दिवंगत प्रियजनों को श्रद्धांजलि देने का ऑनलाइन मंच दे रहा shradhanjali.com
लोगों के दुनिया से चले जाने के बाद उनके परिजन अलग-अलग मौकों पर अपने दिवंगत प्रियजनों को कई तरह से श्रद्धांजलि देते हैं। वे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए वे समाचार-पत्रों में शोक संदेश छपवाते हैं। लेकिन अकसर अखबार में छपे ये संदेश लोगों के पैरों के नीचे आ जाते हैं तो कभी इन पर रखकर खाने की चीजें बेची जाती हैं। इस बात से दुखी विकेक व्यास और विमल पोपट ने shradhanjali.com की शुरुआत की।
विवेक के मुताबिक वर्ष 2010 में राजकोट में एक इंश्योरेंस कंपनी में काम कर रहे थे। एक बार मैं और विमल सड़क किनारे समोसे खाने के लिए रुके थे। दुकानदार ने हमें अखबार के एक टुकड़े में रखकर समोसे दिए। समोसे खाने के बाद जैसे ही मैं अखबार के पेज को फेकने को हुआ तो मैंने उसमें एक शोक संदेश देखा। उसे पढ़कर हम दोनों बहुत परेशान हुए। हम दोनों को लगा कि क्या शोक संदेश और ज्यादा सम्मानित तरीक से नहीं प्रस्तुत किए जा सकते हैं। इस सवाल के जवाब में ही हमें shradhanjali.com शुरू करने का आइडिया आया।
विवेक बताते हैं ‘भारत में इस तरह का यह पहला पोर्टल है। इस पर लोग अपने दिवंगत परिजनों के लिए शोक संदेश का पेज बनवा सकते हैं। उसे अपने दोस्तों, रिश्तेादारों और जानने वालों तक पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा आने वाली पीढ़ी के सदस्य जब चाहे अपनी पिछली पीढ़ी के लोगों से संबंधित शोक संदशों को इस पोर्टल पर जाकर पढ़ सकते हैं।’
इस वेबसाइट पर कोई भी व्यक्ति अपने आप को पंजीकृत कर अपने दिवंगत परिजन की फोटो डाल सकता है। उनसे संबंधित वीडियो अपलोड कर सकता है। शोक संदेश लिखकर अपने मित्रों, रिश्ते दारों और जानकरों तक भेज सकता है। दिवंगत परिजन की या अपनी पसंद का संगीत शोक संदेश के साथ लगाया जा सकता है। इस पोर्टल में जन्मदिन और पुण्यतिथि के रिमाइंडर का फीचर भी मौजूद है। इस पेज का मालिकाना हक पूरी तरह से इसे बनाने वाले का ही होता है। इसका अर्थ यह है कि पेज बनवाने वाला ही इस पेज पर कुछ भी जोड़ सकता है या कुछ भी हटा सकता है।
विवेक ने बताया कि उनकी वेबसाइट पर हर पेज 30 वर्ष के लिए बनाया जाता है। इसके लिए 5,000 रुपये देने होते हैं। इस बीच अन्य कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। उनके मुताबिक वेबसाइट पर 1, 5 और 10 साल के पैकेज भी उपलब्ध हैं। विवेक कहते हैं ‘हम इस पोर्टल को एक ऐसे मंच का रूप देना चाहते थे, जहां लोग प्रियजनों को याद कर सकें और उनसे जुड़ी अपनी भावनाओं को साझा कर सकें।’
विवेक और विमल के इस प्रयास को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड ने भी सराहा है। लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड के मुताबिक उनकी वेबसाइट देश की पहली श्रद्धांजलि देने वाली वेबसाइट है। इस वेबसाइट पर 100 से अधिक कॉम्पलीमेंट्री प्रोफाइल भी मौजूद हैं। इनमें समाजसेवी, राजनेता, खिलाड़ी आदि शामिल हैं।