इम्यून सिस्टम है कुछ ज्यादा ही मजबूत, तो आप हो सकते हैं एक गंभीर बीमारी का शिकार
क्या बला है ये ल्यूपस?
अजीब हैं शरीर के समीकरण भी। इम्यून सिस्टम कम हो तो दिक्कत, अधिक हो तो दिक्कत। वैसे किसी भी चीज़ का ज़रूरत से ज्यादा होना हमेशा घातक ही सिद्ध होता है, ठीक उसी तरह जिस तरह किसी चीज़ की कमी के चलते परेशानियां खड़ी हो जाती हैं। आईये जानें उस बीमारी के बारे में जो शरीर में रह रहे ज़रूरत से अधिक इम्यून सिस्टम की वजह पैदा होती है!
जब रक्षक भक्षक बन जाए तब आप क्या करेंगे? ऐसा ही कुछ शरीर के साथ भी होता है। इम्युनिटी शरीर की रोगों से लड़ने में मदद करती है, मगर कई बार ये परेशानी का कारण बन सकती है। आप भी जानें, कैसे...
ल्यूपस एक ऐसा रोग होता है, जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक उत्तेजित होकर स्वस्थ उत्तकों और कोशिकाओं पर हमला कर देती है। ल्यूपस के लक्षणों की पहचान और भी कठिन चुनौती है, क्योंकि यह हर व्यक्ति के हिसाब से बदलते रह रहते हैं। जब रक्षक भक्षक बन जाए तब आप क्या करेंगे? ऐसा ही कुछ शरीर के साथ भी होता है। इम्युनिटी शरीर की रोगों से लड़ने में मदद करती है, मगर कई बार ये परेशानी का कारण बन सकती है।
ल्यूपस में शरीर की इम्युनिटी के हेल्थी ऊतकों पर ही हमला करने लगती है। ल्यूपस शरीर के विभिन्न अंगो को नुकसान पहुंचाता है। सूजन, टिशू और जोड़ो में दर्द, स्किन, ब्लड, हृदय, फेफड़े, डाइजेशन सिस्टम और आँखों में नुकसान हो सकता है। ल्यूपस के कारण इम्यून सिस्टम एंटीजन और हेल्दी टिशूज के बीच का फर्क नहीं समझ पाती। इस कारण बॉडी पर अटेक करने वाले वायरस हेल्दी टिशूज पर पर हमला करने लगते है। सबसे ज्यादा चिंता वाली बात यह है कि यह बीमारी भी कैंसर, तपेदिक, एड्स की तरह खतरनाक है और समय रहते इसका पता चलने पर इसके दुष्प्रभावों को कम करने में काफी हद तक सफलता मिल सकती है। चूंकि इस तकलीफ से कई सारे अंग जुड़े हो सकते हैं इसलिए इसके लक्षण भी कई अन्य बीमारियों से मिलते-जुलते होते हैं और यही वजह है कि इसको डायग्नोज करना थोड़ा मुश्किल होता है। लेकिन वह लक्षण जो इसके होने की काफी हद तक पुष्टि कर सकता है वह है चेहरे पर पड़ने वाला एक चकत्ता जो तितली के पंखों की तरह दिखाई देता है और दोनों गालों पर फैला हो सकता है।
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एक छिपी हुई घातक बीमारी
ल्यूपस कई तरह के होते हैं, इनमें सिस्टेमिक ल्यूपस सबसे सामान्य है। इसके अलावा डिस्कॉड, ड्रग-इन्ड्यूसड और नियोनेटल ल्यूपस भी होते हैं। इस बीमारी में दवाओं के जरिये महीनों ट्रीटमेंट दिया जाता है। हड्डियों को मजबूत करने की दवाइयां खास तौर पर दी जाती है। डॉक्टरों का कहना है कि इस बीमारी का उपचार महंगा है और यह आर्थिक बोझ पैदा करने वाला है। ल्यूपस बीमारी से एक बार प्रभावित होने के बाद मरीज को जीवन भर उपचार की जरूरत होती है। वहीं कई मामलों में मरीज बीमारी के फर्स्ट लाइन ड्रग प्रभाव नहीं दिखाता। ऐसे मामलों में जैविक एजेंटों वाली सेकेंड लाइन ड्रग के जरिये उपचार करना पड़ता है। जिसकी कीमत आर्थिक रुप से मजबूर मरीजों के बस की बात नहीं रह जाती है।
ल्यूपस तंत्रिकाओं की एक खतरनाक बीमारी है जो धीरे-धीरे शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित करती है लेकिन चिकित्सा जगत की उन्नत तकनीक के बावजूद इस बीमारी का पता चलने में महीनों लग सकते हैं, और इसके घातक परिणाम सामने आ सकते हैं।
जागरूकता की सख्त जरूरत
इसके अलावा इस बीमारी को लेकर व्यापक स्तर पर जागरूकता भी फैलाई जानी चाहिए। भारत जैसे विकासशील देश में सार्वजनिक स्तर पर नीति निर्माताओं और चिकित्सकों के बीच ल्चूपस से संबंधित जानकारी बेहद निराशाजनक है। यहां तक कि विश्व स्वास्थ्य संगठन, जो हृदय रोग, कैंसर और मधुमेह, मेलेटस जैसी पुरानी बीमारियों को लेकर गंभीर है, उनकी ओर से भी ल्यूपस का गंभीरता से उल्लेख नहीं किया जाता। सरकार द्वारा इसे विशेष सूची में शामिल होने से ल्यूपस प्रभावित मरीजों को राहत मिलेगी।
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कुछ देशों में अक्टूबर माह को ल्यूपस जागरूकता माह के तौर पर मनाया जाता है। ल्यूपस के मरीजों की संख्या हालांकि बहुत कम है, लेकिन चिंताजनक बात यह है कि लोग इस बीमारी के बारे में नहीं जानते। इसके लिए सरकार को कोई अभियान चलाना चाहिए।
किसी एक टेस्ट से पता नहीं चल सकता कि मरीज को ल्यूपस है, कई परीक्षणों की जरूरत होती है। अनुसंधानों के नतीजे बताते हैं कि अनुवांशिक कारण, पर्यावरणीय कारण और संभवत: हार्मोन आदि इस बीमारी के लिए जिम्मेदार हैं।
कैसे होता है ल्यूपस का इलाज
आज के दौर में डॉक्टर ल्यूपस का इलाज करते समय कई दवाओं का इस्तेमाल करते हैं। इसमें से कुछ दवाओं का असर माइल्ड होता है, तो कुछ बेहद स्ट्रॉन्ग होती हैं। दवाओं का चयन मरीज की जरूरत और रोग की गंभीरता के आधार पर किया जाता है।
डॉक्टर द्वारा सुझाई गई दवाओं की मात्रा ल्यूपस के इलाज के दौरान ही बदल सकती हैं। हालांकि, कई बार ल्यूपस के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए सही दवा का चयन करने में हेल्थ केयर टीम को महीने लग जाते हैं और कभी-कभार तो दवाओं का सही सम्मिश्रण तैयार करने में बरसों का समय लग जाता है। मांसपेशियों का विशेषज्ञ यानि कि रह्यूमेटोलॉजिस्ट ही ल्यूपस का इलाज करता है।
अगर ल्यूपस किसी विशिष्ट अंग को नुकसान पहुंचाता है, तो अन्य विशेषज्ञों से सहायता ली जा सकती है। उदाहरण के लिए त्वचा संबंधी ल्यूपस के लिए किसी डरमोटोलॉजिस्ट की मदद ली जा सकती है और हृदय रोग के लिए कार्डियोलॉजिस्ट को संपर्क साधा जा सकता है। गर्भवती महिला को अगर ल्यूपस हो जाए तो उसे काफी सावधानी बरतनी चाहिए।
क्या करें, क्या न करें
एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर सब्जियों और फलों का सेवन करें। अलसी, कैनोला ऑइल, ऑलिव ऑइल, मछली, अलसी, मूंगफली आदि का सेवन जरुरी है। हड्डियों और मसल्स को मजबूत बनाने के लिए लो फैट मिल्क, दही या योगर्ट, चीज, पालक और ब्रॉकली जैसी चीजें खाएं। अल्फाल्फा स्प्राऊट्स, टैबलेट्स और बीजों से बचकर रहें। ये लक्षणों को तीव्र करने का कारण बन सकते हैं।
बेक्ड और तले हुए भोजन को भूल जाएं। साथ ही क्रीम से भरपूर खाद्य और हाई फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट का भी कम सेवन करें। बैंगन, आलू और टमाटर जैसी चीजें इस बीमारी में कुछ लोगों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इनका प्रयोग सही सलाह से करें। शराब से बचें और नमक का सेवन सीमित करें।