सेलिब्रिटी शेफ़ विकास खन्ना हर रमज़ान रखते हैं एक दिन का रोज़ा, वजह जानते हैं आप?
साल 1992 से सेलिब्रिटी शेफ़ विकास खन्ना रमज़ान में एक दिन का रोज़ा ज़रूर रखते हैं। अब आप जानना चाहेंगे कि विकास खन्ना के इस एक दिन के रोज़े के पीछे की ख़ास वजह क्या है? इसके पीछे की कहानी बेहद मार्मिक है।
1992 में विकास मुंबई के सी रॉक शेरटॉन होटल में काम करते थे और हिंसा के माहौल में वह होटल के किचन में ही फंस गए थे। इस दौरान ही उनके साथ काम करने वाले ट्रेनी शेफ़ और वेटर इक़बाल ख़ान और वसीम ने अपनी जान पर खेलकर उनकी जान बचाई थी।
जेम्स बियर्ड अवॉर्ड के लिए नामांकित भारतीय मूल के सेलिब्रिटी शेफ़, मशहूर लेखक, कवि और फ़िल्मकार विकास खन्ना को कौन नहीं जानता! विकास खन्ना की सफलताओं और उपलब्धियों की कहानियां तो लगभग हर किसी ने पढ़ीं या सुनी होंगी, लेकिन क्या आप उनकी ज़िंदगी के उस मार्मिक क़िस्से के बारे में जानते हैं, जब एक मुसलमान परिवार ने उनकी जान बचाई थी और उस एहसान का शुक्रिया अदा करने के लिए विकास आज भी हर रमज़ान, रोज़ा रखते हैं।
साल 1992 से सेलिब्रिटी शेफ़ विकास खन्ना रमज़ान में एक दिन का रोज़ा ज़रूर रखते हैं। अब आप जानना चाहेंगे कि विकास खन्ना के इस एक दिन के रोज़े के पीछे की ख़ास वजह क्या है? इसके पीछे की कहानी बेहद मार्मिक है। दरअसल, 1992 में मुंबई दंगों के दौरान एक मुसलमान परिवार ने विकास खन्ना की जान बचाई थी। आपको बता दें कि इस बार विकास खन्ना ने सिर्फ़ एक दिन का रोज़ा ही नहीं रखा, बल्कि करीबन 26 साल बाद न्यूयॉर्क में रह रहे शेफ़ विकास खन्ना ने भारत आकर अपनी जान बचाने वाले परिवार से मुलाक़ात की और ज़ायके के इस सौदागर ने अपनी ईद को एक नई मिठास दी।
शेफ़ विकास खन्ना ने ट्विटर के माध्यम से इस मुलाक़ात के बारे में बताया। उन्होंने सोशल प्लेटफ़ॉर्म ट्विटर पर परिवार से अपनी मुलाक़ात साझा करते हुए बताया कि उन्होंने इस बार इस परिवार के साथ ही अपना रोज़ा तोड़ा। उन्होंने कहा कि परिवार के साथ मुलाक़ात की शाम उनके लिए बेहद ख़ास रही और इस बार की ईद को वह कभी भी भुला नहीं पाएंगे।
1992 में विकास मुंबई के सी रॉक शेरटॉन होटल में काम करते थे और हिंसा के माहौल में वह होटल के किचन में ही फंस गए थे। इस दौरान ही उनके साथ काम करने वाले ट्रेनी शेफ़ और वेटर इक़बाल ख़ान और वसीम ने अपनी जान पर खेलकर उनकी जान बचाई थी। विकास बताते हैं कि पूरा शहर जल रहा था और हिंसा की आग में कई मासूम और बेग़ुनाह लोगों ने अपनी जान गंवाई, जिनमें वसीम और इक़बाल भी शामिल थे। विकास कहते हैं कि उस समय से ही हर साल रमज़ान के मौक़े पर वह एक दिन का रोज़ा ज़रूर रखते हैं और इस बहाने से ही वह इक़बाल और वसीम के परिवार का शुक्रिया अदा करने की कोशिश करते हैं।
न्यूज़ सेंट्रल के मुताबिक़, जब दंगाइयों ने हर घर में घुसकर बेगुनाहों को मौत की घाट उतारने का घिनौना सिलसिला चला रखा था, तब विकास ने एक मुसलमान परिवार के घर में छिपकर अपनी जान बचाई थी। जब दंगाइयों ने परिवार से विकास के बारे में पूछा, तब परिवार ने विकास को उनका बेटा बताकर, विकास की जान बचाई।
कुछ समय पहले एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में विकास ने कहा था, “लगभग दो दिनों तक मैं उन्हीं के घर में रहा था। मैं उनके बारे में कुछ भी नहीं जानता था। मैं यह तक नहीं जानता था कि मैं किस जगह पर हूं।” इसके अलावा, बॉलिवुड ऐक्टर अनुपम खेर के साथ एक टॉक शो में विकास ने अपनी ज़िंदगी के कुछ अनछुए पहलुओं को साझा करते हुए बताया था कि किस तरह एक ही दिन उन्होंने इंसानी फ़ितरत के दो बिल्कुल ही मुख़्तलिफ़ चेहरों को देखा था।
यह भी पढ़ें: चाय बेचने से मिलने वाले पैसों से गरीब मजदूर के बच्चों की पाठशाला चलाते हैं प्रकाश