8 साल बाद कहां खड़ी हैं 'लोला कुट्टी' की अनु मेनन? क्या फिर दिखेगा 'लोला कुट्टी' का जलवा
21वीं सदी की शुरुआत में बड़े हुए किसी भी व्यक्ति को चैनल वी पर आने वाले एक विचित्र, साड़ी पहना कैरेक्टर लोला कुट्टी तो याद ही होगा। कांजीवरम साड़ी, बालों में गजरा, चेहरे पर बड़ी सी बिंदी और चश्मा लगाए हुए ये कैरेक्टर हर किसी को याद होगा। 'आई एम लोला कुट्टी। आउट ओन छुट्टी। ओह, व्हाट ए फन डे। इट्स संडे।' ये लाइन लोला कुट्टी के नाम से प्रसिद्ध है। अपने ट्रेडमार्क मलयाली लहजे में गाए इस गाने ने अनुराधा मेनन को प्रतिष्ठित स्थिति तक पहुंचा दिया था जब तक कि उनका ये शो 2011 में समाप्त नहीं हो गया। आठ साल हो गए हैं, और लोग लोला कुट्टी को अभी भी नहीं भूले हैं। अब जब अनु स्टैंडअप सर्किट कर रहीं है, तो उनके लोला अवतार से उसकी तुलना तो स्पष्ट है। मंच पर उनके पहले स्टैंड-अप एक्ट के बाद लोगों की एक ही प्रतिक्रिया थी, "ओह, आप बिल्कुल भी लोला की तरह नहीं दिखीं!"
स्टैंड-अप एक्ट
अनु मेनन के साथ बातचीत करना भी एक स्टैंड-अप एक्ट की ही तरह है। उनका स्टैंड-अप एक्ट असभ्य होने का ठप्पा नहीं लगाता है और न ही उसे गाली करार दिया जाता है। इसके बजाय, उनका स्टैंड-अप एक्ट जीवन में रोजमर्रा की घटनाओं पर सूक्ष्म हास्य होता है, जिसमें उनकी सास के साथ बिताए उनका खुद का जीवन भी शामिल है।
वे कहती हैं, “मेरा स्टैंड-अप एक्ट बहुत अच्छा काम कर रहा है। मैं छोटे ग्रुप्स के सामने भी परफॉर्म करती हूं। लेकिन YouTube पर मुझे अपनी सास के वीडियो पर जितने भी ईमेल मिले हैं, वे मनोरंजक हैं। वे मुझे एक आधुनिक, निराश महिला कहते हैं। हालांकि मेरी सास को इससे कोई दिक्कत नहीं हैं और मेरे सभी शो देखती हैं। वैसे भी न्यूयॉर्क के लिए उनके टिकट मैं ही खरीदती हूं।" हम जानते हैं कि भारतीय स्टैंड-अप सीन में बहुत कम महिला कॉमिक्स हैं। हालांकि अनु कहती हैं कि महिलाएं अब स्टैंड-अप में पहुंच रही हैं।
महिला कॉमिक्स की दुनिया
अनु आगे कहती हैं, “पुरुष और महिला कॉमेडियन के बीच मूल अंतर यह है कि महिलाएं अपनी कॉमेडी के साथ कहीं अधिक पर्सनल होती हैं। मैं ऐसे लोगों को एडमायर करती हूं जो राजनीतिक चुटकुले बना सकते हैं, लेकिन मेरे चुटकुले अधिकतर डेली लाइफ से जुड़े हुए होते हैं और शायद यही कॉमेडी है, है न?"
महिला कॉमिक्स पर अटैक को लेकर अनु को लगता है कि यह अनुचित है। वे ऑफ-कलर जोक्स कैसे बना सकती हैं? वे मंच पर कैसे अभद्र शब्द का उपयोग कर सकती हैं? लेकिन एक पुरुष के लिए ऐसा करना ठीक है। वे कहती हैं, "मुझे लगता है कि हम एक ऐसे चरण में हैं, जहाँ हर कोई, महिला और पुरुष, दोनों इस बात की कसौटी पर कसे जा रहे हैं कि क्या करना है, कैसे व्यवहार करना है। मुझे लगता है कि पुरुषों को पता ही नहीं है कि दरवाजा खोलना है या नहीं, बिल का भुगतान करना है या नहीं। उन पर भी उतना ही कुठाराघात और हमला किया जाता है। अगर ऐसा हो रहा है कि यह पुरुषों की पीढ़ी की संपार्श्विक क्षति (collateral damage) है, तो मैं कहूंगी कि इसे आने में लंबा समय लग गया।”
अपने स्टैंड-अप एक्ट्स के बीच, उन्होंने आईपीएल के लिए ईएसपीएनक्रिकइंफो के एक खास शो में भी काम किया है, और TLC पर क्वींस बनाम किंग्स जैसे कॉमेडी शो में भी काम किया। इन सबके अलावा, वह अपने पहले प्यार, रंगमंच (थिएटर) से दूर कभी नहीं भटकी, जहाँ से उनके सुपरस्टारडम की यात्रा शुरू हुई थी।
लोला को जीना
आठ साल के बाद, क्या लोला कुट्टी अभी भी आपके लिए एक टफ एक्ट है? वे कहती हैं, "बेशक, एसोसिएशन अभी भी बनी हुई है। आपको पता है, लोगों का मानना था कि वह एक रियल पर्सन है, एक जीवित, सांस लेने वाला इंसान है और आज भी उनका यही मानना है, बहुत सारे लोगों को नहीं पता कि मैं एक्टिंग कर रही थी। मेरे स्टैंड-अप एक्ट का एक वीडियो YouTube पर जारी किए जाने के बाद, एक महिला ने मुझे यह कहते हुए लिखा कि वह मुझसे बहुत नाराज़ थी।”
उस घटना को याद करते हुए वह हंसती है और कहती हैं, “महिला ने कहा कि 'आपने मेरा पूरा बचपन चकनाचूर कर दिया है। हम सभी लोला से प्यार करते हैं और अब आप कुछ अच्छे कपड़े पहने हुए, स्पष्ट व्यक्ति हैं, आपने मेरा बचपन छीनकर उसे कचरे में फेंक दिया है।' यह थोड़ा नाटकीय था।”
लोला कुट्टी का जन्म
दरअसल जिस घटना के चलते लोला कुट्टी का जन्म हुआ वह उस कैरेक्टर से ज्यादा नाटकीय नहीं है। अनु का जन्म और पालन-पोषण चेन्नई में उन माता-पिता ने किया था जो विज्ञापन व्यवसाय में थे। इसलिए हर किसी को लगा कि अनु ऐसा कैरेक्टर करना स्वाभाविक है। एक शांत और शर्मीली बच्ची, मात्र 14 साल की उम्र में मंच पर छा गई थी। उसकी माँ ने उसे सलाह दी कि अगर वह थिएटर में दिलचस्पी रखती है तो उसे विदेश में रहना चाहिए। उन्होंने ड्रामा में मास्टर के लिए लंदन को चुना, लेकिन योजना भारतीय मनोरंजन उद्योग के केंद्र मुंबई में वापस जाने की थी।
वह कहती हैं, "मुझे लगा कि मैं टेलीविजन जॉब करूंगी, जिससे मेरी थिएटर की आदत को खत्म न हो, क्योंकि मेरे जैसा कोई थियेटर के बिना नहीं रह सकता।" अनु कई लोगों से मिलीं और चैनलों के चक्कर काटे। वे कहती हैं, "एक बार एक शख्स ने मुझसे कहा की, 'आप अलग हैं, आप थिएटर करती हैं, आपके पास एक खास एक्सेंट है, आपके पास महिला होने का एडवांटेज भी है, आपको बस किसी पैसे वाले से शादी करनी चाहिए, उसकी जगह आपके लिए नहीं है।' तब मुझे लगा कि अब मेरा क्या होगा, अभिषेक बच्चन की तो पहले से ही हो गई, अब मुझे क्या करना चाहिए? मुझे अब इसे अपने दम पर बनाने का रास्ता खोजना होगा।”
चैनल [V] के हेड से मिलना एक महत्वपूर्ण मोड़ था। उन्हें ऑडिशन देने और फिर बतौर क्रिएटिव रिसर्चर के रूप में टीम के साथ घूमने के लिए कहा। वे बताती हैं, “सारी बकबक दक्षिण भारतीयों के ही इर्दगिर्द होती थी, वे हमें मद्रासी कहते थे। ऊपर से काफी नटखटपन ने लोला कुट्टी के कैरेक्टर को जन्म दिया। उस समय चैनल [V] की एक कूल इमेज थी और वे इस कैरेक्टर के साथ एक बड़ा जोखिम ले रहे थे। लेकिन इसका उन्हें लाभ मिला।"
मिस कूल एंड क्विर्की
लोला कुट्टी अपने स्वैगर, मल्लू उच्चारण और विचित्र, मजेदार लाइनों के साथ छा गई। जल्द ही, वह मशहूर हस्तियों का साक्षात्कार लेने लगीं, जिसने शो को और भी बड़ा हिट बना दिया। लोला के रूप में, अनु "आम व्यक्ति का प्रतिनिधि" थीं और वह हमेशा कैरेक्टर में घुसी रही। वह आगे कहती हैं, "एक्टर्स अपने गार्ड को नीचे ही छोड़कर आते थे, उन्हें लगता था कि वे लोला के साथ फ्लर्ट करेंगे, वे मुझे ले जाएंगे और मुझे घुमाएंगे। मैंने हमेशा अपने कैरेक्टर के रूप में ही रिएक्ट किया। हर कोई जो शो पर आया उसने खूब एंजॉय किया।”
तो क्या लोला फिर जिंदा होगी? इस पर वे कहती हैं, "मेरी माँ कहती थी, 'लोला अच्छी है लेकिन अनु बेकार है'। उसने पूरी एक पीढ़ी का प्रतिनिधित्व किया। अगर हमें अब लोला को फिर से लाना है तो, तो हमें वेब पर जाना होगा। मैं वापस आऊंगी, अगर अमेजॉन मुझे ऐसा करने के लिए पर्याप्त पैसा देता है तो। तो फिर लोला पहले से अलग कैसे होगी? वे कहती हैं, "मुझे नहीं लगता कि इसमें बहुत अंतर होगा। लेकिन वह अधिक जागरूक होगी। हम एक सोशल मीडिया विस्फोट के बीच में हैं इसलिए मैं कहूंगी कि वह ट्विटर और इंस्टाग्राम पर एक स्टार होगी! "
भविष्य की योजनाओं के बारे में अनु कहतीं है कि आगे की कोई नहीं जानता। वे कहती हैं, "मुझे पता नहीं है कि क्या ऑफर मेरे रास्ते में आएंगे या छीन लिए जाएंगे। मुझे निश्चित तौर पर रिजेक्शन का भी सामना करना पड़ेगा लेकिन इससे प्रभावित नहीं होना चाहिए। मेरे पास यह पूरी जिंदगी है, पति आधे साल से समुंद्र में हैं और मैं अपने बेटे को अकेले ही पाल-पोस रही हूं। कुछ स्तरों पर, मुझे संतुलन बनाए रखने की जरूरत है।” फिलहाल, अनु मेनन के लिए लाइफ अभी बहुत अच्छी रही है। लेकिन हम लोला कुट्टी के लिए इंतजार कर सकते हैं कि वह सोशल मीडिया के प्रभुत्व वाले ब्रह्मांड में फिर से अपनी उपस्थिति बना सके, जिसमें पहले से ही टीवी का अच्छा आकर्षण था।
यह भी पढ़ें: कॉलेज में पढ़ने वाले ये स्टूडेंट्स गांव वालों को उपलब्ध करा रहे साफ पीने का पानी