18 साल के लड़के ने 5 हज़ार रुपए से शुरू किया स्टार्टअप, 3 साल में कंपनी का रेवेन्यू पहुंचा 1 करोड़
हुसैन ने मात्र 5 हज़ार रुपए के निवेश के साथ 2015 में ‘हैकर कर्नल’ (HackerKernel) नाम से एक स्टार्टअप की शुरुआत की थी और आज की तारीख़ में हुसैन का स्टार्टअप 1 करोड़ रुपए का रेवेन्यू कमा रहा है।
हुसैन फ़्रीलांसिंग सिर्फ़ इसलिए करते थे, ताकि वह ख़ुद से ही इंटरनेट का बिल दे सकें। इसके बाद प्रोफ़ेशनल क्षेत्र में काम करने का पहला मौक़ा उन्हें तब मिला, जब उनके पास एक लोकल ब्रैंड से ई-कॉमर्स वेबसाइट बनाने का ऑफ़र आया।
हुनर और कुछ कर दिखाने की चाहत, अगर आपस में जुगलबंदी कर लें तो उम्र की सीमाओं को पार कर लेना कुछ मुश्क़िल काम नहीं है। भोपाल के हुसैन सैफी की कहानी कुछ ऐसा ही उदाहरण पेश करती है। हुसैन ने मात्र 5 हज़ार रुपए के निवेश के साथ 2015 में ‘हैकर कर्नल’ (HackerKernel) नाम से एक स्टार्टअप की शुरुआत की थी और आज की तारीख़ में हुसैन का स्टार्टअप 1 करोड़ रुपए का रेवेन्यू कमा रहा है।
2015 तक हुसैन सैफ़ी के पास अपनी कमाई के ज़रिए खुल चुके थे और वह अपने पिता की जूतों की दुकान में ही कोडिंग सीखा करते थे। आज करीबन 3 साल बाद, हुसैन 21 साल के हो चुके हैं, कम्प्यूटर ऐप्लिकेशन में ग्रैजुएशन पूरा कर चुके हैं। इतना ही नहीं, भोपाल के सबसे प्रभावी और क़ामयाब स्टार्टअप्स में से एक, हैकर कर्नल को भी चला रहे हैं। यह एक सॉफ़्टवेयर सर्विस स्टार्टअप है, जिसे बनाने में 5 हज़ार रुपए से भी कम की लागत आई और हाल में यह 1 करोड़ रुपए से भी अधिक का रेवेन्यू पैदा कर रहा है।
तीन साल से भी कम वक़्त में हुसैन ने एक कंपनी खड़ी कर ली, जिसमें 25 इंजीनियर काम करते हैं और हुसैन का स्टार्टअप 200 से भी अधिक कंपनियों को अपनी सुविधाएं मुहैया करा रहा है। उनकी क्लाइंट लिस्ट में एडुज़िना, ज़िंगफाई और मैडक्यू जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं।
हुसैन उन हुनरमंद बच्चों में से थे, जिन्होंने कम उम्र में ही बहुत आगे की प्लानिंग कर ली थी। महज़ 12 साल की उम्र से ही हुसैन अपने बल पर C++ और एचटीएमएल (HTML) सीख रहे हैं। 2015 में उन्होंने बतौर फ़्रीलांस डिवेलपर काम करना शुरू किया था। हुसैन फ़्रीलांसिंग सिर्फ़ इसलिए करते थे, ताकि वह ख़ुद से ही इंटरनेट का बिल दे सकें। इसके बाद प्रोफ़ेशनल क्षेत्र में काम करने का पहला मौक़ा उन्हें तब मिला, जब उनके पास एक लोकल ब्रैंड से ई-कॉमर्स वेबसाइट बनाने का ऑफ़र आया। हुसैन ने इस ऑफ़र को स्वीकार कर लिया और प्रोफ़ेशनल क्षेत्र में अपना पहला कदम रखा।
हुसैन बताते हैं कि उनका पहला क्लाइंट एक लोकल फ़ास्ट-फ़ूड ब्रैंड था और उस आउटलेट पर बहुत ही अच्छे बर्गर मिलते थे, लेकिन उसके मालिक को इंटरनेट की क्षमता का बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था। हुसैन ने बताया कि उन्होंने ही रेस्तरां के मालिक को वेबसाइट बनाने और ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक अपनी बात को पहुंचाने का सुझाव दिया।
इस वेबसाइट को बनाने के बदले हुसैन को 5 हज़ार रुपए का भुगतान हुआ, जिसका निवेश उन्होंने अपने स्टार्टअप की शुरुआत के लिए कर दिया। अपने पिता की दुकान में काम करते हुए ही उन्होंने जावा स्क्रिप्ट और ऐंड्रॉयड डिवेलपमेंट के बारे में पढ़ना शुरू किया; उन्होंने प्रोग्रामिंग पर ब्लॉग लिखना और यूट्यूब विडियो बनाना भी शुरू किया। इन सभी कामों की बदौलत उनकी समझ बेहतर हुई और 2015 में उन्होंने अपने स्टार्टअप, हैकर कर्नल की शुरुआत की।
हुसैन बताते हैं कि अपने यूट्यूब विडियोज़ की मदद से उन्हें काफ़ी लोकप्रियता मिली और लोग उनके पास अपने प्रोजेक्ट्स लेकर आने लगे। हुसैन ने इन प्रोजेक्ट्स के लिए 15-20 हज़ार रुपए मासिक फ़ीस चार्ज करना शुरू कर दिया। जब हुसैन के पास यह काम काफ़ी बढ़ गया तो उन्होंने अपने दोस्त रितिक सोनी की मदद लेना शुरू किया। कुछ ही समय में भोपाल और इंदौर के स्टार्टअप्स हैकर कर्नल के पास बतौर क्लाइंट आने लगे। इसके बाद 2016 में हुसैन के दूसरे सहयोगी यश डाबी ने भी उनके साथ करना शुरू कर दिया और कंपनी मोबाइल ऐप्लिकेशन्स भी बनाने लगी। हुसैन के साथ स्टार्टअप से जुड़े दोनों ही को-फ़ाउंडर्स सैलरी लेते थे क्योंकि स्टार्टअप का रेवेन्यू लगातार बढ़ रहा था। हर आईटी प्रोजेक्ट का भुगतान पहले से ही होने लगा था।
आपको बता दें कि हैकर कर्नल, पूरी दुनिया के स्टार्टअप्स और एंटरप्राइज़ेज के लिए मोबाइल और वेब ऐप्लिकेशन्स डिवेलप करने का काम करता है। दुबई, यूएस और जापान में भी कंपनी के क्लाइंट्स मौजूद हैं। हुसैन का स्टार्टअप टियर-II शहरों के उन चुनिंदा स्टार्टअप्स में से एक है, जो इतनी सफलता के साथ लगातार आगे बढ़ रहा है।
हुसैन ने बताया कि उनका स्टार्टअप फ़्लटर और रीऐक्ट नेटिव जैसी तकनीकों पर भी काम कर रहा है और आने वाला समय ऐसी तकनीकों का ही है। ई ऐंड वाई के मुताबिक़, भारत में 50 मिलियन से भी अधिक छोटे और मध्यम स्तर के उद्योग हैं और 20 हज़ार से भी ज़्यादा स्टार्टअप्स बाज़ार में कदम रख चुके हैं। 2 साल पहले से शुरू हुए स्टार्टअप इंडिया प्रोग्राम के बाद 8 हज़ार से ज़्यादा स्टार्टअप्स इस लिस्ट में शामिल हुए हैं।
हैकर कर्नल, टाइम और मैटेरियल मॉडल पर काम करता है। अगर कोई क्लाइंट, कंपनी के माध्यम से अपना ऐप डिवेलप कराना चाहता है तो कंपनी प्रोजेक्ट की जटिलता और उसपर खर्च होने वाले वक़्त के हिसाब से अपनी फ़ीस चार्ज करती है। कंपनी पूर्व-निर्धारित शर्तों पर गारंटी के साथ काम करती है। एक सामान्य सी ई-कॉमर्स वेबसाइट के लिए कंपनी 5 हज़ार से 20 हज़ार रुपए तक चार्ज करती है।
हालिया समय में, छोटे से छोटे उद्योग के लिए वेबासाइट और ऐप की ज़रूरत पड़ती है। हैकर कर्नल, छोटे और मध्यम स्तरीय उद्योगों की ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर एक प्रभावी मौजूदगी दर्ज कराने में मदद करता है। एनयू वेंचर्स के फ़ाउंर वेंक कृष्णन कहते हैं कि छोटे और मध्यम स्तर के उद्योग ही भारत के असली नियोक्ता हैं।
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