एक कंपनी जो कभी बेचती थी साबुन और तेल, आज है 83 हज़ार करोड़ रुपये राजस्व वाली दिग्गज आईटी कंपनी
एक कंपनी जो कभी साबुन और वनस्पति तेल का व्यापार किया करती थी आज वो देश की आईटी और एफ़एमसीजी क्षेत्र की सबसे दिग्गज कंपनियों की सूची में शामिल है। एक ऐसी कंपनी जो अपनी आईटी सेवाओं के जरिये देश ही नहीं विदेशों में भी नाम रोशन कर रही है। यह कंपनी है विप्रो जिसकी स्थापना आज़ादी से दो साल पहले यानि साल 1945 में मोहम्मद प्रेमजी ने की थी।
महाराष्ट्र के अमलनेर से शुरू हुई इस कंपनी की सफलता की कहानी उद्योगजगत के साथ ही हम सभी के लिए के लिए एक मिसाल है। विप्रो (WIPRO) का पूरा नाम दरअसल वेस्टर्न इंडिया वेजीटेब्ल्स प्रॉडक्ट लिमिटेड है और कंपनी की शुरुआत सनफ्लावर नाम से वनस्पति तेल और कपड़े धोने के साबुन के निर्माण के साथ हुई थी।
अजीम प्रेमजी ने दी कंपनी को नई पहचान
21 साल की उम्र में ही मोहम्मद प्रेमजी के बेटे अजीम प्रेमजी ने कंपनी को जॉइन कर लिया था, हालांकि अजीम प्रेमजी की कम उम्र को देखते हुए तब कुछ शेयरहोल्डर्स ने उनकी क्षमता पर सवाल भी उठाए थे लेकिन अजीम प्रेमजी ने अपनी लगन और मेहनत के साथ काम करते हुए जल्द ही कंपनी को नए शिखर पर पहुंचाकर उन सभी को गलत साबित कर दिया था।
अजीम प्रेमजी के आने के बाद कंपनी ने साबुन और वनस्पति तेल के अलावा अन्य तमाम उत्पाद भी बनाने शुरू कर दिये थे, जिसमें बिजली के उपकरण, हाइड्रोलिक सिलेन्डर, आईटी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर आदि शामिल थे। इसी के साथ विप्रो ने आईटी सेवाओं में भी अपने कदम आगे बढ़ा दिये थे।
आईटी सेक्टर में कमाया नाम
एक समय तक भारत के आईटी क्षेत्र में दबदबा बनाकर रखने वाली कंपनी आईबीएम ने जब 1977 में भारत से जाने का फैसला किया तब देश के आईटी हार्डवेयर क्षेत्र में नए खिलाड़ियों के लिए तमाम नए मौके सामने आ गए थे और विप्रो ने उस समय का भरपूर फायदा भी उठाया।
यही वो समय था जब अजीम प्रेमजी ने कंपनी का नाम वेस्टर्न इंडिया वेजीटेब्ल्स प्रॉडक्ट लिमिटेड से बदलकर विप्रो कर दिया था। साल 1990 में विप्रो ने आईटी सेक्टर में धमाकेदार एंट्री की और आज यही सेक्टर विप्रो को दुनिया भर में खास पहचान दिला रहा है।
छोड़नी पड़ी थी पढ़ाई
अपने पिता की मृत्यु के बाद विप्रो की कमान संभालने वाले अजीम प्रेमजी को अपनी पढ़ाई अधूरी ही छोड़नी पड़ गई थी। बीते 5 दशकों में अजीम प्रेमजी ने अपनी कंपनी का व्यापार 7 करोड़ रुपये से 12 हज़ार गुना बढ़ाकर 83 हज़ार करोड़ रुपये से भी अधिक कर दिया है। देश की तीसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी का संचालन करने वाले अजीम प्रेमजी को लोग उनकी सादगी की वजह से भी जानते हैं।
हजारों करोड़ रुपये वाली इस कंपनी के मालिक अजीम प्रेमजी आज भी अपनी पुरानी टोयोटा कोरोला कार में ही सफर करना पसंद करते हैं, इसी के साथ उन्हें तमाम बार हवाई जहाज के इकॉनमी क्लास में भी सफर करते हुए देखा गया है। साल 2001 में अजीम प्रेमजी ने अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की स्थापना की थी, ये फाउंडेशन बच्चों की शिक्षा के लिए काम करता है।
साल 2019 में अजीम प्रेमजी ने समाज कल्याण के लिए 52 हज़ार करोड़ दान करने का ऐलान किया था, जबकि कोरोना काल में भी अजीम प्रेमजी ने लगभग 8 हज़ार करोड़ रुपये का दान किया था।
Edited by Ranjana Tripathi