Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

दो बच्चों की मां बनने के बाद सुची मुखर्जी ने बनाया भारत का पहला फीमेल फैशन पोर्टल 'लाइमरोड'

दो बच्चों की मां बनने के बाद सुची मुखर्जी ने बनाया भारत का पहला फीमेल फैशन पोर्टल 'लाइमरोड'

Thursday September 21, 2017 , 8 min Read

भारत का पहला फीमेल फैशन प्लेटफार्म उपलब्ध करने वाली कंपनी हैं लाइमरोड, इसकी फाउन्डर सुची का लक्ष्य था की लेडीज को एक एक्साइटिंग तरीके से लाइफस्टाइल से सम्बन्धित उत्पादों को खरीदने का मौका दिया जाए। इसी सोच के तहत उन्होंने लाइमरोड को अंजाम दिया। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पोस्टग्रेजुएट और सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली से स्नातक करनेवाली सुची मुखर्जी अपनी उद्यमिता कौशल के लिए विख्यात हैं।

साभार: ट्विटर

साभार: ट्विटर


भारत की विकासशील महिलाओं को सुची यह संदेश देना चाहती हैं कि उन के लिए सब से महत्त्वपूर्ण है शिक्षा, क्योंकि शिक्षा से आत्मविश्वास आता है। ऐसा होने से वे महिला होने पर भी पुरुषों की भांति कोई भी काम कर सकती हैं।

पोर्टल का दावा है कि उसके 85% ऑर्डर ऑर्गेनिक ट्रैफिक से आते हैं। जबकि 70% ऑर्डर मोबाइल ऐप से आते हैं। लाइम रोड एप की पहुंच 400 मिलियन से अधिक स्मार्टफोन तक हो चुकी है, जिसमें 30-50 % तक महिलाएं शामिल हैं। टाइगर ग्लोबल, लाइटस्पीड वेंचर पार्टनर, मैट्रिक्स पार्टनर इंडिया कंपनियां लाइमरोड डॉट कॉम की सफलता को देखते हुए उसे अब तक 50 मिलियन डॉलर की तीन श्रेणियों में फंडिंग कर चुकी हैं।

कहावत है कि इंसान की सोच ही उसे दूसरों से अलग पहचान दिलाती है। लाइमरोड डॉट कॉम की सीईओ और फाउंडर सुची मुखर्जी पर यह कहावत पूरी तरह से लागू होती है। भारत की पहला फीमेल फैशन प्लेटफार्म उपलब्ध करने वाली कंपनी हैं लाइमरोड, इसकी फाउन्डर सुची का लक्ष्य था की लेडीज को एक एक्साइटिंग तरीके से लाइफस्टाइल से सम्बन्धित उत्पादों को खरीदने का मौका दिया जाए। इसी सोच के तहत उन्होंने लाइमरोड को अंजाम दिया। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पोस्टग्रेजुएट और सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली से स्नातक करनेवाली सुची मुखर्जी अपनी उद्यमिता कौशल के लिए विख्यात हैं।

एक कहावत यह भी है कि जहां चाह वहां राह। व्यवसायी के तौर पर अपनी पहचान बनाने का आइडिया कब और कैसे आया। इस बारे में सुची बताती हैं, ‘लाइमरोड का विचार मेरे दूसरे बच्चे के जन्म के बाद आया, जब मैं एक मैगजीन पढ़ रही थी। पेज पलटते हुए मैंने एक ज्वैलरी देखी, जिसे मैं छूना और खरीदना चाहती थी। उस समय मुझे जो 2 चीजें पता चलीं उन में एक तो यह थी कि ऐसी कोई कंज्यूमर तकनीक नहीं थी, जो उत्पादों को तलाशना मैगजीन के पन्ने पलटना जितना आसान और मनोरंजक बना दे। और दूसरी यह कि ऐसा कोई स्थान नहीं था, जहां व्यक्ति उन बेहतरीन उत्पादों का संग्रह देख सके, जिन्हें भारत से बाहर निर्मित किया जा रह हो और भेजा जा रहा हो। इसी विचार के बाद लाइमरोड का जन्म हुआ, जो महिलाओं के लिए सब से विस्तृत और शानदार ऑनलाइन लाइफस्टाइल प्लेटफॉर्म है।'

लाइमरोड की सक्सेज स्टोरी-

लाइमरोड से आप कपड़े, एक्सेसरीज, होम फर्निशिंग प्रोडक्ट्स खरीद सकते हैं। लाइमरोड वेबपोर्टल और मोबाइल एप पर लड़कियां और महिलाएं शानदार ज्वैलरी, आकर्षक कपड़े, पर्स आदि लाइफ स्टाइल से जुड़ीं चीजें खरीद सकती हैं और दोस्तों को शेयर भी कर सकती हैं। पोर्टल का दावा है कि उसके 85% ऑर्डर ऑर्गेनिक ट्रैफिक से आते हैं। जबकि 70% ऑर्डर मोबाइल ऐप से आते हैं। लाइम रोड एप की पहुंच 400 मिलियन से अधिक स्मार्टफोन तक हो चुकी है, जिसमें 30-50 % तक महिलाएं शामिल हैं। टाइगर ग्लोबल, लाइटस्पीड वेंचर पार्टनर, मैट्रिक्स पार्टनर इंडिया कंपनियां लाइमरोड डॉट कॉम की सफलता को देखते हुए उसे अब तक 50 मिलियन डॉलर की तीन श्रेणियों में फंडिंग कर चुकी हैं। लाइमरोड को 30 मिलियन डॉलर, 15 मिलियन और 5 मिलियन डॉलर की फंडिंग मिल चुकी है।

सुची ने वर्ष 2012 में मनीष सक्सेना, अंकुश मेहरा और प्रशांत मलिक के साथ मिलकर लाइमरोड की शुरुआत की थी। इस ऑनलाइन पोर्टल के जरिए कहीं पर भी बैठ कर एक क्लिक के साथ अपने पसंदीदा उत्पादों की खरीददारी की जा सकती है। इसमें अपेरल, एक्सेसरीज, होम फर्निशिंग और फूड उत्पाद इत्यादि प्रमुख हैं। इस साइट में आई कैंडी मैगजीन फार्मेट पेजों को आसानी से पलटने की क्षमता रखता है। प्रोपरायटरी स्क्रैपबुक में क्लिक करके किसी भी आइटम की खरीददारी की जा सकती है। इसमें राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर ब्रांड के उत्पादों को ग्राहकों के लिए उपलब्ध कराया गया है।

जहां चाह वहां राह-

सुची के मुताबिक, मैंने महसूस किया कि इंडिया में बड़ी और बेहतर प्रोडक्ट कंपनी के लिए काफी गुंजाइश है। दुनिया भर में लाइफस्टाइल प्रोडक्ट्स का करीब 1300 करोड़ रुपए का कारोबार है। इसमें से भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 20 फीसदी है। मैंने देश के करीब 2 करोड़ छोटे कारोबारियों को एक डिजिटल प्लैटफॉर्म मुहैया कराने की सोची, जहां जाकर वे अपना सामान बेच सकें। ब्रैंडेड चीजों को बेचने के लिए तो साइट्स पहले ही थीं, हमने नॉन-ब्रैंडेड चीजों पर काम करने का फैसला किया। वैसे, इधर हाल के कुछ बरसों में स्टार्टअप के लिए माहौल भी बना है। सुची ऐसे लोगों को पसंद करती हैं जो विपरीत परिस्थितियों में भी अपना रास्ता बना लेते हैं। वे कहती हैं, मैं उन लोगों को बहुत पसंद करती हूं, जो मौजूदा स्थिति को चुनौती देते हैं और अपने खुद के परिदृश्य में बदलाव ले कर आते हैं। मेरे लिए स्थायी बदलाव लाना हमेशा से प्रमुख थीम रहा है और मैं हमेशा ऐसे कंज्यूमर तकनीकी उत्पाद बनाने की उत्सुक रही, जो लाखों यूजर्स के जीवन को छुएं।

20 साल पहले तो नया बिजनेस शुरू करने के बारे में सोचना भी मुश्किल था। सुची के मुताबिक, लाइम शब्द ताजगी के लिए जोड़ा। जैसे नीबू से ताजगी आ जाती है, वैसे ही हम अपनी साइट पर हर दिन नया प्रोडक्ट डालकर कस्टमर को फ्रेशनेस का अहसास कराते हैं। लाइमरोड दूसरों से अलग है क्योंकि यह 3 लेवल पर काम कर रहा है। सबसे पहले दूर-दराज के छोटे कारोबारियों को उनका सामान बेचने के लिए बड़ा प्लैटफॉर्म मुहैया करा रहा है। फिर यहां महिलाएं अपनी पसंद की ड्रेस के साथ पूरा मिक्स-मैच भी देख सकती हैं। ये डिजाइनिंग घर बैठी महिलाएं कर रही हैं। उन्हें इससे थोड़ी-बहुत कमाई भी हो जाती है और शौक भी पूरा हो जाता है। इसके अलावा, यह साइट आपको अपनी पसंद की ड्रेस अपने पसंद के रेट पर खरीदने का मौका देती है। यानी आपको कोई ड्रेस महंगी लगती है तो हम थोड़े कम रेट पर दूसरा ऑप्शन मुहैया कराते हैं। कह सकते हैं कि यह फैशन का लोकतांत्रिक मंच है।

एक कामयाब सफर की दास्तान-

सुची कहती हैं, आज लाइमरोड शुरू किए साढ़े तीन साल हो गए है, लेकिन मुझे हर दिन पहले दिन की तरह ही लगता है। हमारे यहां हर महीने 15 मिलियन विजिट्स आते हैं और हमारे इंगेजमेंट्स नंबर इंडिया में सबसे ज्यादा है, तो अच्छा लगता है। सुची आज जो कुछ भी हैं, उसका क्रेडिट अपने पैरेंट्स को देती हैं। वे कहती हैं ‘मैं दिल्ली से हूं और मुझे मेरे पैरेंट्स ने वो सब करने दिया, जो सक्सेसफुल बनने के लिए जरूरी था। उनमें जैसे मुझे हर कुछ सिखाने की लगन थी, जिसके चलते मैं हमेशा आगे रही। और यही वजह है कि कैंब्रिज यूनिवर्सिटी, यूके से इकोनॉमिक्स में बीए करने के बाद कैंब्रिज कॉमनवेल्थ स्कॉलर के रूप में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से मास्टर्स इन फाइनेंस एंड इकोनॉमिक्स की डिग्री हासिल कर पाई। मुझे जब जो करना था, बस करना था। 12वीं के बाद मैं चाहती थीं कि मैं इंजीनियरिंग करूं लेकिन मुझे इकोनॉमिक्स में काफी इंटरेस्ट था। मैंने कहा, मुझे इकोनॉमिक्स पढ़ना है और पापा ने भी साथ दिया। कुछ लड़ाई-झगड़े और बहस के बाद मैंने इकोनॉमिक्स ही चुना। बाद में मां भी मान गईं।

सुची मुखर्जी ने पढ़ाई पूरी होने के बाद लेहमन ब्रदर्स कंपनी में बतौर सीनियर एसोसिएट के रूप में पहली नौकरी की थी। इसी कंपनी में तकरीबन 5 साल से ज्यादा समय देने के साथ ही उन्होंने टेलीकॉम मीडिया टेक्नोलॉजी और फाइनेंस इंस्टीट्यूशन की ओर फोकस किया। इस क्षेत्र में काफी ज्ञान अर्जित के बाद सुची ने वर्जिन मीडिया कंपनी में 'डायरेक्टर फॉर चेंज एंड बिजनस डेवलपमेंट' का पद संभाला। इसके अलावा वे यहां कंज्यूमर डिवीजन मैनेजमेंट टीम की भी सदस्य रहीं। यहां दो साल तक नौकरी करने के बाद ऊंचे ख्वाब देखने वाली सुचि मुखर्जी ने ऑनलाइन वीडियो कॉल्स एप्लीकेशल 'स्काइप' और ई-कॉमर्स कंपनी 'ईबे' में भी सेवाएं दीं। यही नहीं, सुची ने अपनी लीडरशिप स्किल के बलबूते पर महज दो साल में विज्ञापन पोर्टल गमट्री को यूके का सबसे सफल पोर्टल बना दिया था।

एक उद्यमी के लिए काम और व्यक्तिगत जीवन में संतुलन बैठाना काफी कठिन होता है। फिर भी सुची अपनी सेहत के प्रति सजग हैं। वे बताती हैं, ‘मैं स्वस्थ आहार, सलाद, फल और हरीभरी सब्जियां खा कर वर्कआउट की जरूरत नहीं होने देती हूं। लेकिन वर्कआउट से अच्छा कुछ भी नहीं है, इसलिए मैं ज्यादा से ज्यादा जिम जाने की कोशिश करती हूं। प्लानिंग और टाइम का सावधानीपूर्वक प्रबंधन करना और इस योजना का पालन करते रहना सब से महत्त्वपूर्ण है।’ भारत की विकासशील महिलाओं को सुची यह संदेश देना चाहती हैं कि उन के लिए सब से महत्त्वपूर्ण है शिक्षा, क्योंकि शिक्षा से आत्मविश्वास आता है। ऐसा होने से वे महिला होने पर भी पुरुषों की भांति कोई भी काम कर सकती हैं।

ये भी पढ़ें: पद्मश्री वंदना लूथरा: दो हजार रुपए से शुरू हुआ VLCC आज 16 देशों में चला रहा है सेंटर