कैसे दिया गया देश के सबसे बड़े बैंक फ्रॉड को अंजाम? ABG Shipyard ने 28 बैंकों से लिया था 22,842 करोड़ का कर्ज
आईसीआईसीआई बैंक के नेतृत्व में 28 बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने कंपनी को कर्ज दिया था. इसमें भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा दिया गया 2,468.51 करोड़ रुपये का कर्ज शामिल है.
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को गुजरात की कंपनी एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड के संस्थापक-अध्यक्ष ऋषि कमलेश अग्रवाल को देश के सबसे बड़े 22,842 करोड़ रुपये के बैंक फ्रॉड के मामले में गिरफ्तार किया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि सीबीआई ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आधिकारिक पद के दुरुपयोग के आरोपों में कंपनी के पूर्व अध्यक्ष अग्रवाल और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
आईसीआईसीआई बैंक के नेतृत्व में 28 बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने कंपनी को कर्ज दिया था. इसमें भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा दिया गया 2,468.51 करोड़ रुपये का कर्ज शामिल है. अधिकारियों ने बताया कि कर्ज की राशि का उपयोग उन उद्देश्यों के लिए नहीं किया गया, जिनके लिए उन्हें बैंकों द्वारा जारी किया गया था.
यह क्यों है देश का सबसे बड़ा बैंक फ्रॉड?
एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा 28 बैंकों से लिया गया 22,842 करोड़ रुपये का कर्ज देश का सबसे बड़ा बैंक फ्रॉड है. इससे पहले गुजरात के हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी ने 14 हजार करोड़ रुपये के बैंक फ्रॉड को अंजाम दिया था. आज गुजरात के दोनों ही कारोबारी देश छोड़कर जा चुके हैं और भगोड़े घोषित किए गए हैं.
वहीं, इससे पहले शराब और किंगफिशर एयरलाइन के मालिक विजय माल्या ने 9900 करोड़ रुपये के बैंक फ्रॉड को अंजाम दिया था. विजय माल्या भी देश से बाहर भाग चुका है और भगोड़ा घोषित किया जा चुका है.
एबीजी शिपयार्ड का कारोबार क्या है?
एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड की शुरुआत साल 1985 में हुई थी. गुजरात के दाहेज और सूरत में एबीजी समूह की यह शिपयार्ड कंपनी पानी के जहाज बनाने और उनकी मरम्मत का काम करती है. अब तक यह कंपनी 165 जहाज बना चुकी है.
कंपनी ने 1991 तक तगड़ा मुनाफा कमाते हुए देश-विदेश से बड़े पैमाने पर ऑर्डर हासिल किए. 2016 में कंपनी को 55 करोड़ डॉलर से ज्यादा का भारी नुकसान हुआ. इसके बाद कंपनी की वित्तीय हालत खराब हो गई. अपनी वित्तीय हालत का हवाला देते हुए कंपनी ने बैंकों से कर्ज लिया और इस सबसे बड़े घोटाले को अंजाम दिया.
पूरा मामला क्या है?
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के अनुसार, यह घोटाला साल 2013 का है. 18 जनवरी, 2019 को फाइल ऑडिट सर्विस प्रोवाइडर ‘अर्न्स्ट एंड यंग’ द्वारा फॉरेंसिक ऑडिट से पता चला है कि 2012 और 2017 के बीच आरोपियों ने एक-दूसरे के साथ मिलीभगत कर अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया, जिसमें कोष का दुरुपयोग और आपराधिक विश्वासघात शामिल है. कंपनियों पर आरोप है कि बैंक फ्रॉड के जरिए प्राप्त किए गए पैसे को विदेश में भेजकर अरबों रुपये की प्रॉपर्टी खरीदी गईं.
एनपीए घोषित करने बाद भी लोन रिकवरी में नाकाम रही एसबीआई
साल 2013 में एबीजी शिपयार्ड के लोन को एनपीए घोषित किया गया था. इसके बाद एसबीआई की ओर से लोन रिकवरी के लिए कई कोशिश की गईं, लेकिन सफलता नहीं मिली. साल 2017 में एनसीएलएटी (NCLAT) में मामला गया था.
एसबीआई ने नवंबर, 2019 में दर्ज कराई थी शिकायत
एसबीआई ने इस मामले में पहली शिकायत 8 नवंबर, 2019 को की थी. दिसंबर 2020 में एक अधिक व्यापक प्राथमिकी दर्ज कराई गई. डेढ़ साल से अधिक समय तक जांच-पड़ताल करने के बाद, सीबीआई ने 7 फरवरी, 2022 को मामले में प्राथमिकी दर्ज की.
आईसीआईसीआई और आईडीबीआई बैंक कंसोर्टियम में पहले और दूसरे नंबर के कर्जदाता थे. हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में एसबीआई सबसे बड़ा कर्जदाता था, इसलिए उसने शिकायत दर्ज कराई. एसबीआई ने अपनी शिकायत में बताया कि, इन पैसों का इस्तेमाल उन मदों में नहीं हुआ जिनके लिए बैंक ने इन्हें जारी किया था, बल्कि दूसरे मदों में इसे लगाया गया.
कंपनी ने कुल 28 बैंकों से कर्ज लिया था
स्टेट बैंक की शिकायत के मुताबिक, कंपनी ने बैंक से 2,925 करोड़ रुपये का कर्ज लिया. इसके अलावा आईसीआईसीआई बैंक से 7,089 करोड़ , आईडीबीआई बैंक से 3,634 करोड़, बैंक ऑफ बड़ौदा से 1,614 करोड़, पंजाब नेशनल बैंक से 1,244 करोड़ , इंडियन ओवरसीज बैंक से 1,228 करोड़ का कर्ज लिया. इस तरह से कंपनी ने कुल 28 बैंकों से कर्ज लिया था.
सात फरवरी को मामले में पहली एफआईआर दर्ज करने के बाद सीबीआई ने 12 फरवरी को 13 स्थानों पर छापेमारी की. सीबीआई ने एबीजी शिपयार्ड कंपनी के पूर्व अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल और आठ अन्य लोगों के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था.
सीबीआई ने ऋषि कमलेश अग्रवाल के अलावा एबीजी शिपयार्ड के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक संथानम मुथास्वामी, निदेशकों- अश्विनी कुमार, सुशील कुमार अग्रवाल और रवि विमल नेवेतिया और एक अन्य कंपनी एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ भी कथित रूप से आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आधिकारिक दुरुपयोग जैसे अपराधों के लिए मामला दर्ज किया था.
Edited by Vishal Jaiswal