एडटेक स्टार्टअप Vidyakul ने ‘प्रोजेक्ट सरस्वती’ के तहत 10 लाख ग्रामीण लड़कियों को शिक्षित किया
इस पहल के तहत अब तक उन समुदायों की लड़कियों को हाइ स्कूल शिक्षा पूरी करने में समर्थ बनाया जा चुका है जो अन्यथा बाल श्रम या कम उम्र में शादी के चलते स्कूली शिक्षा अधूरी छोड़ चुकी होतीं.
हाइलाइट्स
Vidyakul ने 2023 में ‘प्रोजेक्ट सरस्वती’ को लॉन्च किया था
लॉन्च के एक साल के भीतर 10 लाख लड़कियों को सशक्त बनाया
2026 तक देश भर में 70-80 लाख लड़कियों को सशक्त बनाने की योजना
यह पहल भारत सरकार के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान को और आगे बढ़ाएगी
भारत में स्टेट बोर्ड पर केंद्रित सबसे बड़े एडटेक स्टार्टअप्स में से एक विद्याकुल (
) ने उत्तर प्रदेश, बिहार और गुजरात में अपनी ‘प्रोजेक्ट सरस्वती’ पहल के जरिए 10 लाख लड़कियों को शैक्षिक स्तर पर सशक्त बनाने की उपलब्धि हासिल की है. इस पहल के तहत अब तक उन समुदायों की लड़कियों को हाइ स्कूल शिक्षा पूरी करने में समर्थ बनाया जा चुका है जो अन्यथा बाल श्रम या कम उम्र में शादी के चलते स्कूली शिक्षा अधूरी छोड़ चुकी होतीं.‘प्रोजेक्ट सरस्वती’ उन सभी 500 से अधिक गांवों में सस्ती ऑनलाइन शिक्षा और ऑफलाइन सहायता मुहैया करता है जिनमें विद्याकुल संचालन कर रहा है. यह पहल भारत सरकार के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान को और आगे बढ़ाएगी.
विद्याकुल द्वारा 2023 में लॉन्च किए गए ‘प्रोजेक्ट सरस्वती’ का यह पहला संस्करण है. कंपनी का उद्देश्य अगले दो वर्षों में अन्य छोटे शहरों में पहुंच बनाकर 70-80 लाख उन छात्राओं को भी शिक्षित करना है जिनके पास शिक्षा के लिए जरूरी बुनियादी संसाधनों का अभाव है. इस पहल के तहत, विद्याकुल ने शैक्षिक स्तर पर होनहार छात्राओं के लिए छात्रवृत्तियों और मुफ्त सब्सक्रिप्शन की पेशकश की है, ताकि उनकी शिक्षा की राह में कोई बाधा न रहे. विद्याकुल की मदद से ये छात्राएं अब न सिर्फ अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी कर रही हैं बल्कि SRCC, Miranda House, BHU जैसे शीर्ष कॉलेजों/विश्वविद्यालयों से ग्रेजुएट डिग्रियां भी हासिल कर रही हैं. इस पहल का एक प्रमुख प्रभाव यह देखने में आया है कि लड़कियों की शिक्षा को लेकर अभिभावकों के स्तर पर विरोध पहले की तुलना में घट रहा है.
विद्याकुल एक ‘आफ्टर-स्कूल ट्यूटरिंग ऐप’ है जो उत्तर प्रदेश, बिहार, तथा गुजरात में स्टेट बोर्ड के छात्रों (ग्रेड 9-12) के लिए ऑनलाइन शिक्षा सुलभ कराती है. मुख्यधारा के शिक्षा प्रदाताओं द्वारा प्रायः इन छात्रों को अनदेखा कर दिया जाता है, लेकिन विद्याकुल इनके लिए केवल ₹300/माह के खर्च पर संपूर्ण प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था करता है, जो कि इंडस्ट्री में सबसे कम खर्चीला सब्सक्रिप्शन है.
‘प्रोजेक्ट सरस्वती’ की सफलता की कुछ उल्लेखनीय कहानियों में शामिल हैं नूतन कुमारी (बिहार स्टेट रैंक होल्डर), मिस्टी पलक (बिहार से जिला टॉपर) तथा वैष्णवी द्विवेदी (उत्तर प्रदेश में जिला रैंक होल्डर). विद्याकुल ऐप से जुड़ने वाले 50% से अधिक लर्नर्स लड़कियां ही हैं जो इस बात का सूचक है कि टियर 3 एवं 4 तथा अन्य छोटे शहरों में वे पढ़ने-लिखने की अधिक इच्छुक हैं.
Vidyakul के को-फाउंडर और सीईओ तरुण सैनी ने कहा, “भारत के दूरदराज के क्षेत्रों में वित्तीय चुनौतियों के चलते कई परिवार अक्सर बेटियों की बजाय अपने बेटों की पढ़ाई को प्राथमिकता देते हैं. परिणाम यह होता है कि ये लड़कियां शिक्षा की बजाय घर के कामकाज में उलझ जाती हैं और उनकी पढ़ाई अक्सर अधूरी रह जाती है. इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति के मद्देनज़र ही, हमने ‘प्रोजेक्ट सरस्वती’ की बुनियाद रखी ताकि लड़कियों के लिए किफायती तथा घरों में ही उच्च स्तरीय शिक्षा की व्यवस्था की जा सके. हम भारत की इन लड़कियों की संभावनाओं को पूरा खिलने का मौका देना चाहते हैं.”
विद्याकुल के शैक्षिक संसाधनों का लाभ उठाते हुए 10वीं की गुजरात बोर्ड की परीक्षा में 94.93 परसेंटाइल प्राप्त करने वाली मनस्वी उनादकट, जो कि 100% नेत्रहीन छात्रा हैं, ने कहा, “मेरे परिवार के पास मुझे पढ़ाने की क्षमता नहीं थी क्योंकि उनकी सोच थी कि यह असंभव है. लेकिन विद्याकुल के मुफ्त उपलब्ध विशेष शैक्षिक संसाधनों ने मुझे अपने सपने को पूरा करने में सक्षम बनाया है. मैं तो केवल एक उदाहरण भर हूं, ऐसी लाखों बहनें हैं जो मुझसे भी खराब हालात में हैं. मैं आशा करती हूं कि ‘प्रोजेक्ट सरस्वती’ का स्पर्श उन तक भी पहुंचेगा और वे इसका लाभ उठाते हुए अपने भविष्य को संवार सकेंगी.”