मुंबई में चलने वाली दुनिया की पहली लेडीज स्पेशल ट्रेन के पूरे हुए 26 साल
आज से करीब 26 साल पहले मुंबई में महिलाओं के लिए स्पेशल ट्रेन चली थी। पश्चिमि रेलवे के नाम यह बड़ा काम करने का रिकॉर्ड दर्ज है। देखा जाए तो यह भारतीय रेल और महिला यात्रियों के लिए खुशी और गर्व की बात है।
दुनिया की पहली लेडीज स्पेशल ट्रेन मुम्बई के चर्चगेट और बोरीवली के बीच 05 मई, 1992 को चलाई गई थी। यह ट्रेन अब अपनी 26वीं वर्षगांठ मना रही है है। 05 मई, 1992 को चर्चगेट और बोरीवली के बीच विश्व की पहली महिला स्पेशल रेलगाड़ी चलाई गई थी।
मुंबई की लोकल शहर की लाइफलाइन मानी जाती है। क्योंकि इसके ठप होने पर मुंबई भी ठप हो जाता है। लेकिन यह लोकल और भी कई मायनों में खास है। आज से करीब 26 साल पहले मुंबई में महिलाओं के लिए स्पेशल ट्रेन चली थी। पश्चिमि रेलवे के नाम यह बड़ा काम करने का रिकॉर्ड दर्ज है। देखा जाए तो यह भारतीय रेल और महिला यात्रियों के लिए खुशी और गर्व की बात है। अब मेट्रो और भारतीय रेल की गाड़ियों में भी महिलाओं के लिए अलग कोच होते हैं। लेकिन कुछ दशक पहले तक ऐसी कोई सुविधा नहीं थी। आम कोच में सफर करने पर महिलाओं को कई तरह की दिक्कतें उठानी पड़ती हैं इसलिए लेडीज स्पेशल ट्रेन को शुरू किया गया था।
दुनिया की पहली लेडीज स्पेशल ट्रेन मुम्बई के चर्चगेट और बोरीवली के बीच 05 मई, 1992 को चलाई गई थी। यह ट्रेन अब अपनी 26वीं वर्षगांठ मना रही है है। 05 मई, 1992 को चर्चगेट और बोरीवली के बीच विश्व की पहली महिला स्पेशल रेलगाड़ी चलाई गई थी। भारतीय रेल द्वारा पूरी तरह महिलाओं के लिए समर्पित यह ट्रेन मील का पत्थर है। प्रारंभ में इसका परिचालन पश्चिम रेलवे के चर्चगेट और बोरीवली के बीच हुआ और 1993 में इसका विस्तार करके वीरार तक चलाना शुरू किया गया।
महिला स्पेशल ट्रेन महिलाओं के लिए वरदान साबित हुई, क्योंकि पहले उन्हें नियमित रेलगाडि़यों में महिला कम्पार्टमेंट में प्रवेश के लिए संघर्ष करना पड़ता था। इस ट्रेन को पूरी तरह समर्पित करने का उद्देश्य था कि महिलाएं आराम से यात्रा कर सकें। अति व्यस्त उपनगरीय लाइनों पर सफलतापूर्वक 26 वर्षों से चल रही महिला स्पेशल ट्रेन को महिला यात्री वरदान मानती है।
तब से महिला यात्रियों में सुरक्षा भाव भरने के लिए भारतीय रेल ने अनेक नवाचारी उपाय किये। अनेक महिला कोच में सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं। पश्चिम रेलवे ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर पिछले वर्ष नये सुरक्षा उपाय के रूप में टॉक बैक प्रणाली लगाई। इस प्रणाली में आपात स्थिति में इकाई में स्थापित बटन को दबाकर किसी की लेडिज कोच की महिला यात्रियों और ट्रेन के गार्ड से दोतरफा संवाद कायम किया जा सकता है। यह महिला यात्रियों के लिए सुरक्षा और चिकित्सा की आपात स्थितियों में लाभकारी है।
पश्चिम रेलवे के प्रवक्ता रविंदर भास्कर ने इस बारे में कहा, 'पूरी की पूरी ट्रेन महिलाओं के लिए आरक्षित करने का फैसला ऐतिहासिक था। इस मामले में पश्चिम रेलवे ने अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की जो बाकी रेलवे के लिए भी मिसाल बनकर सामने आई।' महिला सुरक्षा के लिए भी पश्चिम रेलवे ने कई सारे कदम उठाए हैं। हर स्टेशन पर सीसीटीवी कैमरा और लेडीज कोच के साथछ ही टॉक बैक जैसी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। भास्कर ने कहा कि यह रेलवे के इतिहास में मील का पत्थर था। इससे लाखों महिला यात्रियों को सफर करने में आसानी हुई।
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