दिग्गज व्यापारिक घरानों को आॅनलाइन व्यापार के लिये प्रेरित करता 'Shoptimize'
हल्दीराम और कैमलिन जैसे बड़े ब्रांडों के ई-काॅमर्स प्लेटफार्म को तैयार किया है इस स्टार्टअप नेव्यापारिक घरानों के लिये ई-काॅमर्स मंच तैयार करते हुए ही दूसरे उत्पाद Cooliyo को भी किया तैयारएक आॅफलाइन व्यापार को आॅनलाइन मंच का रूप देने के लिये लेते हैं 15 हजार से लेकर 2 लाख रुपये तकमोहनदास पाई समर्थित टैंडम कैपिटल और चार अन्य निवेषकों से 750000 डाॅलर का निवेश पा चुके हैं
अब से कुछ समय तक पहले तक भारतीय खाने-पीने की चीजों का एक मशहूर ब्रांड हल्दीराम अपने उत्पादों को आॅनलाइन नहीं बेचता था। लेकिन आज के समय में इनकी एक बेहद प्रभावशाली और रंगों से सराबोर वेबसाइट उपभोक्ताओं को अपनी ओर आकर्षित कर रही है और सैकड़ों की संख्या में मिठाइयां और स्वादिष्ट नमकीन को आॅनलाइन उपलब्ध करवा रही है। फिलहाल प्रतिमाह इनकी वेबसाइट का प्रयोग करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या लगभग 1 लाख से अधिक की है और इसके लिये ये पुणे स्थित एक स्टार्टअप Shoptimize (शाॅप्टिमाइज़) के शुक्रगुजार हैं जिसने इनके इस समूचे ई-काॅमर्स मंच को तैयार किया।
हालांकि यह इतना आसान काम नहीं है जितना देखने में लगता है लेकिन यह स्टार्टअप सिर्फ आॅनलाइन तरीके से संचालित होने वाले 100 अन्य संस्थानों के लिये भी इसी काम को सफलतापूर्वक अंजाम दे चुके हैं।
शाॅप्टिमाइज़ के सह-संस्थापक और सीईओ मंगेश पंडितराव इसके बारे में बाते हुए कहते हैं, ‘‘आजकल बड़े और नामी संस्थानों के व्यवहार में बहुत परिवर्तन आया है और समय के साथ चलने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए वे आॅनलाइन आना चाहते हैं। हल्दीराम की इच्छा थी कि हम उनकी मौजूदा की ही देखभाल करें लेकिन वास्तव में उनका विचार वेबसाइट के माध्यम से अपने उत्पादों की बिक्री करने का बिल्कुल भी नहीं था। हमें उन्हें इस दिशा में विचार करने के लिये प्रेरित करना पड़ा और उन्हें इस बात का भरोसा दिलवाया कि उनके लिये अपने व्यापार का ई-काॅमर्स पहलू तैयार करना कितना आवश्यक है।’’
मंगेश और विवेक फलक द्वारा दो वर्ष पूर्व स्थापित किया गया यह स्टार्टअप जब किसी संस्थान के र्क-काॅमर्स प्लेटफाॅर्म को तैयार करने का काम अपने हाथ में लेता है तो इनका मतलब सिर्फ उनकी एक वेबसाइट तैयार करना ही नहीं होता है। इनका सीधा मतलब होता है कि ये यूज़र इंटरफेस डिजाइन से लेकर लाॅजिस्टिक्स और अन्य विभिन्न प्रासंगिक चीजों के समायोजन में आपकी मदद करेंगे।
मंगेश बताते हैं कि इन्होंने महसूस किया कि कोई भी पूरी तरह से आॅफलाइन या आॅनलाइन ब्रांड अखिल भारतीय स्तर पर सफल और मशहूर नहीं है और इसी वजह से इन्होंने शाॅप्टिमाइज़ की स्थापना करने का फैसला किया।
मंगेश कहते हैं, ‘‘कोई भी आॅनलाइन व्यापार एक आम खुदरा दुकान के सेटअप में कामयाब नहीं हो सकता और ईंट और सीमेंट की बनी दुकानों से संचालित होने वाला व्यापार आॅनलाइन कारोबार के साथ प्रतिस्पर्धा में नहीं जीत सकता। हम आॅफलाइन कंपनियों को अपने व्यापार को धीरे-धीरे इस ओर मोड़ने में सहायता करना चाहते थे।’’
शाॅप्टिमाइज़ विभिन्न ब्रांडों को उनके आॅफलाइन व्यापार को उनके लिये आॅनलाइन स्टोर तैयार करके विस्तारित करने में मदद करते हैं और इसके अंतर्गत वे उनक लिये पेमेंट गेटवे और लाॅजिस्टिक्स का प्रबंध करने के अलावा फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया का इस्तमाल करते हुए इनके आॅनलाइन स्टोर को लोगों के बीच मशहूर करते हैं। इसके अलावा इनका दावा है कि सिर्फ यही एक ऐसी अकेली वैश्विक कंपनी हैं जो अपने उपभोक्ताओं को आॅनलाइन मंच के साथ एक एकीकृत एप्लीकेशन भी मुहैया करवा रहे हैं।
ई-वाणिज्य समाधान की दिशा में आने वाली प्रारंभिक लागत 15 हजार रुपये से लेकर 2 लाख रुपये के बीच कुछ भी हो सकती है जो व्यवसाय की जटिलता के अनुसार बदलती रहती है। प्रारंभिक सेटअप के बाद उपभोक्ता शाॅप्टिमाइज़ को उन्हें मिलने वाले आॅर्डरों के आधार पर एक मासिक शुल्क का भुगतान भी करते हैं।
फिलहाल वे देश के 100 से भी अधिक जाने-माने व्यावयायिक नामों को अपनी सेवा प्रदान कर रहे हैं जिनमें से कुछ प्रमुख प्रमुख हल्दीराम, कैमलिन और पुणे की एकबोटे फर्नीचर हैं।
मंगेश कहते हैं, ‘‘हालांकि ये सभी नाम अपने क्षेत्र में काफी मशहूर हैं लेकिन इन्हें पर्याप्त आर्डर नहीं मिल रहे थे। इसी पजह से हमने एक लग मंच तैयार करने के बारे में सोचा जिसपर इन ब्रांडों को आॅनलाइन आॅर्डर मिलने लगे।’’
इस प्रकार इनके दिमाग में अपने दूसरे उत्पाद Cooliyo (कूलियो) का विचार आया।
साथ ही इन्होंने मोहनदास पाई समर्थित टैंडम कैपिटल और चार अन्य निवेषकों से 750000 डाॅलर का निवेश पाने में सफलता पाई है इसलिये किसी भी नए प्रयोग को करने के लिये इन्हें पैसों के बारे में सोचना नहीं पड़ता है।
मंगेश कहते हैं, ‘‘हम कुछ ऐसा तैयार करना चाहते हैं जो खरीदारों को को आॅनलाइन मंच पर दिलचस्प उत्पादों को तलाशने में सहायक हो और जब लोग इन उत्पादों को आॅनलाइन खरीदें तो उन्हें एक अलग तरह का अहसास हो। और कूलियो बिल्कुल ऐसा ही करता है।’’ जनवरी 2014 में दुनिया के सामने आया इनका यह सोशल शाॅपिंग एप्प खरीददारों को लाइफस्टाइल उत्पादों को खोजने और खरीदने में मदद करता है।
यह फ्लिपकार्ट, अमेजन, स्नैपडील और जैबोंग जैसी लाोकप्रिय ई-काॅमर्स वेबसाइटों और छोटे और नए खिलाडि़यों की उत्पाद सूची को एक ही मंच पर प्रदर्शित करता है। इन उत्पादों को परिधान, जूते, एक्सेसीज और कला और सजावटी सामान जैसी श्रेणियों में विभाजित किया गया है।
ये मार्केटिंग की एक नई प्रणाली फीड काॅमर्स का प्रयोग करते हैं जिसमें बिक्री के लिये लक्षित प्रत्येक सामग्री को उपभोक्ताओं के सामने लाइव फीड के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इसके अलावा कूलिये व्हाट्सएप्प पर पंजीकृत अपने उपभोक्ताओं को उत्पादों से संबंधित जानकारी भी उपलब्ध करवाता है।
वर्तमान की बात करें तो यह एप्लीकेशन एंड्रायड और आईओएस को लिये उपलब है और यह प्रतिसप्ताह करीब दो मिलियन उपयोगकर्ताओं तक अपनी पहुंच बना रहा है। इसके अलावा अबतक इसके तीन लाख ये भी अधिक पंजीकृत उपयोगकर्ता हैं।