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10 लाख से 3 करोड़ रुपये तक का सफर: जानिए इको मित्रम सॉल्यूशंस के बनने की कहानी

10 लाख से 3 करोड़ रुपये तक का सफर: जानिए इको मित्रम सॉल्यूशंस के बनने की कहानी

Wednesday November 14, 2018 , 7 min Read

इको मित्रम की स्थापना 2014 में जयपुर में चार दोस्तों ऋतुराज शर्मा (28), शशांक जैन (30), रवि सैनी (30) और अनुराग वर्मा (30) ने की थी। संस्थापकों का कहना है कि उनकी कंपनी टिकाऊ समाधानों (sustainable solutions) के जरिए ऊर्जा की मांग को पूरा करने का लक्ष्य रखती है।

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जयपुर स्थित यह वेंचर 10 लाख रुपये के शुरुआती निवेश के साथ शुरू किया गया था, और अब इसका वार्षिक कारोबार 3 करोड़ रुपये है। एमबीए और बीटेक स्नातक संस्थापकों ने फैमिली और दोस्तों के माध्यम से कंपनी की स्थापना के लिए फंड की व्यवस्था की।

भारत में अक्षय ऊर्जा के बाजार को बदलने और नवीकरणीय ऊर्जा (renewable energy) स्रोतों और पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रभावी समाधान प्रदान करने के दृष्टिकोण के साथ, चार मित्रों द्वारा शुरू किया गया इको मित्रम सस्टेनेबल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड आज बड़े स्तर पर अपनी छाप छोड़ चुका है। इको मित्रम की स्थापना 2014 में जयपुर में चार दोस्तों ऋतुराज शर्मा (28), शशांक जैन (30), रवि सैनी (30) और अनुराग वर्मा (30) ने की थी। संस्थापकों का कहना है कि उनकी कंपनी टिकाऊ समाधानों (sustainable solutions) के जरिए ऊर्जा की मांग को पूरा करने का लक्ष्य रखती है। आज, इको मित्रम नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों को बिना अग्रिम भुगतान के प्रोवाइड कर रहा है।

हालांकि इसके लिए, यह अपने ग्राहकों के साथ BOOT (बिल्ड, ओन Own, ऑपरेट और ट्रांसफर) समझौते पर हस्ताक्षर कराता है और सहमत कार्यकाल के लिए संयंत्र की स्थापना, रखरखाव और सर्विसिंग करता है। इको मित्रम बिजली खरीद समझौते (पीपीए) के माध्यम से रियायती टैरिफ पर ग्राहकों को संयंत्र से उत्पन्न होने वाली बिजली भी प्रदान कराता है। इसके अलावा, यह संचालन और रखरखाव (ओ एंड एम) जैसी सेवाएं प्रदान करता है और साथ ही प्रोजेक्ट पोर्टफोलियो भी बनाए रखता है।

जयपुर स्थित यह वेंचर 10 लाख रुपये के शुरुआती निवेश के साथ शुरू किया गया था, और अब इसका वार्षिक कारोबार 3 करोड़ रुपये है। एमबीए और बीटेक स्नातक संस्थापकों ने फैमिली और दोस्तों के माध्यम से कंपनी की स्थापना के लिए फंड की व्यवस्था की। आज, कंपनी 12 सदस्यों की एक टीम है जो अपने दैनिक संचालन में सक्रिय रूप से शामिल हैं। संस्थापकों का कहना है कि कंपनी ने अभी हाल ही में अपना एक बेहद ही गौरवान्वित करने वाला लम्हा भी देखा जब उन्होंने 1 मेगावाट रूफटॉप प्रोजेक्ट को पूरा किया। इसके अलावा ये कंपनी 2018 के एलीक्रमा एक्सपो में सेकेंड रनर-अप बनी थी।

मार्केट साइज

राष्ट्रीय ऊर्जा संस्थान ने अनुमान लगाया है कि भारत की सौर ऊर्जा क्षमता लगभग 749 जीडब्ल्यू होगी। अक्टूबर 2015 तक, भारत की कुल थर्मल स्थापित क्षमता 195.6 जीडब्ल्यू थी, जबकि हाइड्रो, नवीकरणीय और परमाणु ऊर्जा स्थापित क्षमता क्रमश: 42.5 जीडब्ल्यू, 36.5 जीडब्ल्यू और 5.8 जीडब्ल्यू थी। ऋतुराज कहते हैं, "ओपेक्स मॉडल (ऑपरेटिंग एक्सपेंस) पर काम कर रही बहुत कम कंपनियां हैं जैसे टाटा सोलर, अम्प्लस सोलर, सोलर टाउन और महिंद्रा सस्टेन ही हैं जो ओपेक्स मॉडल पर काम कर रही हैं, और वे 500 किलोवाट से कम क्षमता वाले सेगमेंट में नहीं हैं। इसलिए अक्षय ऊर्जा गैप के संदर्भ में बाजार क्षमता अभी भी बड़ी है और इसे प्राप्त किया जा सकता है।"

कंपनी का कहना है कि यह खुद को प्रतिस्पर्धियों से अलग रखती है क्योंकि यह 100 किलोवाट कैपेसिटी के प्रोडक्शन से नीचे काम नहीं करती है, लेकिन कंपनी इस बात का भी दावा करती है कि यह उन परियोजनाओं को भी सिलेक्ट करती है जिनकी स्मॉल कैपेसिटी 25 किलोवाट है। ऋतुराज बताते हैं कि ऐसा इसलिए है क्योंकि हम वित्तीय, तकनीकी और कानूनी मानकों के आधार पर परियोजना का विश्लेषण करते हैं। कंपनी का कहना है कि यह वर्तमान में अर्थ ऊर्जा और सनवेव्स पावर जैसे बड़े नामों से जुड़ी हुई है।

संस्थापक टीम के अनुसार समाज पर व्यापार का असर काफी रहा है। वे कहते हैं कि स्वच्छ ऊर्जा (क्लीन एनर्जी) तक ग्राहकों की पहुंच बढ़ी है और नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों के उपयोग के बारे में जागरूकता में भी वृद्धि हुई है। दिन पर दिन ऐसे उपयोगकर्ताओं की संख्या में भी वृद्धि हुई है जिनका झुकाव स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग करने की तरफ है।

मैनेजमेंट, कस्टमर अधिग्रहण

कंपनी का कहना है कि यह ग्राहकों को जोड़ने के लिए तीन रणनीतियों का पालन करती है - सेगमेंट केंद्रित दृष्टिकोण, स्थान केंद्रित दृष्टिकोण और ईपीसी कॉनट्रैक्टर्स, ईवेंट्स और मेलों के साथ सहयोग। संस्थापकों के मुताबिक, सप्लाई, कैश फ्लो और कैपिटल मैनेजमेंट जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों का प्रबंधन करना आसान है क्योंकि सभी विभाग और कार्य बटे हुए हैं। ऋतुराज कहते हैं, "हमने प्रमुख क्षेत्रों को मैनेज करने के लिए अपनी प्रक्रियाएं डेवलप की हैं। मैं प्लानिंग और एग्जीक्यूशन, फंड जुटाने, ग्राहक अधिग्रहण, व्यापार विकास और निवेशक संबंधित क्षेत्रों को देखता हूं। शशांक फाइनेंस मैनेजमेंट, वेंडर मैनेजमेंट और ग्राहक संबंधों को संभालता है, रवि वेंडर मैनेजमेंट और ऑपरेशन मैनेजमेंट का काम करता है, जबकि अनुराग तकनीकी मुद्दों और उद्योग में नीतियों और रुझानों पर शोध करता है।"

मुख्य बाधाएं

संस्थापकों के अनुसार, उन्हें अपनी व्यावसायिक यात्रा में कई चुनौतियां का सामना करना पड़ा है। लेकिन उनके सामने एक बड़ा मुद्दा ये है कि जीवाश्म ईंधन लगातार उच्च गति से समाप्त हो रहा है, जिससे भारी मांग और आपूर्ति अंतर बढ़ रहा है। अन्य चुनौतियों में बिजली की बढ़ती कीमतें हैं, जो हर साल 5-10 फीसदी बढ़ रही है, और ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों के बारे में जागरूकता की कमी है। सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की लागत भी बहुत अधिक है। ऋतुराज कहते हैं, "शुरुआत में, व्यापार के लिए कीमत में उतार-चढ़ाव का सामना करना मुश्किल था और पीवी मॉड्यूल और इनवर्टर की एक बड़ी इनवेंट्री रखना भी मुश्किल था। ऋण का बढ़ना भी एक और बड़ा मुद्दा रहा है। हालांकि हमारे चारों ओर एक मजबूत बिल्डअप रहा है लेकिन फिर भी यह एक बहुत ही कठिन प्रक्रिया है।"

हाई कैपिटल एक्सपेंडीचर के कारण, शुरुआती दिनों में कारोबार को भी कैश संकट का सामना करना पड़ा। लेकिन समय के साथ, इसने निवेश क्षमता, जोखिम और परियोजनाओं से रिटर्न पाने के लिए अपने स्वयं के मानकों का निर्माण किया। ऋतुराज कहते हैं कि पैरामीटर इतने मजबूत और सटीक हैं कि कंपनी द्वारा मैनेज वर्तमान पोर्टफोलियो उन्हें 12 से 16 प्रतिशत की सीमा में निश्चित रिटर्न प्रदान करता है। ऋतुराज कहते हैं कि इस क्षेत्र को कई तरीकों से सरकार के समर्थन की आवश्यकता है। अक्षय ऊर्जा उत्पादों को आयात करने के लिए, व्यापार को वित्तीय संस्थानों से सकारात्मक फंड हासिल करने के अवसरों की आवश्यकता होती है।

ऋतुराज आगे कहते हैं, "बहुत कम अवसर उपलब्ध हैं, वित्तीय संस्थान या तो हमें ऋण देने से इनकार कर देते हैं या प्रक्रिया को कठिन बना देते हैं जिसमें काफी समय लग जाता है और तब तक प्रोजेक्ट्स के पैरामीटर मूल्यों को बदलना शुरू कर देते हैं, जिससे प्रोजेक्ट्स वित्तीय रूप से अस्थिर हो जाता है। इसलिए हम इसमें सरकार से मदद करने की उम्मीद करते हैं।"

आगे का प्लान

इको मित्रम का कहना है कि अगले पांच सालों में 500 मेगावॉट क्षमता की सौर छत पीवी संयंत्रों के पोर्टफोलियो बनाने और मैनेज करने की उनकी योजना है और सौर ऊर्जा को सस्ती बनाने के लिए और कदम उठाने की योजना है। ऋतुराज का मानना है कि किसी भी व्यावसायिक क्षेत्र में सफल होने के लिए, उद्यमियों को कभी भी अपने उत्पादों या सेवाओं की गुणवत्ता से समझौता नहीं करना चाहिए। वह कहते हैं, "किसी भी कंपनी के लिए वास्तविक संपत्ति अपने ग्राहकों और क्वालिटी पर एक अनकॉम्प्रोमाइजिंग एटीट्यूड कंपनी को अच्छे ग्राहक संबंध बनाने में मदद करेगा।"

(यह स्टोरी एसएमई (छोटे और मध्यम उद्यम) की सफलता की कहानियों को प्रदर्शित करने के लिए माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के साथ साझेदारी के तहत प्रकाशित की गई है)

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