कुछ ऐसी है कर्ज तले दबे अडानी ग्रुप की 'बैलेंस शीट', देखते ही समझ जाएंगे क्यों मुस्कुराते रहते हैं गौतम अडानी
अडानी ग्रुप के 2.2 लाख करोड़ रुपये के कर्ज में शॉर्ट टर्म कर्ज भी शामिल है. यह कंपनी का टोटल कर्ज है, ना कि शुद्ध कर्ज. जानिए कैसे 2.2 लाख करोड़ रुपये का कर्ज गौतम अडानी के लिए मामूली बात है.
इन दिनों हर तरफ गौतम अडानी (Gautam Adani) के कर्ज की बातें हो रही हैं. हाल ही में Fitch रेटिंग्स की क्रेडिटसाइट्स (CreditSights) ने एक क्रेडिट नोट में कहा था कि देश के सबसे अमीर शख्स गौतम अडानी की कंपनी
कर्ज (Loan on Adani Group) तले दबी हुई कंपनी है. क्रेडिट नोट के अनुसार इसकी एक या एक से अधिक कंपनियां डूबीं तो इकनॉमी को भारी नुकसान होगा.ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट ने तो यहां तक कह दिया कि अडानी ग्रीन का कर्ज-इक्विटी रेश्यो एशिया में दूसरा सबसे खराब है. यह करीब 2021 फीसदी है, जो दिखाता है कि कंपनी पर भारी कर्ज है. सवाल ये है कि क्या अडानी ग्रुप पर भारी कर्ज होना चिंता की बात है? आखिर कर्ज तो हर बिजनस पर होता है. आइए समझते हैं क्यों अडानी ग्रुप का कर्ज टेंशन वाली बात नहीं है.
अडानी ग्रुप के कर्ज से 5 गुना है गौतम अडानी की दौलत
अडानी ग्रुप पर मार्च 2022 तक के आंकड़ों के हिसाब से करीब 2.2 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है. पहली नजर में यह आंकड़ा बहुत भारी लगता है, लेकिन अगर गौतम अडानी की नेटवर्थ को देखें तो पता चलेगा कि उसके सामने तो ये कुछ भी नहीं है. अभी गौतम अडानी की नेटवर्थ करीब 140 अरब डॉलर यानी लगभग 11.18 लाख करोड़ रुपये है. यानी अगर कोई ऊंच-नीच होती है तो भी गौतम अडानी उससे आसानी से निपट लेंगे.
असल में कर्ज दरअसल 2.2 लाख करोड़ नहीं है!
वैसे तो तमाम रिपोर्ट से यह बात सामने आई है कि अडानी ग्रुप पर 2.2 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है, लेकिन इसमें काफी छोटी अवधि वाला कर्ज भी शामिल है. इसमें करीब 0.35 लाख करोड़ रुपये का लोन प्रमोटर्स से की तरफ से ग्रुप की तमाम कंपनियों को दिया हुआ है. वहीं 0.21 लाख करोड़ रुपये का कर्ज शॉर्ट टर्म लोन है, कंपनी को मिलने वाले भुगतान के साथ एडजस्ट किया गया है. अगर ये दोनों आंकड़े कुल लोन में से घटा दें तो अब लोन की रकम सिर्फ 1.64 लाख करोड़ रुपये बचती है. इतना ही नहीं, कंपनी की बैलेंस शीट में करीब 0.27 लाख करोड़ रुपये कैश (या कैश के जैसी चीजें) है. मतलब अब कुल कर्ज बचता है 1.37 लाख करोड़ रुपये.
अडानी ग्रीन पर उठ रहे सवाल, उसकी बैलेंस शीट भी देखनी चाहिए
कर्ज के जिस मामले पर अडानी ग्रुप पर उंगलियां उठ रही हैं, इसका कनेक्शन अडानी ग्रीन से निकाला जा रहा है. ब्लूमबर्ग ने कहा है कि अडानी ग्रीन का कर्ज-इक्विटी रेश्यो 2021 फीसदी है. बेशक ऐसा है कि कंपनी पर भारी कर्ज है, लेकिन ऐसा नहीं है कि कंपनी कर्ज लेने के बाद भी नुकसान झेल रही हो. आइए देखते हैं इसकी बैलेंस शीट.
अगर बात कंपनी के रेवेन्यू की करें तो 2018 में यह सिर्फ 1480 करोड़ रुपये थी, जो 2020 तक करीब दोगुनी होकर 2548 करोड़ रुपये हो गई. 2022 तक तो कंपनी का रेवेन्यू 5133 करोड़ रुपये हो चुका है. यानी कंपनी की कमाई लगातार तेजी से बढ़ती जा रही है. कोरोना काल में भी कंपनी की कमाई बढ़ी है.
बात अगर मुनाफे की करें तो 2018 में कंपनी ने करीब 137 करोड़ रुपये का नुकसान दिखाया था. 2020 तक यह नुकसान सिर्फ 61 करोड़ रुपये बचा. वहीं 2021 में 176 करोड़ रुपये और 2022 में कंपनी को 488 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है.
एक नजर अगर कंपनी के डेट-टू-इक्विटी पर डालें तो पता चलता है कि यह भी तेजी से बढ़ा है. 2018 में यह 7.25 करोड़ रुपये था, जो 2020 तक 18.45 करोड़ रुपये हो गया. 2022 तक यह 43.86 करोड़ रुपये हो चुका है.
करीब 4 साल में 1 लाख को बना दिया 1.12 करोड़ रुपये
अडानी ग्रीन पर भले ही कर्ज है, लेकिन निवेशक ये बात अच्छे समझते हैं कि कंपनी उसे आसानी से मैनेज कर लेगी. तभी तो इसकी मांग बढ़ती ही जा रही है. 1 जून 2018 को कंपनी का शेयर करीब 21.50 रुपये का था, जो अभी 2404 रुपये का हो गया है. यानी पिछले करीब 4 सालों में अडानी ग्रीन ने लगभग 11,081 फीसदी यानी करीब 112 गुना तक का रिटर्न दिया है. कंपनी पर भारी कर्ज होने की बात से शेयर में मामूली गिरावट दिखी, अडानी को भी 1.8 अरब डॉलर का नुकसान हुआ, लेकिन फिर सब ट्रैक पर आ गया. इस रिपोर्ट के आने के बाद अडानी की दौलत करीब 137.5 अरब डॉलर रह गई थी, लेकिन अब वह 140 अरब डॉलर पर पहुंच चुकी है और बढ़ती ही जा रही है.