यूपी में लगेंगे 23 हजार करोड़ के नए स्मार्ट बिजली मीटर, अडानी की कंपनी ने भी भरा टेंडर
जीएमआर (GMR), एलएंडटी (L&T) और इंटेलीस्मार्ट (IntelliSmart) जैसी कंपनियों के साथ अडानी समूह भी टेंडर की रेस में शामिल.
देश भर में बिजली व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कई जरूरी प्रयास किए जा रहे हैं. इस दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार ने भी बिजली वितरण की व्यवस्था को सुचारू बनाने, उसके गलत इस्तेमाल और चोरी को रोकने के लिए एक जरूरी कदम उठाया है. अब पूरे प्रदेश में पुराने परंपरागत इलेक्ट्रिक मीटर (Electric Meter) को नए प्री-पेड स्मार्ट मीटर (Pre paid Smart Meter) से बदला जाएगा. इससे बिजली का खपत का सही आंकलन करना और बिजली चोरी रोकने का काम आसान हो जाएगा.
प्रदेश में 23 हजार करोड़ रुपए के नए प्री-पेड स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे. इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने गत 5 अगस्त को टेंडर निकाला था. देश की कई नामी कंपनियां टेंडर की इस रेस में शामिल हैं. जीएमआर (GMR), एलएंडटी (L&T) और इंटेलस्मार्ट (IntelliSmart) जैसी बड़ी कंपनियां इस टेंडर को पाने के लिए कोशिश कर रही हैं. लेकिन इन कंपनियों के साथ-साथ अडानी समूह भी टेंडर की इस रेस में शामिल है.
उत्तर प्रदेश में चार बड़ी वितरण कंपनियां काम कर रही हैं, जिनके लिए तकरीबन 2.8 करोड़ स्मार्ट मीटर लगाए जाने हैं. लेकिन स्मार्ट मीटर लगाने के साथ-साथ बिलिंग, क्लाउड कंप्यूटिंग और डेटा नेटवर्क बनाए जाने का काम भी है, जिसके लिए यह टेंडर निकाला गया है. टेंडर मिलने वाली कंपनी को यह सारा काम करना होगा.
केंद्र की पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना के तहत यह परियोजना शुरू हो रही है, जिसके अंतर्गत आगामी 27 महीनों के भीतर प्रदेश के हर इलेक्ट्रिक मीटर को प्री-पेड स्मार्ट मीटर से बदलने का काम पूरा किया जाएगा.
पिछले साल जुलाई में केंद्र सरकार ने भारत में बिजली वितरण की व्यवस्था को सुधारने के लक्ष्य के साथ इस महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की थी. इा योजना के अंतर्गत मार्च, 2025 तक 25 करोड़ स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. एक अनुमान के मुताबिक इस पूरी प्रक्रिया पर 3.3 लाख करोड़ रुपये के खर्च आएगा.
केंद्र सरकार की यह महत्वाकांक्षी परियोजना डेढ़ साल से चल रही है, जिसके अंतर्गत अब तक तकरीबन 50 लाख पुराने परंपरागत मीटरों को स्मार्ट प्रीपेड मीटर से बदलने का काम पूरा किया जा चुका है. अब तक सबसे ज्यादा मीटर उत्तर प्रदेश में लगाए गए हैं, जिनकी संख्या 11,56,855 है.
यूपी के बाद दिल्ली में 2,59,094 मीटर, राजस्थान में 5,55,958 मीटर, बिहार में 11,08,703 मीटर, असम में 4,15,063 मीटर, हरियाणा में 5,38,293 मीटर, मध्य प्रदेश में 2,43,313 मीटर, हिमाचल प्रदेश में 1,47,104 मीटर, तमिलनाडु में 1,23,945 मीटर और जम्मू-कश्मीर में 1,13,857) में लगाए जा चुके हैं.
Edited by Manisha Pandey