गौतम अडानी के ग्रुप पर घोटाले के आरोप, फिर भी क्यों LIC और SBI का निवेश बरकरार
फर्जीवाड़े के आरोपों के बाद अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट के बावजूद LIC फायदे में है.
गौतम अडानी (Gautam Adani) की कंपनियों के शेयरों में गिरावट का दौर जारी है. शुक्रवार को अडानी ग्रुप (Adani Group) की 7 लिस्टेड कंपनियों के शेयर 20 प्रतिशत तक गिर गए. इतना ही नहीं इनमें से 5 कंपनियों के शेयरों में लोअर सर्किट भी लग गया था. इस तरह गौतम अडानी के लिए शुक्रवार 'ब्लैक फ्राइडे' रहा. जहां तक सोमवार यानी आज की बात है तो अडानी ग्रुप की 4 कंपनियों के शेयरों में लोअर सर्किट लग चुका है, वहीं एक और कंपनी लोअर सर्किट के करीब है.
अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में आई तगड़ी गिरावट की वजह अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) की एक रिपोर्ट है. इस रिपोर्ट में अडानी समूह पर ‘खुले तौर पर शेयरों में गड़बड़ी और अकाउंटिंग फ्रॉड’ में शामिल होने का आरोप लगाया गया है. रिपोर्ट में कंपनी पर सीधे-सीधे घोटाला करने का आरोप लगाया गया है. हालांकि, अडानी ग्रुप ने रिपोर्ट को गलत करार दिया है. ग्रुप का कहना है कि वह हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ ‘दंडात्मक कार्रवाई’ को लेकर कानूनी विकल्पों पर गौर कर रहा है. वहीं हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा है कि वह अपनी रिपोर्ट पर पूरी तरह कायम है.
इस सब के बीच 27 जनवरी को अडानी एंटरप्राइजेस का 20,000 करोड़ रुपये का एफपीओ खुला. एंकर निवेशकों के लिए यह एफपीओ 25 जनवरी को ही खुल गया था और कंपनी ने एंकर निवेशकों से 5,985 करोड़ रुपये जुटा लिए. अडानी एंटरप्राइजेस ने 33 निवेशकों (फंड हाउस) को 3,276 रुपये प्रति शेयर के भाव पर 1,82,68,925 शेयर दिये. इस प्रकार, कुल 5,985 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर एंकर यानी बड़े निवेशकों को दिये गये. जिन विदेशी निवेशकों को शेयर आवंटित किये गये हैं, उनमें अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी, बीएनपी परिबा आर्बिट्रेज, गोल्डमैन सैश इन्वेस्टमेंट (मॉरीशस) लिमिटेड, मॉर्गन स्टेनली एशिया (सिंगापुर) शामिल हैं.
गंभीर आरोप, फिर भी क्यों लगाए जा रहे हैं पैसे
घरेलू संस्थागत निवेशकों में एलआईसी, एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी, एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी और भारतीय स्टेट बैंक कर्मचारी पेंशन फंड शामिल हैं. एफपीओ 31 जनवरी को बंद होगा. इसके लिये प्राइस बैंड 3,112 से लेकर 3,276 रुपये प्रति शेयर रखा गया है. एलआईसी ने अडानी एंटरप्राइजेस के एफपीओ में एंकर निवेशक के तौर पर 300 करोड़ रुपये निवेश करके 9,15,748 शेयर खरीदे हैं. एलआईसी ने एंकर निवेशकों के लिए आरक्षित शेयरों में से पांच प्रतिशत शेयर खरीदे. अब कहा जा रहा है कि अगर अडानी ग्रुप पर इतना बड़ा आरोप लगाया जा रहा है तो क्यों एलआईसी, एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस जैसी बड़ी कंपनियों का भरोसा गौतम अडानी पर बरकरार है. क्यों उनकी ओर से निवेश किया गया?
इसकी दो वजह हो सकती हैं, पहली तो यह कि एलआईसी जैसे निवेशकों का अडानी ग्रुप पर भरोसा काफी ज्यादा है और बरकरार है. उनका भरोसा हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से डिगा नहीं है और यकीन है कि गौतम अडानी व अडानी ग्रुप आरोपों से पाक साफ निकल जाएंगे. दूसरी वजह यह हो सकती है कि 24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट सामने आई थी और 25 जनवरी को अडानी एंटरप्राइजेस का एफपीओ एंकर निवेशकों के लिए खुला था. उस वक्त तक इस बात का अंदाजा नहीं था कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट इतनी गंभीर है. इसे किसी अन्य सामान्य रिपोर्ट की तरह देखा गया हो और इससे निवेशकों के सेंटिमेंट पर असर न पड़ा हो. जब तक मामला गंभीर हुआ, तब तक बड़े निवेशक अडानी एंटरप्राइजेस के एफपीओ में पैसा लगा चुके थे.
LIC की ग्रुप कंपनियों में हिस्सेदारी
एलआईसी की पहले ही अडानी एंटरप्राइजेस में 4.23 प्रतिशत हिस्सेदारी है. एलआईसी के पास अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन में 9 प्रतिशत, अडानी ट्रांसमिशन में 3.7 प्रतिशत, अडानी ग्रीन एनर्जी में 1.3 प्रतिशत और अडानी टोटल गैस लिमिटेड में 6 प्रतिशत शेयर हैं. एलआईसी ने पिछले कुछ सालों में अडानी के शेयरों में 28,400 करोड़ रुपये का निवेश किया है. अमेरिकी निवेश कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने से पहले इन शेयरों की कीमत 72,000 करोड़ रुपये थी.
रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह की कंपनियों में एलआईसी के मौजूदा शेयरों की कीमत गिरकर 55,700 करोड़ रुपये रह गई है, लेकिन फिर भी वह वास्तविक निवेश से 27,300 करोड़ रुपये ज्यादा है. फर्जीवाड़े के आरोपों के बाद अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट के बावजूद एलआईसी फायदे में है. शेयर बाजार के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है.
लोन देने वाले बैंकों और LIC का क्या है कहना
कहा जा रहा है कि अडानी समूह के लिए बैंकिंग क्षेत्र का ऋण जोखिम 81,200 करोड़ रुपये था, फिर भी एसबीआई कर्मचारी पेंशन फंड और एसबीआई लाइफ ने अडानी समूह में निवेश क्यों किया? यह भी कहा जा रहा है कि अगर अडानी ग्रुप सच में घोटालेबाज निकलता है, डिफॉल्टर निकलता है तो निवेशक बैंक डूब जाएंगे. SBI ने इस मामले पर कहा है कि भविष्य में किसी भी फंडिंग रिक्वेस्ट पर पूरी तरह सोच-विचारकर निर्णय लिया जाएगा. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) से अडानी ग्रुप ने सबसे ज्यादा लोन दिया हुआ है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एसबीआई ने कहा है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आने के बाद बैंक सतर्क हैं. लेकिन अडानी ग्रुप को दिए गए पिछले कर्ज को लेकर कुछ भी चिंताजनक नहीं है. अडानी ग्रुप को आरबीआई के तय मानकों के आधार पर लोन दिया गया है और नियमों का पूरी तरह पालन किया गया है. हाल के दिनों में अडानी ग्रुप ने एसबीआई से किसी तरह की फंडिंग नहीं ली है.
बैंक ऑफ इंडिया के एक अधिकारी ने कहा है कि अडानी समूह को बैंक की ओर से दिया गया कर्ज, मंजूर सीमा के भीतर था. निजी क्षेत्र के दो बैंकों के अधिकारियों ने कहा कि वे अभी तक पैनिक मोड में नहीं हैं लेकिन सतर्क हैं. पिछले महीने तक, ऋण पर अडानी समूह का ब्याज भुगतान अछूता था. इसी तरह यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, अडानी समूह को दिए गए अपने लोन पर जोखिम नहीं देख रहा है.
इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, LIC के एग्जीक्यूटिव्स का कहना है कि कंपनी की हाल ही में किए गए अंबुजा और एसीसी सीमेंट कंपनियों के अधिग्रहण सहित समूह में कुल इक्विटी और डेट इन्वेस्टमेंट्स की कंपनी की बुक वैल्यू लगभग 28,000 करोड़ रुपये है. एलआईसी की सभी इंश्योरेंस लायबिलिटीज कंपनी की बुक वैल्यू से लिंक्ड हैं. इसलिए अडानी शेयरों की कीमतों में हालिया गिरावट एलआईसी के सॉल्वेंसी रेशियो पर कोई प्रभाव नहीं डालेगा. यह भी कहा गया कि अडानी ग्रुप में इन्वेस्टमेंट, एलआईसी के कुल एसेट्स अंडर मैनेजमेंट का एक बेहद छोटा हिस्सा है.
अतीत में तगड़ी मार झेल चुके हैं बैंक
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), कनेक्टेड कंपनियों के किसी एक समूह के लिए बैंक के पास उपलब्ध पात्र कैपिटल बेस के 25% से अधिक के लोन की अनुमति नहीं देता है. भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, अतीत में बड़े पैमाने पर कॉर्पोरेट डिफॉल्ट से प्रभावित हुए हैं. इसके बाद से कर्जदाताओं ने अपने बही-खाते को दुरुस्त करने के लिए कई उपाय किए हैं, लेकिन किसी बड़े कॉरपोरेट द्वारा किसी भी नए डिफॉल्ट से उनकी बैलेंस शीट पर दबाव पड़ सकता है.
SEBI ने बढ़ाई अडानी समूह के सौदों की जांच
इस बीच भारत के बाजार नियामक SEBI ने पिछले एक साल में अडानी समूह द्वारा किए गए सौदों की जांच बढ़ा दी है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सेबी, हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट का अध्ययन भी करेगा ताकि अडानी समूह के विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के बारे में सेबी की प्रारंभिक जांच में इसे जोड़ा जा सके.