इस युवा ने इंश्योरेंस बेचकर बना ली 100 करोड़ टर्नओवर वाली कंपनी
इंश्योरेंस बेचकर 100 करोड़ की कंपनी बनाने वाले राहुल...
इंश्योरेंस सेक्टर की तस्वीर बदलने वाले उस युवक का नाम राहुल अग्रवाल है । कोलकाता स्थित कंपनी इंश्योरेंस ब्रोकर्स प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ राहुल उस वक्त सिर्फ 23 साल के थे जब उन्होंने इंश्योरेंस सेक्टर में काम करने की शुरुआत की थी।
2005 में राहुल ने सिर्फ 5 लाख रुपयों से इस बिजनेस की शुरुआत की थी, आज उनका बिजनेस 100 करोड़ का टर्नओवर पार कर चुका है और उनके 35,000 क्लाइंट्स हैं।
राहुल मैक्स लाइफ इंश्योरेंस में एक एजेंट एडवाइजर के तौर पर काम करते थे। वहां उन्हें पॉलिसियां बेचनी पड़ती थीं और उनकी पेमेंट कमीशन के आधार पर होती थी।
इंश्योरेंस पॉलिसी बेचना काफी कठिन और उबाऊ काम होता है। न तो इस काम में किसी को मजा आता है और न ही ग्राहक आसानी से पॉलिसी खरीदने को तैयार होते हैं। लेकिन एक युवा उद्यमी ने इस सोच को बदलकर रख दिया है। इंश्योरेंस सेक्टर की तस्वीर बदलने वाले उस युवक का नाम राहुल अग्रवाल है । कोलकाता स्थित कंपनी इंश्योरेंस ब्रोकर्स प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ राहुल उस वक्त सिर्फ 23 साल के थे जब उन्होंने इंश्योरेंस सेक्टर में काम करने की शुरुआत की थी। 2005 में शुरू की गई कंपनी आज देश के कई बड़ी कंपनियों को अपना क्लाइंट बना कर रखती है। राहुल के क्लाइंट्स में लिंक पेन, वाधवा बिल्डर्स से लेकर मेरू कैब्स तक शामिल हैं।
अपने पिता के ऑफिस के एक छोटे से केबिन से शुरू किया गया राहुल का बिजनेस आज 6,000 स्क्वॉयर फिट के ऑफिस में शिफ्ट हो चुका है। 2005 में राहुल ने सिर्फ 5 लाख रुपयों से इस बिजनेस की शुरुआत की थी, आज उनका बिजनेस 100 करोड़ का टर्नओवर पार कर चुका है और उनके 35,000 क्लाइंट्स हैं। उनकी कंपनी में 170 लोगों का स्टाफ काम करता है और पूरे साल भर में वे लगभग 40,000 से 50,000 पॉलिसी बेच देते हैं। सफलता के इस मुकाम तक पहुंचने वाले राहुल अग्रवाल की कहानी जरा हटके है।
10 जूनम 1981 को कोलकाता में पैदा हुए राहुल अपने तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। उनका एक छोटा भाई और एक बहन भी है। उनके पिता राजकुमार अग्रवाल एक प्राइवेट फर्म में काम किया करते थे और उनकी मां सुधा अग्रवाल घर की जिम्मेदारी संभालती थीं। राहुल ने 10वीं तक की पढ़ाई अभिनव भारती स्कूल से की उसके बाद ग्रैजुएशन सेंट जेवियर्स कॉलेज से किया। उनकी परवरिश एकदम मध्यमवर्गीय परिवार के जैसे हुई। लेकिन 2001 में केतन मेहता शेयर मार्केट स्कैम में उनके पिता के सारे पैसे डूब गए। उनके पिता ने 90 के दशक में काफी पैसा शेयर मार्केट में लगा रखा था।
राहुल बताते हैं कि यह उनकी जिंदगी का सबसे बुरा दौर था। लेकिन किसी तरह उनके माता-पिता ने सारा कर्जा चुकाया। इसी दौरान 2001 में राहुल ने मैक्स लाइफ इंश्योरेंस के साथ काम करना शुरू कर दिया। वे कहते हैं, 'प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनी के साथ काम करने का मेरा सिर्फ एक ही मकसद था, परिवार की आमदनी में कुछ अपना योगदान देना। मैं अमेरिका जाना चाहता था इसलिए उसके पहले कुछ वर्क एक्सपीरियेंस भी चाहिए था। मैं यूएस से एमबीए करना चाहता।' राहुल वहां पर एक एजेंट एडवाइजर के तौर पर काम करते थे। वहां उन्हें पॉलिसियां बेचनी पड़ती थीं और उनकी पेमेंट कमीशन के आधार पर होती थी।
राहुल ने अपना काम इतनी अच्छे तरीके से किया कि सिर्फ 4 महीने में ही उन्होंने 4 लाख रुपये कमा लिए। जबकि उसके पहले उन्हें इंश्योरेंस के काम की कुछ जानकारी नहीं थी। उन्होंने इस दौरान चार्टर्ड फाइनैंशियल ऐनालिस्ट (CFA) का कोर्स किया और देश के सबसे युवा CFA होने का दर्जा भी हासिल किया। राहुल ने 2002 के बीच में ही नौकरी छोड़ दी और एमबीए के लिए अमेरिका नहीं गए। बल्कि अच्छा प्रदर्शन करने की वजह से उन्हें कंपनी ने एक मीटिंग के लिए यूएस भेजा था। वहां जाकर राहुल की पूरी सोच हीबदल गई और उन्होंने कहा कि वे अमेरिका से एमबीए नहीं करेंगे।
उन्होंने मुंबई के एसपी जैन इंस्टीयट्यूट से 2003-2005 में एमबीए किया। इस दौरान वे मुंबई में नौकरी के लिए भी अवसर तलाश कर रहे थे। लेकिन वे एमबीए करके वापस कोलकाता लौट आए और यहां उन्होंने 5 लाख रुपयों से 'आइडियल इंश्योरेंस ब्रोकर्स' नाम की कंपनी खोली। ये पैसे भी उनके पिता ने दिए थे। उन्होंने 10,000 रुपयों में शहर में अपने पिता के ऑफिस में ही कमरा लिया था। उस वक्त उनके साथ काम करने वाला एक कर्मचारी हुआ करता था जो खातों को मैनेज करता था। उन्होंने सरकार से इंश्योरेंस के लिए परमिशन भी हासिल कर ली थी।
यहां पर मैक्स लाइफ इंश्योरेंस के साथ किया गया उनका काम उनकी मदद कर रहा था। उनहोंने पहले साल में कुल 40 लाख रुपयों का कारोबार किया। इसके बाद 2006-07 में उनका टर्नओवर बढ़कर 1 करोड़ हो गया। इसके बाद वे नए ऑफिस में शिफ्ट हो गए। नए ऑफिस का किराया करीब 1.5 लाख रुपये प्रति माह था। उन्होंने मुंबई में अपने ऑफिस की एक और ब्रांच खोल ली। अंधेरी ईस्ट में उन्होनेएक छोटा सा ऑफिस खोला था जिसका किराया 20,000 रुपये हुआ करता था। 2011 में उनका टर्नओओवर लगभग 23 करोड़ हो गया और उनके ऑफिस बेंगलुरु, पुणे, हैदराबाद और दिल्ली-एनसीआर में भी खुल गए। अब राहुल का लक्ष्य उनकी कंनपी को 2020 तक 500 करोड़ के टर्नओवर वाली कंपनी बना देना है।
वे चाहते हैं कि उनकी कंपनी देश के टॉप-5 ब्रोकर कंपनियों में शुमार हो। इसी साल उन्होंने अपना ऑनलाइन प्लेटफॉर्म www.121policy.com भी लॉन्च कर दिया है जिससे वे ऑनलाइन पॉलिसी भी बेच रहे हैं। उन्होंने हाल ही में अपने स्टार्ट अप के लिए फंड भी जुटाया है। राहुल को आज आईआईएम अहमदाबाद, कोलकाता और आईएसबी हैदराबाद से स्पीच देने के लिए बुलाया जाता है। उनकी बहन श्वेता अग्रवाल और भाई अमित अग्रवाल भी इस काम में उनका हाथ बढ़ाते हैं। उनकी पत्नी प्रियंका घर की जिम्मेदारी संभालती हैं। उनकी एक छोटी सी 5 साल की बेटी भई है।
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