अच्छा मूड और अच्छी सेहत, सिर्फ एक प्याली “लीफ टी”
चाय में, चाय की पत्तियों के साथ फल, फूल और मसालों के प्राकृतिक टुकड़े
आकाश तकवानी की “टीसेज” परोस रही है प्याला
दुनिया भर हर दिन करीब तीन बिलयन से ज्यादा चाय की प्यालियां पी जाती हैं। टेबलों पर सजती, एक हाथ से दूसरे हाथ में पहुंचती चाय की गर्म प्याली, सभी तरह के लोगों की पेट को शांत करती है। चाय संस्कृतियों के अतिक्रमण के बावजूद निष्पक्ष है और उन देशों में भी पसंद की जाती है, जहां की जलवायु में ‘चाय पत्ती’ अंकुरित नहीं हो पाती (आयरलैंड और ब्रिटेन दुनिया भर में प्रति व्यक्ति चाय की खपत में क्रमशः तीसरे और पांचवें रहे हैं)। चाय में इतिहास और पारम्परिक मौजूदगी है। यह चाय को बहुत बाजारी उत्पाद बनाने में मदद करता है।
आकाश तकवानी ने “टीसेज” की शुरुआत के समय अपने लक्ष्य को वैश्विक रखा। टीसेज की चाय में, चाय की पत्तियों के साथ फल, फूल और मसालों के प्राकृतिक टुकड़े मिलें हैं।
टीसेज की नींव
आकाश बताते हैं “चीन में वैश्विक उद्यमिता कार्यक्रम के दौरान मुझे चाय पत्ती की संस्कृति और इससे जुड़े स्वास्थ्य लाभों के विषय में पता चला। मैं क्लासरूम, बिजनेस मीटिंग, ट्रेन कहीं भी जाता, वहां गर्म पानी की सुविधा हमेशा रहती थी। लोग अपने साथ में चाय पत्तियों के बैग (टी बैग) लेकर चलते थे, फिर मैंने इस पर रिसर्च की। मैं यह जानकार चौंक गया कि यह स्वास्थ्य के लिए कितनी फायदेमंद है।
दुनियाभर में फैले चाय उद्योग ने आकाश को एक व्यवसाय का विचार देने में मदद की और इसके बाद वह भारत को बाज़ार बनाने की सोच रहे थे। आकाश कहते हैं “चाय के मामले में भारत, चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता, दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है। आंकड़े बताते हैं कि दुनिया में वैश्विक उत्पादन का लगभग करीब 30 प्रतिशत और और उत्पादित चाय का करीब 25 प्रतिशत सेवन भारत में किया जाया है।”
दि एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ़ इंडिया के अनुसार भारतीय चाय उद्योग कुल टर्नओवर 2015 में 33 हज़ार करोड़ का है। इसमें पूरे बाज़ार का 55 प्रतिशत हिस्सा ब्रैंडेड मार्किट का है और यह करीब 20 प्रतिशत से बढ़ रहा है, अनब्रैंडेड मार्किट 10 प्रतिशत सालाना दर से बढ़ रहा है।
भारतीय रसोई में लीफ टी की खुशबू
पिछले दो सालों में आकाश एक रीटेल ब्रांडिंग संस्था में बिजनेस डेवलपमेंट मैनेजर के तौर पर कार्य कर रहे थे और उनको “भारत में आधुनिक रिटेल फॉर्मेट में ग्रीन टी” के विषय पर रिसर्च करने का कार्य सौंपा गया। आकाश अपने इस अनुभव को बताते हैं, “बाज़ार में ग्रीन टी का इतना ज्यादा बोलबाला देखकर मैं चौंक गया लेकिन यह देख के निराश भी हुआ कि मुझे कहीं “लीफ टी” नहीं मिली सकी।”
लेकिन जल्द ही आकाश ने इस निराशा को एक व्यवसाय के अवसर में बदल दिया। वह कहते हैं “मैंने ऑनलाइन और ऑफलाइन बहुत गहरी रिसर्च शुरू की, मैंने इससे जुड़े लेख पढ़े, वीडियो देखे, चीन के दोस्तों से गहरी जानकारी ली, चाय एक्सपो में भाग लिया और सप्लायर्स से मिला।” इस सब के बाद उनके लिए इससे जुड़ी कोई जानकारी रहस्य नहीं रही।
इसके लाभों में ह्रदय सम्बन्धी रोगों का मुकाबला करना, कोलेस्ट्रॉल कम करना, त्वचा की रक्षा करना, कैंसर को दूर रखना और हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाना शामिल है। इसके अतिरिक्त इस चाय से कैलरी, फैट नहीं बढ़ता। आकाश कहते हैं कि “भारत में सामान्य रूप से लोगों को ग्रीन टी के फायदे मालूम हैं। लोगों को यह पता होना मेरा सौभग्य था। व्यवसाय में मेरा पहला कदम ग्रीन टी को लीफ के रूप में सब जगह उपलब्ध कराना था।”
कर्म की प्रेरणा
आकाश अपनी प्रेरणा के बारे में बताते हुए अपने फाइनेंस प्रोफ़ेसर पीटर बीरो के लेक्चर को याद करते हैं, “उन्होंने ने केवल एक पीएफटी तैयार की थी, जिसमे सफेद कागज पर काले अक्षरों में जेएफडीआई लिखा था। हम सब इसका मतलब जानते थे पर किसी के पास कोई जवाब नहीं था। कुछ देर बाद उन्होंने इसका मतलब बताया जो कर्म करने की प्रेरणा देता है।”
पीटर बीरो ने क्लास को बताया कि “आप कभी क्लासरूम में बैठ के समस्या का समाधान नहीं कर सकते, आपको बाजार में जाने की जरूरत है, आपको कोशिश करने से झिझकने की जरुरत नहीं है।”
“शुरुआत में सबसे बड़ी मुश्किल अपने लक्ष्य के प्रति दृढ रहना है। आपको बहुत से लोग मिलेंगे जो आपके आईडिया पर सहमत नहीं होंगे। अपने लक्ष्य पर भरोसा करके उसके प्रति पूरे प्रयास करना बहुत जरूरी है। दृढ़ता ही कुंजी है” आकाश कहते हैं।
नयेपन से बाजार के अवसरों को भुनाना ही एक सफल कम्पनी बनाने के जरूरी नहीं है, जबकि फल और हरी पत्तियां की बनी चाय में बाजार में विजेता उत्पाद बनने की क्षमता है। यह बस चाय को सही कप में परोसने की बात है।