शक्कर कारखाना खुलने से 21 हजार से अधिक किसानों की आर्थिक स्थिति में हुआ सुधार
यह लेख छत्तीसगढ़ स्टोरी सीरीज़ का हिस्सा है...
धान और चने का रकबा घटा है। हर साल इसका रकबा बढ़ रहा है। कबीरधाम जिले के किसान गन्ने की उन्नत खेती के बारे में जानकारी ले रहे हैं। अपने उत्पादन को और बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इससे से अंदाजा लगाया जा सकता है कि शक्कर कारखाना खुलने के बाद यहां की परिस्थितियां कैसे बदली हैं।
इस साल दोनों कारखानों को मिलाकर सात लाख 93 हजार पांच मेटरिक टन गन्ने की खरीदी हुई और शत-प्रतिशत पेराई भी। इससे छह लाख 75 हजार 925 क्विंटल शक्कर का उत्पादन किया गया।
गन्ने की खेती से किसानों की आय बढ़ी है। कबीरधाम जिले के तकरीबन 21 हजार से अधिक किसाना गन्ने की खेती कर रहे हैं। इधर फैक्ट्री में गन्ने से शक्कर बन रहा है और उधर हरेक किसान को प्रति एकड़ 50 हजार का फायदा भी हो रहा है। इसी के परिणाम स्वरूप आज कम से कम दो एकड़ रकबे में गन्ना उगाने वाले किसान के पास भी ट्रैक्टर है। वह अपनी फसल खुद फैक्ट्री तक पहुंचाता है और प्रॉफिट कमाता है। जिले में गन्ने की उन्नत खेती करने वाले किसानों में शामिल हैं जायसवाल। उनका कहना है कि 2002-03 में जब कारखाना खुला तो सात हजार 800 एकड़ में गन्ना लगता था। प्रॉफिट समझ में आया तो किसानों की रुचि बढ़ी। एक के बाद एक सभी किसान गन्ने की खेती से जुड़ते चले गए। आज 67 हजार एकड़ में गन्ने की खेती हो रही है।
धान और चने का रकबा घटा है। हर साल इसका रकबा बढ़ रहा है। कबीरधाम जिले के किसान गन्ने की उन्नत खेती के बारे में जानकारी ले रहे हैं। अपने उत्पादन को और बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इससे से अंदाजा लगाया जा सकता है कि शक्कर कारखाना खुलने के बाद यहां की परिस्थितियां कैसे बदली हैं। जायसवाल का कहना है कि किसानों की रुचि को देखते हुए ही मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने दो साल पहले एक और कारखाने की घोषणा की थी। आज वह कारखाना ही अस्तित्व में आ चुका है। निश्चित तौर पर इससे किसानों को फायदा होगा। पहले किसान धान की खेती करता था। बारिश पर उसकी निर्भरता थी। आज गन्ने की फसल से हुई प्रॉफिट का नतीजा है कि बारिश पर उनकी निर्भरता खत्म हो चुकी है।
हर एक किसान के खेत में बोर है। उसके पास ट्रैक्टर सहित वे सारे संसाधन हैं, जो गन्ने की खेती के लिए जरूरी हैं। शक्कर कारखाने की वजह से 511 गांवों में गन्ने का उत्पादन हो रहा है। इसमें पंडरिया, कवर्धा और सहसपुर लोहारा ब्लॉक में 288 गांव शामिल हैं। इन सभी ब्लॉकों के किसान पहले धान की खेती किया करते थे। पानी गिरा तो ठीक और नहीं गिरा तो अकाल। पंचायत की बैठकों में इसी पर चिंता हुआ करती थी। अब बैठकों में चर्चा का विषय ही बदल गया है। किसान अपने प्रॉफिट का हिसाब लगाने लगे हैं। एक-दूसरे से सीख रहे हैं। बड़ी बात ये कि उत्पादन बढ़ाने को लेकर वे अपने अनुभव भी साझा करने लगे हैं। कबीरधाम जिले में फिलहाल दो शक्कर कारखाने हैं।
पहला है भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना मर्यादित कवर्धा और दूसरा है लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल सहकारी शक्कर कारखाना पंडरिया। पहले की पेराई क्षमता है 3500 टीसीडी और दूसरे की 2500 टीसीडी। यानी दूसरा कारखाना खुलने के बाद कुल 6000 टीसीडी पेराई हो रही है। पहले में 6 मेगा वाट का पॉवर प्लांट लगा है और दूसरे में 14 मेगा वाट का। कारखाने में गन्ना पेराई का लक्ष्य 8.50 लाख मेटरिक टन है, लेकिन अनुमानित उत्पादन 11.16 लाख मेटरिक टन है। इसी से समझ आता है कि गन्ने की खेती को लेकर किसान कितना उत्साही है। अब कारखाने की उत्पादन क्षमता पर नजर डालते हैं। बताया गया कि इस साल दोनों कारखानों को मिलाकर सात लाख 93 हजार पांच मेटरिक टन गन्ने की खरीदी हुई और शत-प्रतिशत पेराई भी। इससे छह लाख 75 हजार 925 क्विंटल शक्कर का उत्पादन किया गया। केवल यही नहीं कारखानों में लगे पॉवर प्लांट से 168.52 लाख यूनिट बिजली भी तैयार की गई। इस तरह गन्ने की खेती और शक्कर के उत्पादन से कबीरधाम का किसान आर्थिक रूप से सक्षम और संपन्न हो रहा है।
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