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टीवी पत्रकारिता छोड़ शेफ बनी मंदाकिनी गुप्ता

पेस्ट्री शेफ बनने के लिए छोड़ी टीवी पत्रकारिता...दिल्ली में कर रही हैं कारोबार...‘Smitten’ के नाम से बांट रही हैं मिठास....शाहिद कपूर सहित कई सेलिब्रेटीज़ की शादियों के किये आर्डर

टीवी पत्रकारिता छोड़ शेफ बनी मंदाकिनी गुप्ता

Friday July 24, 2015 , 6 min Read

शौक बहुत बड़ी चीज़ है और इंसान शौक के लिए क्या क्या नहीं कर सकता। कुछ ऐसा ही मंदाकिनी गुप्ता ने किया। जिन्होंने अपने शौक को पूरा करने के लिए टीवी पत्रकार की नौकरी छोड़ शेफ बनने का फैसला लिया। वो बचपन से अपनी मां को खाना पकाते हुए देखती थी और पांच साल की उम्र में ही उन्होंने तय कर लिया था कि एक दिन वो भी शेफ बनेंगी। उन्होंने अपनी पढ़ाई एशियन कॉलेज ऑफ जर्नलिज्म से पूरी की और टीवी पत्रकार बन गई। मंदाकिनी मानती हैं कि पांच साल पहले तक वो एक साधारण सा चॉकलेट केक तक नहीं बना सकती थी, लेकिन जब उन्होंने एक बार इस बारे में फैसला कर लिया तो आज वो पेस्ट्री शेफ गई हैं। ऐसा बनने के लिए उन्होंने टीवी पत्रकार के आकर्षक कैरियर को भी दांव पर लगा दिया।

मंदाकिनी गुप्ता

मंदाकिनी गुप्ता


पेस्ट्री शेफ बनने के लिए मंदाकिनी ने दिल्ली के पार्क होटल में इंटर्नशिप की। इसके लिए उनको घंटों खड़ा रहना पड़ता था। वहां मौजूद 50 फ्रीज की रगड़ कर सफाई करनी होती थी और ये सब इसलिए ताकि वो एक दिन अच्छी पेस्ट्री बनाना सीख जाएं। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और शुरूआत में उनको हफ्ते में दस ऑर्डर तक मिल जाते थे और अब तीन सालों के अंदर सौ से ज्यादा ऑर्डर पर वो काम कर रही हैं। उनकी बनाई पेस्ट्री के ना सिर्फ आम ग्राहक मुरीद हैं बल्कि बॉलिवुड भी इससे अछूता नहीं है। तभी तो किसी को भी इस बात को लेकर आश्चर्य नहीं हुआ कि जब शाहिद कपूर ने दिल्ली में शादी कि तो उन्होंने हाथों से बनी शानदार चॉकलेट पेस्ट्री के लिए ‘Smitten’ नाम की कंपनी को ऑर्डर दिया। जिसकी स्थापना मंदाकिनी ने की है।

कोई भी ऐसा दिन नहीं होता जब उनकी बनाई कारमेल चॉकलेट टार्ट, डार्क चॉकलेट कुकीज, लेमन खसखस केक जैसी दूसरी कई पेस्ट्री उनके ओवन में से निकलने से बिक नहीं जाती हैं। वो एक समझदार कारोबारी महिला हैं। बेकिंग उनका शौक है लेकिन वो इस बात को लेकर स्पष्ट हैं कि उनको ऐसी कोई दुकान नहीं खोलनी जिसे उनको खुद देखना पड़े। जब तक उनको इस बात को लेकर सौ प्रतिशत यकीन नहीं हो जाता कि वो ऐसी कोई दुकान चला सकती हैं। मंदाकिनी सारे काम खुद करती हैं। इसके लिए वो किसी से मदद नहीं लेती सिर्फ घरेलू काम काज के लिए वो पति की ऋणी हैं। उनके पति को भी खाना बनाने का शौक है। शादी के बाद उनके पति ने उनको अपनी जिंदगी में बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया।

लेमन टार्ट

लेमन टार्ट


मंदाकिनी ने पेस्ट्री बनाने की ट्रेनिंग को लेकर पहले ही दिन से तय कर लिया था कि उनका करना क्या है। वो पेस्ट्री सीखने के लिए फ्रांस नहीं जाना चाहती थीं क्योंकि वो फ्रेंच नहीं जानती थी और ना ही वो ऐसे क्यूलनेरी संस्थान से जुड़ना चाहती थी जो एक साल की फीस 50 लाख रुपये लेते हों। इसलिए उन्होंने शुरूआती वक्त मुंबई के Indigo Deli के किचन न्यूयॉर्क के WD50 के किचन से जुड़कर बिताया। इसके बाद उन्होने मैनहट्टन में फ्रेंच क्यूलनेरी इंस्टीट्यूट में 3 महिने का कोर्स किया। अपने कौशल को साथ लेकर वो वापस भारत लौटी और ‘Smitten’ को शुरू करने से पहले उन्होंने पेस्ट्री चेन L’Opera के लिये काम किया। कुछ ही लोगों को पता है कि मंदाकिनी को जानवरों से बेहद लगाव है। उन्होंने अपने घर में पांच कुत्तों को पाला हुआ है और गली में घूमने वाले दूसरे कुत्तों की भी देखभाल करती हैं।

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मंदाकिनी ने जब टीवी पत्रकारिता को छोड़ने का फैसला लिया तो इसके लिए उन्होंने काफी मंथन किया और ये साबित करने की कोशिश की, कि वो जो चाहती हैं वो उस काम को कर भी सकती हैं। जिसका मतलब था पेशेवर तरीके से किचन में काम करना। जब उन्होंने 12 घंटे किचन में बिताने के बाद भी खुश रहना सीख लिया तब उन्होंने फैसला किया कि वो इस काम को कर सकती हैं और उन्होंने अपनी टीवी की नौकरी को अलविदा कह दिया। उनके कारोबार के मॉडल और उसकी खासियत है पेस्ट्री में महंगी सामग्री का इस्तेमाल लेकिन इसके साथ उनका कहना है कि वो डेज़र्ट के लिये ज्यादा कीमत रखने पर विश्वास नहीं करती। वो सिर्फ ऐसे डेजर्ट बनाने पर विश्वास नहीं करती जो विलासिता के लिये हों बल्कि वो ऐसा खाना बनाना चाहती है जिसे लोग खरीदने में समर्थ हों। मंदाकिनी केक बनाने में भारतीय चॉकलेट का इस्तेमाल नहीं करती क्योंकि उनकी गुणवत्ता ज्यादा बेहतर नहीं होती। वो सिर्फ विदेश चॉकलेट का इस्तेमाल करना पसंद करती हैं। जबकि फल और रसभरी फ्रांस से आयात किये जाते हैं और नींबू उनके पारिवारिक फॉर्म से आता है।

मंदाकिनी दूसरे नये उद्यमियों को जो केक के बाजार में उतरना चाहते हैं उनको सलाह देती हैं कि वो अपने काम का विज्ञापन ना करे और ना ही शुरूआत में बड़े ऑर्डर ले। ऐसा तब तक ना करें जब तक उनको यकीन ना हो जाए कि इतने बड़े ऑर्डर को वो संभाल सकते हैं। शुरूआत में अगर वो छोटे रहेगें तो बाद में अपना विस्तार कर सकते हैं,लेकिन शुरूआत अगर उन्होंने बड़े स्तर से कर दी तो उसे छोटा करना मुश्किल होता है। उनका कहना है कि काम के दौरान किसी को बुरा तजुर्बा मिले तो उसे सीखना चाहिए और अपने ग्राहक को अगली सुबह फोन कर ये जानना चाहिए कि उनको केक कैसा लगा। कई बार उनको शिकायत मिलती है कि उनका बनाया हुआ केक बिखरा हुआ था तब वो देखती है कि क्या उन्होंने कुछ गलत किया था या फिर ग्राहक ने केक काटने के लिए जो चाकू इस्तेमाल किया वो गलत था। या फिर केक को सही तरीके से संभाल कर नहीं रखा गया था। इस तरह वो अपनी गुणवत्ता पर नियंत्रण बनाये रखती हैं। मंदाकिनी कभी भी ग्राहकों की प्रतिक्रिया को नजरअंदाज़ नहीं करती।

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बॉलीवुड स्टार शाहिद कपूर की शादी के ऑर्डर के बारे में उनका कहना है कि उनके पास मीरा राजपूत की बहन का फोन आया था। जिनको मंदाकिनी का नंबर उनके ही एक ग्राहक ने दिया था। इससे पहले मंदाकिनी ने किसी भी सेलिब्रिटी की शादी के लिए इस तरह के ऑर्डर नहीं लिये थे, लेकिन इस ऑर्डर के मिलने के बाद वो वहीं डांस करने लगी। उन्होंने 100 तरह के चॉकलेट्स तैयार किये और वो दिन उनके लिये काफी व्यस्त था, जिस दिन उनको ये ऑर्डर मिला। जब ऑर्डर तैयार हुआ तो मीरा खुद उनको लेने के लिए आईं। फिलहाल उनकी कंपनी शानदार काम कर रही है लेकिन उनकी मां ने उनको सिखाया है कि वो काम करो जो करने से खुद को अच्छा महसूस हो। फिलहाल उनके पास इतना वक्त नहीं है कि वो दूसरी चीजों के बारे में सोच सकें।