क्या म्यूज़ली खाने से मिल सकता है जोड़ों के दर्द में आराम?
म्यूज़ली; गेहूं, मक्का, सूखे मेवों और शहद से बना एक सूखा खाद्य पैकेज। हालिया वर्षों में म्यूज़ली बड़ी तेजी से लोगों के ब्रेकफास्ट का हिस्सा बन रहा है। इसको खाना बड़ा आसान है और ये काफी पौष्टिक भी होता है।
फ्रेडरिच-एलेक्ज़ेंडर-यूनिवर्सिटेट एर्लांगेन-नर्नबग ने खोज किया है कि फाइबर युक्त आहार म्यूजली लेने से जोड़ों में होने वाली तकलीफों को कई गुणा कम किया जा सकता है।आमतौर पर होता है कि हेल्दी चीजें खाने में बड़े खराब स्वाद की होती हैं लेकिन म्यूजली इस मामले में अपवाद है।
म्यूजली; गेहूं, मक्का, सूखे मेवों और शहद से बना एक सूखा खाद्य पैकेज। हालिया वर्षों में म्यूजली बड़ी तेजी से लोगों के ब्रेकफास्ट का हिस्सा बन रहा है। इसको खाना बड़ा आसान है और ये काफी पौष्टिक भी होता है। बस दूध में मिलाओ और फटाफट नाश्ता तैयार। सबसे खास बात है कि इसका स्वाद भी काफी अच्छा होता है। आमतौर पर होता है कि हेल्दी चीजें खाने में बड़े खराब स्वाद की होती हैं लेकिन म्यूजली इस मामले में अपवाद है। ये बात आम है कि हेल्दी खाना खाने से हम अपनी ज़िंदगी और स्वास्थ्य का बेहतर ख्याल रख सकते हैं। फ्रेडरिच-एलेक्ज़ेंडर-यूनिवर्सिटेट एर्लांगेन-नर्नबग ने खोज किया है कि फाइबर युक्त आहार म्यूजली लेने से जोड़ों में होने वाली तकलीफों को कई गुणा कम किया जा सकता है।
कहते हैं हमारे खान पान और सेहत का संबंध सीधे हमारी आंतों में मौजूद बैक्टीरिया से है। एक स्वस्थ आंत में बैक्टीरा की कई प्रजातियां शामिल होती हैं और ये शरीर के वज़न का 2 किलो का हिस्सा रखती हैं। ये बैक्टीरिया ही हमारे द्वारा खाई गई चीजों को तोड़कर पचाने में सहायक होती हैं। इसी प्रक्रिया का एक और हिस्सा फैटी एसिड है, जो शरीर के लिये काफी महत्वपूर्ण है। इससे हमें उर्जा मिलती है, आंतों में बैक्टीरिया भी अपना काम इसी की मदद से बेहतर तरीके से कर पाते हैं। आंतों के बैकेटीरिया जीवाणुओं से सामना करते हैं जो गैस्ट्रोइन्टेस्टाइनल ट्रैक्ट में अपनी जगह बनाने की कोशिश करते हैं।
आंतों की बनावट के आधार पर बीमारी और बीमारी का कारणों का पता लगाया जा सकता है। अगर सभी प्रकार के बैक्टीरिया साथ मिलकर आपना काम करें तो वे आंतों की दीवारों की रक्षा कर सकते हैं। इतना ही नहीं जीवाणुओं को गुज़रने से भी रोक सकते हैं। नेचर कम्यूनिकेशन में प्रकाशित एक लेख के अनुसार एफएयू के शोधकर्ता मानते हैं कि सिर्फ आंतों के बैक्टीरिया ही नहीं, बल्कि उनके मेटाबोलाइट्स भी इम्मयून सिस्टम को प्रभावित करते हैं जिससे रह्यूमाटॉयड अर्थराइटिस जैसी बीमारियां बढ़ती हैं। आंतों के बैक्टीरिया और इम्मयून सिस्टम के बीच संबंध अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। वैज्ञानिक भी इस बारे में कोई खास जानकारी इकट्ठा नहीं कर पाए हैं कि कैसे आखिर इन बीमारियों या बैक्टिरिया के गलत प्रभाव को रोका जा सकता है।
हालांकि एफएयू के वैज्ञानिक ये बता पाने में सक्षम रहे कि फाईबर युक्त भोजन आंतों के बैक्टीरिया को फैट्टी एसिड में बदल पाने में कामयाब थे। बोन मैरो पर खास तौर पर बेहतर असर देखने को मिले। इस शोध से जुड़े डॉ मारियो जैस, टीम लीडर(बैक्टीरिया स्टडी) के मुताबिक, 'हम ये दिखा पाने में कामयाब रहे कि बैक्टीरिया से संबंधित स्व्स्थ खाना शरीर को नुकसान नहीं पहुंचा पा रहे थे। खास कर महिलाओं में होनेवाले मेनोपॉज़ के बाद फाईबर युक्त आहार ने उनके शरीर और आंतों के लिये बेहतर तरीके से काम किया। वैसे हम किसी खास बैक्टीरिया के हिसाब से किसी खाद्य पदार्थ की सिफारिश तो नहीं कर सकते, पर सुबह के खाने के साथ पूरे दिन भरपूर मात्रा में फल और हरी सब्ज़ियां भी बैक्टीरिया की अच्छी प्रजातियों को बनाए रखने में मदद करती हैं।'
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