इतनी कम उम्र में राष्ट्रपति से सम्मानित होने वाली पंजाब की पहली महिला इंद्रजीत कौर
होशियारपुर के छोटे से गांव की दिव्यांग कवयित्री इंद्रजीत कौर ने कभी न सोचा था कि इतनी कम उम्र में उन्हें आगामी तीन दिसंबर को राष्ट्रपति भवन में 'नेशनल अवार्ड फार द इंपावरमेंट ऑफ परसन विद डिसेबिलिटी-2018' से विभूषित किया जाएगा।
इंद्रजीत कौर इस समय 'एबेलिटी ज्वाइंट लाइबिलिटी ग्रुप' की संस्थापक,'नंदन रिशी फाउंडेशन' की अध्यक्ष और 'दिव्यांग कला-साहित्य सभ्याचारक मंच' की कन्वीनर भी हैं।
आगामी तीन दिसंबर को राष्ट्रपति भवन में पंजाब की जिन तीन साहसी महिलाओं को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सम्मानित करेंगे, उनमें एक होशियारपुर के गांव नंदन की दिव्यांग कवयित्री इंद्रजीत कौर भी हैं। वह बचपन से ही अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पाती हैं लेकिन आज उनके जज्बे और हौसले को लोग सलाम करते हैं। उन्होंने क्षेत्र की कई महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है। वह कहती हैं कि उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उन्हें राष्ट्रपति सम्मानित करेंगे। मेहनत का फल मिल रहा है। उनके लिए इससे बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती है।
वह बताती हैं कि जब उनकी उम्र ढाई साल थी, नृत्य करते समय गिर पड़ी थीं। तभी वह मस्क्युलर डिस्ट्रोपी नाम की बीमारी की शिकार हो गईं। उसके बाद वह फिर कभी अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पाईं। बड़ी होने के बाद आज वह समाज सेवा के साथ ही दिव्यांगजनों का मार्ग दर्शन भी कर रही हैं। इसी विशिष्टता के लिए उनको राष्ट्रपति देश के प्रतिष्ठित सम्मान 'नेशनल अवार्ड फार द इंपावरमेंट ऑफ परसन विद डिसेबिलिटी-2018' से विभूषित करने जा रहे हैं। वह पंजाब की ऐसी पहली महिला साहित्यकार हैं, जिन्हें पैंतीस वर्ष की कम आयु में सम्मानित किया जा रहा है।
इंद्रजीत कौर इस समय 'एबेलिटी ज्वाइंट लाइबिलिटी ग्रुप' की संस्थापक,'नंदन रिशी फाउंडेशन' की अध्यक्ष और 'दिव्यांग कला-साहित्य सभ्याचारक मंच' की कन्वीनर भी हैं। बीकॉम, एमए अर्थशास्त्र कर चुकी इंद्रजीत प्रोफेशनल तौर पर कई एनजीओज के अकाउंट देख रही हैं, उन्हें फाइनेंशियल एडवाइज देती हैं। किसानों को कैमिकल मुक्त खेती और महिलाओं व दिव्यांगजनों की मदद के लिए वह हमेशा आगे रहती हैं। वह आधा दर्जन पुस्तकों का प्रकाशन कर चुकी है। पांच साल पहले उन्होंने बजवाड़ा के एक छोटे से कमरे से बारह सदस्यों के साथ एक ग्रुप की शुरुआत की, जिसमें महिलाएं नमकीन, स्नैक्स, भुजिया, पापड़, मठ्ठी, पीनट्स आदि तैयार करती हैं। यह ग्रुप हैंडीक्राफ्ट से जुड़े काम भी करता है। विपरीत परिस्थितियों से जूझते हुए आज ये महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हैं। उन्होंने वर्ष 2015 में ऋषि फाउंडेशन का गठन किया था। इस संस्था की 40 सदस्य शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और सामाजिक न्याय दिलाने के कार्यरत हैं।
उनको वर्ष 2008 में उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार, 2012 में मदर टैरेसा अवार्ड, 2014 में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर से अवार्ड ऑफ ऑनर, 2018 में पंजाबी यूनिवर्सिटी की करतार सिंह सराभा चेयर की ओर से विशेष सम्मान मिला। वह इस साल 2018 में नासिक में हुए अखिल भारतीय दिव्यांग साहित्य सम्मेलन की अध्यक्षता भी कर चुकी हैं। उनको वर्ष 2013 में स्वामी विवेकानंद स्टेट अवॉर्ड आफ एक्सीलेंस से सम्मानित किया गया था। वर्ष 2014 में उन्हें पंजाबी साहित्य अकादमी अवार्ड से भी नवाजा गया। वह होशियारपुर जिला प्रशासन की ओर से हर वीरवार को दिव्यांग सत्कार अभियान के अंतर्गत लगाए जा रहे कैंपों में भी सहयोग करती हैं।
अमरजीत सिंह आनंद और एडवोकेट विवेक जोशी को अपना प्रेरणास्रोत मानने वाली इंद्रजीत ने पंजाबी लिटरेचर को भी राष्ट्रीय पहचान दिलाई है। इंद्रजीत इस बात की जीती-जागती मिसाल हैं कि अगर इंसान कुछ कर गुजरने की ठान ले तो वह मंजिल हासिल कर ही लेता है। डिप्टी कमिश्नर ईशा कालिया कहती हैं कि उन्होंने आत्म निर्भरता की ओर कदम बढ़ाते हुए शारीरिक असमर्थता के बावजूद अपने पैरों पर खड़े होने की जो नजीर पेश की है, अति प्रशंसनीय है।
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