हर कदम पर अलर्ट करता चलता है दृष्टिबाधितों का दोस्त 'लेचल' शूज़
अनिरुद्ध शर्मा और क्रिस्पियन लॉरेंस द्वारा ईज़ाद फुटवियर डिवाइस 'लेचल' दृष्टिबाधितों को, साथ चल रहे उनके दोस्त की तरह गॉइड करता है। 'ड्यूसेर' नाम से अनिरुद्ध और क्रिस्पियन का यह स्टार्टअप इस समय खासकर यूएसए व दक्षिण भारत के बेंगलुरु समेत कई एक शहरों में अपने इस प्रॉडक्शन की डिमांड पूरी कर रहा है।
नवोन्मेषी इंजीनियर अनिरुद्ध शर्मा और उनके दोस्त क्रिस्पियन लॉरेंस ने एक ऐसा फुटवियर डिवाइस ईज़ाद किया है, जो ब्लूटूथ की मदद से यूजर को मैप के माध्यम से डेस्टिनेशन तक पहुंचाने में मदद करता है। ये डिवाइस फुटवियर में फिट होकर वाइब्रेशन के साथ पैरों को कदम-कदम पर अलर्ट और सगे दोस्त की तरह डाइरेक्शन देता रहता है। हैप्टिक फुटवियर डिवाइस जैसा ये इनोवेटिव इनोवेशन कई तरह की स्टडी के बाद कामयाब हुआ है।
आज से लगभग सात साल पहले वर्ष 2012 में दोनों ने मिलकर 'ड्यूसेर' नाम से अपनी कंपनी रजिस्टर्ड कराने के साथ ही इस डिवाइस स्टार्टअप को पहली बार नया आयाम दिया। अनिरुद्ध बताते हैं कि इस समय दक्षिण भारत के बेगलुरु समेत कई एक शहरों एवं यूएसए में 'ड्यूसेर' के 'लेचल' शूज डिवाइस की ऑनलाइन काफी डिमांड है, जिसकी आपूर्ति में उनका कंपनी प्रबंधन जुटा हुआ है।
'लेचल' का हिंदी में मायने भी बखूबी है, ले चल, यानी ले चलो। यही काम तो करता है 'लेचल' शूज डिवाइस। दरअसल, एमआईटी और यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के स्नातक अनिरुद्ध शर्मा और लॉरेंस अपनी इस 'लेचल' नाम की शूज डिवाइस को सिर्फ एक प्रॉडक्ट ही नहीं मानते, बल्कि इसके पीछे उनका सोशल कॉंसेप्ट भी है, जो फिजिकली विकलांग व्यक्ति की जिंदगी को आसान करने में एक महत्वपूर्ण उपकरण की तरह काम आ रहा है।
'ड्यूसेर' ने स्मार्ट चश्मे और स्मार्ट घड़ियों के बाद, हमारे जीवन में स्मार्ट जूते का हैरतअंगेज आविष्कार किया लेकिन यह हमारे देश में अभी आम दृष्टिबाधित लोगों के लिए पहुंच से बाहर है। इसका निर्माण सिकंदराबाद स्थित कंपनी डुकेरे टेक्नोलॉजीज द्वारा किया जा रहा है।
ये जूते स्मार्टफोन के साथ एक ऐप के माध्यम से उपयोगकर्ताओं को विभिन्न प्रकार की जानकारी प्रदान करने के लिए सिंक करते हैं, जैसे- आपके गंतव्य की दिशाओं से लेकर आपके द्वारा जलाए गए कैलोरी की संख्या तक।
इसका जीपीएस-आधारित ऐप गूगल मैप्स से जूतों को जोड़ने में मदद करता है। इसके दिशा-निर्देश उपयोगकर्ता को या तो बाएं या दाएं जूते में कंपन के माध्यम से रिले करते हैं। ऐप आपके फिटनेस लक्ष्य, आपके द्वारा कवर की जाने वाली दूरी और आपके द्वारा अक्सर यात्रा करने वाले मार्गों को ट्रैक कर सकता है।
पहली बार अनिरुद्ध को ऐसी डिवाइस का आइडिया वर्ष 2007 मिला। उन दिनो वह ग्रेजुएट कर रहे थे। एक दिन उन्होंने एक जापानी वीडियो में देखा कि एक इंजीनियर टच बेस्ड स्क्रीन पर उंगलियां फेर रहा है। इससे पहले उन्हे ऐसी किसी टेक्नोलॉजी के बारे में कत्तई कोई जानकारी नहीं थी।
जब उन्होंने अपनी ग्रेजुएट की पढ़ाई पूरी कर ली, उसके बाद वह मेसाच्युसेट यूनिवर्सिटी पहुंच कर वहां क्रिस्पियन लॉरेंस से मिले और तभी से दोनो इस आइडिया पर काम करने लगे कि दृष्टिबाधित लोगों के लिए वह किस तरह के डिवाइस का आविष्कार करें। इस पर वे दोनो वर्षों तक तरह तरह की स्टडी और जुगत भिड़ाते रहे। आखिरकार उन्हे वर्ष 2010-11 में शूज में डिवाइस को फिट कर ब्लूटूथ से मैप कनेक्टिविटी कर वाइब्रेशन से पैरों को डायरेक्शन का अहसास कराने वाली कामयाबी मिली।
उसके बाद दोनों ने अपनी नौकरियां छोड़ दीं और उन्होंने बाकायदा स्टार्टअप के रूप में सिकंदराबाद के एक अपार्टमेंट में ड्यूकेयर टेक्नोलॉजीज के रूप में 'ड्यूसेर' कंपनी बनाकर इस प्रॉडक्ट को आम दृष्टिबाधित लोगों के लिए बाजार में उतार दिया।
अनिरुद्ध शर्मा बताते हैं कि 'लेचल' जूता हैप्टिक फीडबैक की अवधारणा पर काम करता है, जिसका अर्थ है कि यह कंपन के माध्यम से निर्देश प्रदान करता है, जिसकी तीव्रता को आगामी मोड़ को इंगित करने के लिए अनुकूलित किया जा सकता है, चाहे वह 500 मीटर या 50 मीटर दूर हो।
एक बार जब उन्होंने उत्पाद और इसके अनुप्रयोगों की श्रेणी का परीक्षण शुरू कर दिया, तो दोनों को एहसास हुआ कि यह तो आज लोगों की एक बड़ी जरूरत है।
इस समय उनकी कंपनी दो तरह के प्रॉडक्शन कर रही है- जूते का एक पूरा सेट और सिर्फ लेचल इनसोल, जो किसी भी सामान्य जोड़ी के जूते में फिट हो सकता है।