी मुकाम को पाना है तो उन्हें इस काम को एक चुनौती की तरह लेना होगा और उन्हें जो भी सीखना है वह कंपनी के उनके साथी उन्हें सिखाएंगे।

शुरूआती दौर में काम छोड़ने के बारे में सोचने वाली रज़िया ने इस चुनौती को स्वीकार किया और आज वह इस मुकाम पर हैं कि वह दूसरों को टीम लीडर बनने के गुर सिखाती हैं। आज रज़िया स्टेजिला में टीम लीडर के रूप में काम कर रही हैं और वह अपनी टीम में शामिल कर्मचारियों को अपने उद्देश्यों को पूरा करने और ग्राहको से संबंधित परेशानियों से निबटने के गुर सिखा रही हैं।

रज़िया आगे जोड़ती हैं कि उन्हें अपने काम से प्यार है और उन्हें लोगों के साथ और उनके लिये काम करने में मजा आता है। सामने आने वाली नित नई चुनौतियों से निबटना और पार पाना अब उनके लिये दांये हाथ का खेल है और शायद यही उनकी सफलता का सबसे बड़ा राज है।

आज रजिया आर्थिक रूप से संपन्न हैं और अपने पति और तीन साल के बच्चे के साथ खुशहाल जिंदगी बसर कर रही हैं। इसके अलावा वे अब भी अपनी माँ की सहायता करने से पीछे नहीं हटती हैं।

रज़िया का कहना है कि उन्होंने अबतक की जिंदगी से यही सीखा कि हर किसी को जिंदगी के प्रारंभिक दौर में कुछ न कुछ काम ज़रूर करना चाहिये क्योंकि इससे आपको आत्मनिर्भर होने में सहायता मिलती है और आप अपनी जिंदगी को जीने का नज़रिया बदल लेते हैं।

मूल- तनवी दुबे