जो था कभी कैब ड्राइवर, वो सेना में बन गया अफसर
रिटायर्ड कर्नल से प्रेरणा पाकर ओम पैठाने कैब ड्राइवर से बने सेना में अॉफिसर...
ओम बताते हैं कि उनके पिता भी एक ड्राइवर थे। लेकिन एक हादसे में उनके दोनों पैर खराब हो गए। इसके बाद वह वॉचमैन का काम करने लगे। लेकिन घर की स्थिति बिगड़ चुकी थी और इस हालत में ओम को घर चलाने की जिम्मेदारी संभालनी पड़ी।
बीएससी खत्म होने के बाद ओम ने सीडीएस की तैयारी करनी शुरू कर दी। 2016 में उन्होंने पहले ही प्रयास में सीडीएस क्वॉलिफाई भी कर लिया।
हमें नहीं पता होता कि कब, कहां जिंदगी के किस मोड़ पर हमें प्रेरणा मिल जाए और हम खुद को बदलने की कसम खा लें। महाराष्ट्र के पुणे में एक छोटे से रहने वाले ओम पैठाने के साथ कुछ ऐसा ही हुआ कि वो ओला कैब ड्राइवर से भारतीय सेना में ऑफिसर बनने की डगर पर चल निकले और सफल भी हुए। इसी महीने 10 मार्च को चेन्नई के ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकैडमी में होने वाली पासिंग आउट परेड में वह कैडेट से सीधे भारतीय सेना में शामिल हो जाएंगे। ओम को कैब चलाते वक्त एक रिटायर्ड कर्नल मिले थे जिन्होंने उन्हें सेना में जाने के लिए प्रेरित किया।
ओम बताते हैं कि उनके पिता किसान थे और गाड़ी भी चलाते थे।। लेकिन एक हादसे में उनके दोनों पैर खराब हो गए। इसके बाद वह वॉचमैन का काम करने लगे। लेकिन घर की स्थिति बिगड़ चुकी थी और इस हालत में ओम को घर चलाने की जिम्मेदारी संभालनी पड़ी। वह बीएससी (कंप्यूटर साइंस) फाइनल ईयर की पढ़ाई भी कर रहे थे और साथ में ओला की कैब भी चलाने लगे। एक दिन ऐसे ही उनकी कैब में एक रिटायर्ड कर्नल बैठे। उनका नाम गणेश बाबू था। कुछ दूर जाने पर उन्होंने ओम से बात करनी शुरू कर दी। उन्होंने ओम के परिवार बारे में पूछा और उनकी पढ़ाई-लिखाई से जुड़ी भी बातें की।
उन्होंने ओम की उम्र और पढ़ाई में लगन को देखते हुए सीडीएस के बारे में बताया और भारतीय सेना में जाने के लिए कहा। कर्नल ने अपनी जिंदगी के बारे में भी ओम को बताया, जिससे ओम को काफी प्रेरणा मिली। बीएससी खत्म होने के बाद ओम ने सीडीएस की तैयारी करनी शुरू कर दी। 2016 में उन्होंने पहले ही प्रयास में सीडीएस क्वॉलिफाई भी कर लिया। उन्होंने बताया, 'जब मेरा सेलेक्शन हुआ तो मैंने सबसे पहले उन रिटायर्ड कर्नल को ही फोन किया जिन्होंने मुझे सीडीएस के बारे में बताया था। उन्होंने मुझे कदम-कदम पर मार्गदर्शन दिया।'
ओम कहते हैं कि सेना में भर्ती होने के लिए मिलने वाली ट्रेनिंग ने उनके भीतर अनुशासन और आत्मविश्वास भर दिया है और वह इस पर गर्व करते हैं। वह पुणे के टोंडल गांव के रहने वाले हैं जो कि पुणे-बेंगलुरु हाइवे पर पड़ता है। उन्होंने सीडीएस प्रथम 2016 के एग्जाम में 92वीं रैंक हासिल की थी। पैठाने कहते हैं, 'मैं अभी जिंदगी को एन्जॉय कर रहा हूं। ट्रेनिंग के दौरान मेरे व्यक्तित्व में काफी बदलाव आया और सेना की वर्दी पहनने के बाद जो आत्मविश्वास आता है उसे बयां नहीं किया जा सकता।'
लोगों से मिले सपोर्ट पर वो कहते हैं कि उनके चाचा चैतन्य काले एक पत्रकार हैं जिन्होंने उनकी काफी मदद की। रिटायर्ड कर्नल गणेश बाबू ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि पैठाने की भीतर काफी आत्मविश्वास था बस उसे सही दिशा की जरूरत थी। इस बार ट्रेनिंग अकैडमी में कुल 257 कैडेट्स पासिंग आउट परेड में शामिल हो रहे हैं। आर्मी में शामिल होने वाले कैडेट्स में विभिन्न क्षेत्रों के छात्र शामिल हैं। नेशनल लेवल बॉक्सिंग प्लेयर से लेकर भारतीय टीम का रग्बी प्लेयर और दो आर्मी की विधवाएं भी शामिल हैं।
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