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सिंधू को बीएमडब्ल्यू कार सौंपेंगे सचिन तेंदुलकर

सिंधू को बीएमडब्ल्यू कार सौंपेंगे सचिन तेंदुलकर

Tuesday August 23, 2016 , 7 min Read

महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर रियो ओलंपिक में रजत पदक जीतकर देश को गौरवांवित करने वाली स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू को बीएमडब्ल्यू कार सौंपेंगे।

सिंधू को बीएमडब्ल्यू कार तेंदुलकर के करीबी मित्र और हैदराबाद बैडमिंटन संघ के अध्यक्ष वी चामुंडेश्वरनाथ दे रहे हैं। रियो में टीम के साथ गए भारतीय बैडमिंटन संघ के सचिव (टूर्नामेंट) पुनैया चौधरी ने कहा, ‘‘वी चामुंडरेश्वरनाथ और उनके मित्र सिंधु को बीएमडब्ल्यू कार तोहफे में दे रहे हैं। सचिन तेंदुलकर यह कार सिंधू को सौंपेंगे।’’ चार साल पहले तेंदुलकर ने लंदन खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली दिग्गज बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल को भी बीएमडब्ल्यू कार सौंपी थी।

तेंदुलकर ने 2012 में एशिया युवा अंडर 19 चैम्पियनशिप में लड़कियों के एकल वर्ग का खिताब जीतने पर भी सिंधू को मारूति स्विफ्ट कार सौंपी थी।

भावी पीढ़ियों के लिए सिंधु एक आदर्श : राज्यपाल

 तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के राज्यपाल ई एस एल नरसिम्हन ने रियो ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाली बैडमिंटन खिलाड़ी पी वी सिंधु की सराहना करते हुए उन्हें भावी पीढ़ियों के लिए एक आदर्श बताया। राजभवन द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार अपने कोच पी गोपीचंद और अपने परिजनों के साथ यहां राजभवन पहुंचीं सिंधु का राज्यपाल एवं उनकी पत्नी ने गर्मजोशी से स्वागत किया और उन्हें दरबार हॉल ले गए। राज्यपाल ने सिंधु और गोपीचंद की तारीफ करते हुए चुनिंदा लोगों की जमात से कहा कि मां, बाप, गुरू और ईश्वर जैसी चार ताकतों की मदद से सिंधु देश को इतनी उंचाइयों पर ले गयीं। उन्होंने सिंधु से कहा, ‘‘आप भावी पीढ़ियों के लिए एक आदर्श बन गयी हैं। देश को आज आप पर गर्व है।’’

आंध्र या तेलंगाना नहीं, भारत की बेटी है सिंधु : गोपी

हैदराबाद, 22 अगस्त : भाषा : आंध्र प्रदेश और तेलंगाना दोनों ही पी वी सिंधु पर अपना हक जता रहे हैं लेकिन इस ओलंपिक रजत पदक विजेता के कोच पुलेला गोपीचंद ने आज कहा कि वह भारत की बेटी है। जब एक पत्रकार ने सिंधु से दोनों राज्यों के बीच चली बहस के बारे में पूछा गया तो गोपीचंद बीच में ही बोल पड़े और उन्होंने इससे उन्होंने यह क्षेत्रीय विवाद भी समाप्त करने की कोशिश की। गोपीचंद ने कहा, ‘‘मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि वह : सिंधु : भारत की बेटी है। वह भारतीय है। ’’ उन्होंने कहा कि यह अच्छा है कि कई सरकारें उनका समर्थन और प्रशंसा कर रही हैं। गोपीचंद ने कहा, ‘‘हमें खुशी है कि सभी : राज्य : इस उत्सव का हिस्सा बनना चाहते हैं और हमारा समर्थन कर रहे हैं। ’’ तेलंगाना सरकार ने आज गचीबावली स्टेडियम में सिंधु और गोपीचंद का सम्मान किया। आंध्र प्रदेश सरकार भी इस तरह की योजना है। इस समारेाह के दौरान तेलंगाना के उप मुख्यमंत्री महमूद अली ने सिंधु को ‘तेलंगाना का गौरव’ जबकि गृहमंत्री एन नरसिम्हा रेड्डी ने ‘तेलंगाना की बेटी’ बताया था।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने सिंधु को पांच करोड़ का चेक सौंपा

हैदराबाद, 22 अगस्त : भाषा : तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने आज ओलंपिक रजत पदक विजेता पी वी सिंधु और उनके कोच पी गोपीचंद को क्रमश: पांच करोड़ और एक करोड़ रूपये के चेक सौंपे। राव ने इसके साथ ही घोषणा की कि राज्य जल्द ही नयी खेल नीति की घोषणा करेगा और अगले बजट में इसके लिये जरूरी धन आवंटित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने सिंधु और गोपीचंद को बधाई दी और उन्हें सम्मानित किया। इन दोनों ने आज मुख्यमंत्री से उनके कार्यालय में मुलाकात की थी। उन्होंने सिंधु के फिजियो के किरण और शटलर के श्रीकांत के लिये भी 25 . 25 लाख रूपये के नकद पुरस्कार की घोषणा की।

स्टार शटलर पीवी सिंधु ने रियो ओलंपिक में भले ही रजत पदक जीत लिया हो लेकिन उनके मेंटर और कोच पुलेला गोपीचंद का मानना है कि उनकी शिष्या अब भी अपनी क्षमता के अनुसार प्रदर्शन करने से काफी पीछे है और उन्होंने कहा कि उसमें दुनिया की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को पछाड़ने की प्रतिभा है।

गोपीचंद ने पत्रकारों से कहा, ‘‘मुझे लगता है कि वह अभी पूरी तरह के बदलाव से काफी दूर है। मेरा मानना है कि वह जितनी सक्षम है, हमने अभी उसकी सिर्फ झलक ही देखी है। उसमें अपार क्षमता है और मैं उसके यह अहसास करने का इंतजार कर रहा हूं। इसमें समय लग सकता है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें धर्य रखना होगा। हमें समझना होगा कि परिणाम भले ही निरंतर नहीं आये, जैसा कि हम चाहते हैं। लेकिन यह अहम है कि वह इसे समझे और कोशिश करे। वह अभी सिर्फ 21 साल की है और उसके पास आगे शायद 10 साल और है। एक बार उसे अहसास हो जाये कि मैं क्या देखता हूं तो वह दुनिया की बाकी खिलाड़ियों से काफी आगे निकल जायेगी। ’’ सिंधु की तारीफों के पुल बांधते हुए गोपीचंद ने कहा, ‘‘सच यही है कि इस बड़े मंच पर जब सबसे ज्यादा जरूरत थी, उसने अच्छा प्रदर्शन किया, यह काफी बड़ी चीज है। कई एथलीटों में आत्मविश्वास तो होता है लेकिन वे अंतिम क्षण में टूट जाते हैं। ’’ गोपीचंद ने कहा, ‘‘हमने काफी अच्छी प्रगति की और रियो में भी हमारी ओलंपिक के लिये तैयारी काफी शानदार रही क्योंकि हम एक ही फ्लैट में रह रहे थे। इसलिये हम अच्छी तरह से हर चीज की योजना बना सके। अच्छी चीज यह रही कि जब मायने रखता था, वह अपना काम पूरा करने में हिचकिचायी नहीं। ’’ जारी

सिंधु ने कहा, बलिदान और ईश्वर की कृपा से मिला रजत

रियो ओलंपिक में रजत पदक जीतने के बाद यहां पहुंचने पर हुए भव्य स्वागत से अभिभूत भारत की चोटी की शटलर पी वी सिंधु ने आज कहा कि उनके बलिदानों और ईश्वर की कृपा से वह रियो में पोडियम तक पहुंचने में सफल रही। सिंधु रियो खेलों में बैडमिंटन के महिला एकल के फाइनल में स्पेन की विश्व में नंबर एक कैरोलिना मारिन से हार गयी थी लेकिन वह ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी। इस 21 वर्षीय खिलाड़ी का स्वदेश लौटने पर भव्य स्वागत किया गया। सिंधु ने कहा, ‘‘मैंने इस तरह के स्वागत की उम्मीद नहीं की थी। बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी ने मुझे बधाई दी। मैं सभी की आभारी और खुश हूं। पहली बात भगवान की कृपा है जो कि बहुत महत्वपूर्ण है। ’’ कोच पुलेला गोपीचंद ने भी उनकी हां में हां मिलाते हुए कहा, ‘‘हमारे सभी प्रयासों के लिये मैं निश्चित तौर कहूंगा कि भगवान ने हम पर कृपादृष्टि बनाये रखी जो कि बहुत महत्वपूर्ण था। थोड़ी सी खांसी और जुकाम भी आपकी राह में बाधा बन सकती थी। हम अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकते है और ईश्वर ने चाहा तो हम जीत सकते हैं और इस पूरी कहानी को मैं इसी तरह से देखता हूं। ’’ 

सिंधु ने कहा कि उन्होंने कभी पदक जीतने के बारे में नहीं सोचा लेकिन एक समय में केवल मैच पर ध्यान दिया और अपना शत प्रतिशत प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा, ‘‘ओलंपिक जाने से पहले मेरा खुद पर विश्वास था और मैंने हर मैच में अपनी तरह से हर संभव प्रयास किया। आज मैं गर्व महसूस कर रही हूं कि मैंने देश का मान बढ़ाया। इसलिए यह सुखद अहसास है। जिम्मेदारियां काफी थी। मैं आगे भी 

सिंधु से जबकि साइना नेहवाल के चोटिल होने के कारण जल्दी बाहर होने के बारे में पूछा गया, उन्होंने कहा, ‘‘साइना : नेहवाल : ने भी अच्छा प्रदर्शन किया और कई टूर्नामेंट जीते हैं।

गोपीचंद के बारे में उन्होंने कहा ‘‘गोपी सर हमेशा प्रेरित करते रहते हैं। वह भले ही दूसरों को गुस्से में लगते हो लेकिन मेरे लिये यह उनकी प्रेरणा थी जिससे मुझे मदद मिली। पिछले दो महीने हमने काफी कड़ी मेहनत की और काफी बलिदान दिये जिसका हमें फल मिला। हमने पदक के बारे में नहीं सोचा था। हमने सिर्फ एक मैच पर ही ध्यान लगाया और मैं खुश हूं कि मैंने पदक जीता। ’’ - पीटीआई-