‘रेलयात्री’, रेलवे से जुड़ी मुश्किलों का संकटमोचक
परिवहन प्राणाली में 80% लोगों को हाशिये पर देखने से मिली स्टार्टअप की प्रेरणा
दुनिया की सबसे बड़ी रेल, भारतीय रेल। देश की परिवहन प्रणाली की रीढ़, भारतीय रेल। लेकिन रेलवे की अनगिनत समस्याओं से न सिर्फ यात्रा बल्कि यात्रा से पहले की तमाम कोशिशें काफी जटिल हैं। इन समस्याओं को देखते हुए रेलवे ट्रेवल स्टार्टअप्स के लिए बहुत बड़ा क्षेत्र बन गया है और पिछले कुछ समय में बहुत से उद्यमी इस मौके को भुना रहे हैं। हालांकि RailYatri.in के संस्थापक मनीष राठी इस पर दूसरा मत है। वह कहते हैं, “हवाई यात्रा करने वाले लोगों के लिए बहुत से समाधान बनाए गए हैं। लेकिन वे भारत में यात्रा करने वाली जनता का बहुत छोटा सा हिस्सा हैं। मेरे पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि लोगों ने इस तरफ पहले क्यों नहीं देखा। दो साल पहले हमने भारतीय रेल यात्रियों को समाधान उपलब्ध करवाने की सोची, जिन्हें हम ‘रेलयात्री’ कहते हैं।”
रेलयात्रीडॉटइन (RailYatri.in) बहुत से ‘वेब एप्लीकेशन्स’ का ‘कलेक्शन’ है जो भारतीय रेल के यात्रियों को मदद करता है। करीब चार साल पुराना यह स्टार्टअप तीन लोगों द्वारा संस्थापित किया गया जो स्टार्टअप्स और एसएमइएस(SMEs) को परामर्श देने के बिजनेस में थे। मनीष कहते हैं, “18 स्टार्टअप्स के साथ काम करने के बाद हमने सोचा, कि यह हमारे लिए भी शुरुआत करने का समय है।”
उत्पाद (प्रोडक्ट)
प्रोडक्ट का लक्ष्य रोज़ के रेल यात्री के लिए यात्रा की कुछ ख़ास मुश्किलों को कम करना है। उन्होंने जो पहला प्रोडक्ट लॉन्च किया वह ट्रेनों का ‘बेसिक रोड ट्रिप प्लानर’ था। मनीष कहते हैं,“ रेलवे के लिए यहां बहुत सारे अनौपचारिक समाधान हैं और हमने उन्हें एक जगह पर लाके मजबूत बनाने का लक्ष्य तय किया है। हमने अपने प्रोडक्ट के लिए भारतीय रेल के बहुत करीब रहकर काम किया है, ताकि हम अच्छे समझ पायें कि वे काम कैसे करते हैं।”
इन जानकारियों के बल पर ‘रेलयात्री’ ने अपना दूसरा प्रोडक्ट रेल राडार लॉन्च किया। रेल राडार ‘मैप बेस्ड टूल’ है, जो उपभोक्ता को वास्तविक समय में उनकी रेल की जगह की जानकारी देता है। “लोग वह जानकारी चाहते हैं जो उनसे जुड़ी हो और यही सोच रेल राडार के पीछे थी।” मनीष कहते हैं।
रेल यात्री का अगला प्रोडक्ट ‘रेल विजडम’ था। यह स्टेशनों के प्लेटफोर्म और ट्रेनों की जानकारी के लिए ‘क्राउड सोर्सड’ पर आधारित है। मैप बेस्ड यह मंच उपभोक्ता को किसी खास स्टेशन के पास उपलब्ध लोकप्रिय रेस्टोरेंट और ‘मोटल’ के बारे में भी जानकारी देता है। ‘रेलयात्री; की टीम अपने उत्पाद पर निजी ‘बीटा’ चलाती है और उनका दावा है कि उनके पास 500 से अधिक स्टेशनों पर ठोस जानकारी है।
भारतीय रेलवे के साथ काम
मनीष से जब पूछा गया कि भारतीय रेल जैसे बड़े पब्लिक सेक्टर के साथ ‘रेलयात्री’ का स्टार्टअप के तौर पर काम करना कितना मुश्किल था?, तो मनीष जवाब देते हुए कहते हैं, “वास्तव में मुश्किल नहीं था। हमने रेलवे में आईटी विभाग के साथ कार्य किया और यह रिश्ता दोनों के लिए पारस्परिक लाभ का रहा। वे कुछ कोशिशें कर रहे थे और हमारे पास उनकी जरूरतों से जुड़े कुछ समाधान थे।” हालांकि मनीष कहते हैं कि वहां कुछ प्रतिबन्ध थे जिनका पालन करते हुए ‘रेलयात्री’ को काम करना था।
खैर वे इतना समझ गए थे कि भारतीय रेल कितने बड़े पैमाने पर काम करता है। वह कहते हैं, “उनके साथ काम करना वास्तव में फायदेमंद रहा, हम गहराई से जान गए कि परदे के पीछे क्या हो रहा है। वे जिस पैमाने पर काम करते हैं वह तारीफ के काबिल है। हां वहां प्रतिबन्ध थे लेकिन हम उनका सम्मान करते हैं।”
पिछली बातों से सीख
स्टार्टअप्स के साथ पहले काम करने की वजह से मनीष और उनकी टीम जानती थी कि वह सही मायने में क्या कर रहे थे। वह कहते हैं, “यहां तक कि जिन स्टार्टअप्स के साथ हमने काम किया उनमे आठ में से ही एक ही अपनी कहानी कहने को जिंदा रहा। हम जानते थे कि उद्यमिता से जोखिम जुड़ा हुआ है और यह इस क्षेत्र में भी था जिसमें हमारी रूचि थी।”
‘रेलयात्री’ का रेवन्यू मॉडल गूगल एड से है और यह मनीष और उनकी टीम के लिए टिके रहने के लिए काफी था। वह कहते हैं, “हम पहले कम्युनिटी को बनाने और ज्यादा लोगों तक वेबसाइट को पहुंचाने पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं। अगर हमारे प्रोडक्ट अच्छे करते हैं तो फिर शायद हम उन्हें बेहतर बनाने के लिए फंड जोड़ पायें। (मनीष ‘रेलयात्री’ के प्रयासों में रूचि लेने वाले निवेशकों के बारे में बताते हैं।) यह पेड़ लगाने की तरह है-आप उसे खाद-पानी दो वह बड़ा होगा और आपको फल देगा। फिलहाल सवाल यह है कि पहला कौन सा पेड़ बड़ा होगा।”
प्रतियोगिता और भविष्य की नीतियों के बारे में पूछे जाने पर मनीष निष्कर्ष के तौर पर कहते हैं, “प्रतियोगिता अच्छी चीज़ है! यह संकेत है कि आप ‘डेड मार्किट’ में नहीं हैं। और जहां तक भविष्य की नीतियां हैं तो हमारे कुछ आंतरिक लक्ष्य हैं, लेकिन बड़ा लक्ष्य यह है कि, क्या हम एक रोजाना रेलवे यात्री के लिए अंतर पैदा कर सकते हैं? और मैं ख़ुशी के साथ जवाब दे सकता हूं कि पिछले महीनो में, हाँ हमने अंतर पैदा किया है।”