मुंबई में ट्रैफिक को मात देकर लोगों की जान बचा रहे ये बाइक एंबुलेंस वाले डॉक्टर
बाइक एंबुलेंस से आकर ज़रूरतमंदों की जान इस तरह बचाते हैं ये डॉक्टर्स...
अगर किसी स्लम इलाके या गरीब परिवार को आपात स्थिति में मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ जाए तो भी उसे समय पर इलाज मिलने में देरी हो जाती है। इस समस्या का समाधान निकालने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई में पायलट प्रॉजेक्ट के तौर पर बाइक एंबुलेंस की शुरुआत की है।
बाइक एंबुलेंस चार पहिया एंबुलेंस से करीब 30 घंटे पहले ही पहुंचती हैं। जब तक एंबुलेंस पहुंचती है तब तक मरीज की स्थित को कुछ हद तक संभाला जा चुका होता है। रॉयल इनफील्ड की इन बाइक्स पर एक मेडिकल बॉक्स लगा होता है जिसमें स्ट्रोक्स, हार्ट अटैक, अस्थमा से निपटने के लिए किट होती है।
बड़े शहरों का ट्रैफिक इतना ज्यादा बढ़ गया है कि अगर इमरजेंसी की नौबत आ जाए तो एंबुलेंस भी सड़क पर खड़ी रह जाती हैं। इसके अलावा अगर किसी स्लम इलाके या गरीब परिवार को आपात स्थिति में मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ जाए तो भी उसे समय पर इलाज मिलने में देरी हो जाती है। इस समस्या का समाधान निकालने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई में पायलट प्रॉजेक्ट के तौर पर बाइक एंबुलेंस की शुरुआत की है। पिछले साल अगस्त में इस सर्विस की शुरुआत हुई थी। दिखने में किसी पुलिसकर्मी की तरह लगने वाले ये चलते-फिरते डॉक्टर दिखने में किसी पुलिस या फायर ब्रिगेड कर्मचारी के जैसे लगते हैं।
हालांकि कुछ लोग चौंककर पूछते हैं कि एक बाइक पर किसी मरीज को कैसे अस्पताल ले जाया जाएगा। दरअसल ये बाइक पर सवार लोग मरीज को अस्पताल पहुंचाने के लिए नहीं आते हैं। बल्कि ये इमर्जेंसी की स्थिति में मौके पर पहुंचकर प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था करते हैं। जब तक एंबुलेंस नहीं आ जाती तब तक मरीज को उचित दवा और उसकी स्थिति को सामान्य रखने का काम इनका होता है। ये बच्चों से लेकर बूढों तक को प्राथमिक उपचार देते हैं। अभी हाल ही में टीम के एक सदस्य डॉक्टर अजीम अहमद मलाड के पठानवाडी इलाके में एक महिला को देखने गए।
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महिला ने समय से पूर्व बच्चे को जन्म दिया था और उसका रक्त प्रवाह कम नहीं हो रहा था। डॉ. अजीम ने अपनी सर्जिकल किट से महिला की नाभि रज्जु को काटा तब जाकर महिला की स्थिति सामान्य हो पाई। इसके बाद महिला के परिवार वालों ने शुक्रिया कहते हुए उनका नंबर मांगा, जिस पर उन्होंने कहा कि सिर्फ 108 नंबर डायल करो और मदद पाओ। यह सुविधा महाराष्ट्र की इमर्जेंसी मेडिकल सर्विस की देन है। इसी सिस्टम के जरिए 108 एंबुलेंस की सर्विस भी होती है। मुंबई के भारी ट्रैफिक में इन बाइक एंबुलेंस के सहारे इलाज प्रदान करने के लिए कंट्रोल रूम नजदीकी बाइक और चार पहिया एंबुलेंस दोनों को कॉल करता है।
बाइक एंबुलेंस चार पहिया एंबुलेंस से करीब 30 घंटे पहले ही पहुंचती हैं। जब तक एंबुलेंस पहुंचती है तब तक मरीज की स्थित को कुछ हद तक संभाला जा चुका होता है। रॉयल इनफील्ड की इन बाइक्स पर एक मेडिकल बॉक्स लगा होता है जिसमें स्ट्रोक्स, हार्ट अटैक, अस्थमा से निपटने के लिए किट होती है। इमरजेंसी और डिलिवरी करवाने के भी उपकरण इसमें होते हैं।
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ये सर्विस मुंबई के भांडुप, मानखुर्द, धारावी, नागपाड़ा, मलाड, चारकोप, गोरेगांव, ठाकुर विलेजस कालिना और खार जैसे इलाकों में चल रही है। इन बाइक एंबुंलेंसों के द्वारा 1000 मेडिकल इमरजेंसी को कवर किया गया है जिसमें 200 एकर्सिडेंट और 30 प्रेग्नेंट महिलाओं का इलाज भी शामिल है।
इन एंबुलेंसों को रोजाना औसतन 30 कॉल आती हैं। राज्य सरकार ऐसी ही सर्विस दूरस्थ गांवों में और आदिवासी इलाकों के लिए भी लॉन्च करने की योजना बना रही है। हालांकि कर्नाटक सरकार ने बेंगलुरु में पहले ही 20 बाइक एंबुलेंस से इसकी शुरुआत की थी। पंजाब के पंचकुला जिले में भी ऐसी ही सर्विस चल रही है जिसमें आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां टीकाकरण करने के लिए जाने के लिए बाइक का इस्तेमाल करती हैं। पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के 50वर्षीय करीमुल हक पहले ही अपनी बाइक को एंबुलेंस बनाकर लोगों को फ्री में अस्पताल पहुंचा रहे हैं।
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