मणिपुर के दो इंजीनियर दोस्तों ने शुरू किया राज्य का पहला प्लास्टिक स्टार्टअप
दो मणिपुरी ग्रेजुएट इंजीनियर सैमसन निगमबॉम और मडोना एकोयजम ने राज्य का पहला प्लास्टिक इंडस्ट्री स्टार्टअप शुरू करने के लिए एक दूसरे से हाथ मिलाया है। जिसका नाम पियरलेक्स एंटरप्राइजेज रखा गया।
राज्य के इस पहले प्लास्टिक स्टार्टअप का उद्देश्य इस सेक्टर को प्रमोट करना और इसमें क्रांति लाना है।
एकोयजम के मुताबिक "मैं कुछ ऐसा करना चाहती थी जिससे समाज में कुछ योगदान मिल सके जहां में लोगों को रोजगार दे सकूं। मेरी विचारधारा कर्मचारी बनने के बजाए रोजगार देने वाला बनने की थी इसलिए मैंने इसकी शुरुआत की।"
दुनिया भर में स्टार्टअप्स और आंत्रप्रेन्योरशिप को इतना बढ़ावा क्यों दिया जा रहा है, वजह साफ है कि रोजगार के नए नए साधन की उत्पत्ति और हर एक इंसान की प्रतिभा और सोच का सही इस्तेमाल। हजारों युवा नौकरियों की बनी बनाई शिफ्ट में सुबह से शाम में खप जाते हैं, उनके दिमाग में नया करने के बेमिसाल आइडियाज होते हैं, एक प्लान होता है लेकिन अलग-अलग कारणों की वजह से उनका क्रियान्वयन नहीं हो पाता। इनमें सबसे बड़ा कारण अधिकांशतः फंड की कमी का होना है। लेकिन जब उन्हें सही दिशा और सहयोग मिलता है तो वो कमाल कर जाते हैं। ऐसा ही कमाल दिखाया है मणिपुर के दो इंजीनियर दोस्तों ने।
दो मणिपुरी ग्रेजुएट इंजीनियर सैमसन निगमबॉम और मडोना एकोयजम ने राज्य का पहला प्लास्टिक इंडस्ट्री स्टार्टअप शुरू करने के लिए एक दूसरे से हाथ मिलाया है। जिसका नाम पियरलेक्स एंटरप्राइजेज रखा गया। इस स्टार्टअप का उद्देश्य इस सेक्टर को प्रमोट करना और इसमें क्रांति लाना है। साल 2015 में उन्होंने एक साथ इस वेंचर की शुरुआत की इंफाल के पश्चिम क्वाएकेकल नामप्पी थॉन्ग से। एकोयजम के मुताबिक "मैं कुछ ऐसा करना चाहती थी जिससे समाज में कुछ योगदान मिल सके जहां में लोगों को रोजगार दे सकूं। मेरी विचारधारा कर्मचारी बनने के बजाए रोजगार देने वाला बनने की थी इसलिए मैंने इसकी शुरुआत की।"
निगॉमबम ने कहा कि कुछ चीजें मुझे हमेशा प्रोत्साहित करती हैं। मैं बचपन से कुछ हट कर करना चाहता था। पहले मैं प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था लेकिन बाद में मैं से संतुष्ट नहीं हुआ इसलिए मैं घर लौट कर कुछ अलग करना चाहता था और इस तरह मैंने इस वेंचर की शुरुआत की। सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग टेक्नॉलॉजी बहुत ही कम कीमत पर सारी मशीनरी उपलब्ध कराती है । अभी इस कारखाने में 15 स्टाफ सदस्य हैं ।
अब तक उन्होंने 3 उत्पादों को बनाया मग, टब और डस्ट पैन। अब और उत्पादों को जोड़ने जा रहे हैं जिससे राज्य में बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सके । सीआईपीईटी के छात्र मोएरान्थ्रम ओपेन्द्रो ने कहा कि मणिपुर में ज्यादातर प्लास्टिक प्रोडक्ट्स म्यांमार से आते हैं । इसलिए मैं सोचता हूं कि इस प्रोजेक्ट में बहुत संभावनाएं हैं। निगमबॉम और एकोयजम की तरह युवा एंटरप्रेन्योर शिक्षित बेरोजगारों को नई तरकीबों को खोजने और आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करेंगे।
पीयरलेक्स उद्यम "मेड इन मणिपुर" उत्पादों पर ध्यान केंद्रित कर तेजी से उभर रहा है। कंपनी के वर्तमान उत्पाद पोर्टफोलियो में कई प्लास्टिक के घरेलू उत्पाद शामिल होते हैं जो हम हर रोज का उपयोग करते हैं। इनमें से अधिकतर हम घर पर इस्तेमाल करते हैं या तो बर्मा या भारत के अन्य राज्यों से आयात किए जाते हैं। कंपनी मेड इन मणिपुर द्वारा इन उत्पादों को बदलने का लक्ष्य रखती है। इस प्रक्रिया में, वे कुछ रोजगार पैदा कर पाएंगे और बिना सरकारी नौकरियों के अपनी जीविका कमा सकते हैं।
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