एन. एस. राजन ने दिया टाटा को इस्तीफा
एन. एस. राजन टाटा समूह के मानव संसाधन विभाग प्रमुख थे।
टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री को पद से हटाये जाने के कुछ ही दिन बाद समूह के मानव संसाधन विभाग प्रमुख एन. एस. राजन ने भी त्यागपत्र दे दिया है। सूत्रों ने बताया कि उन्होंने कल अपना त्यागपत्र दे दिया था। राजन मिस्त्री द्वारा गठित समूह कार्यकारी परिषद के भी सदस्य थे। सोमवार को मिस्त्री को हटाने के साथ ही परिषद को भी भंग कर दिया गया था। टाटा समूह की वेबसासाइट से भी इससे संबंधित सभी ब्यौरे को भी हटा दिया गया।
एन. एस राजन, फोटो साभार : forbesindia.com a12bc34de56fgmedium"/>
उधर दूसरी तरफ आमेजन टाटा प्रकाशन कारोबार वेस्टलैंड का अधिग्रहण करेगी। अमेरिकी ई-वाणिज्य कंपनी आमेजन ने आज कहा कि वह टाटा के प्रकाशन कारोबार वेस्टलैंड का अधिग्रहण कर रही है। हालांकि, कंपनी ने सौदे की राशि का खुलासा नहीं किया है।
आमेजन ने एक बयान में कहा कि अधिग्रहण से टाटा समूह की कंपनी ट्रेंट की अनुषंगी वेस्टलैंड के लेखक अपने भौतिक और डिजिटल पुस्तक कारोबार को भारत के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर पाठकों तक अपनी पहुंच बढ़ा सकेंगे। इस साल की शुरूआत में ऑनलाइन मार्केटप्लेस ने टाटा की प्रकाशन कंपनी में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया था।
इन्हीं सबके बीच समूह में हो रही उथल-पुथल को ध्यान में रखते हुए स्वामी ने प्रधानमंत्री से टाटा मामले की जांच के लिये एसआईटी गठित करने की मांग की है। भाजपा सांसद सुब्रमणियम स्वामी ने एयर एशिया मामले में कुछ धोखाधड़ी वाले सौदों से संबंधित आरोपों की जांच के लिये विभिन्न एजेंसियों को मिलाकर एक एसआईटी गठित करने को कहा है।
टाटा समूह के चेयरमैन पद से हटाये जाने के बाद साइरस मिस्त्री ने इस सौदे को लेकर कुछ आरोप भी लगाये हैं। स्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा है, कि एसआईटी में सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय तथा सेबी से अधिकारियों को शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि इसमें कई तरह के अपराध शामिल हैं। एयर एशिया इंडिया में सौदों में गड़बड़ी के मिस्त्री के आरोप के बारे में विमानन मंत्रालय ने कहा था कि सभी मुद्दों पर गौर किया जाएगा और अगर नियमों का उल्लंघन हुआ है तो देश का कानून अपना काम करेगा।
दूसरी ओर टाटा संस ने कहा है, कि साइरस मिस्त्री को पूरा अधिकार मिला हुआ था, लेकिन उन्होंने बोर्ड का भरोसा खो दिया। टाटा समूह ने साइरस मिस्त्री के आरोपों को निराधार और दुर्भावनापूर्ण करार देते हुए आज उनकी तीखी आलोचना की और कहा कि मिस्त्री को बतौर चेयरमैन समूह तथा उसकी कंपनियों को नेतृत्व प्रदान करने के पूरे अधिकार दिए गए थे पर उन्होंने निदेशक मंडल के सदस्यों का भरोसा खो दिया था। मिस्त्री द्वारा निदेशक मंडल के सदस्यों को लिखे पत्र गोपनीय पत्र को सार्वजनिक किये जाने पर समूह की धारक कंपनी टाटा संस ने अफसोस जताया है।
इस पत्र में मिस्त्री ने कंपनी की संचालन व्यवस्था और निर्णयों पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं।
धारक कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया है, कि यह पत्र निदेशक मंडल के सदस्यों को लिखा गया था जिसको पूरी तरह गोपनीय बताते हुए भेजा गया था लेकिन उसे अनुचित और अशोभनीय तरीके से सार्वजनिक कर दिया गया। पूर्व चेयरमैन ने यह पत्र पद से हटाये जाने के एक दिन बाद लिखा था। टाटा समूह की कंपनियों की प्रवर्तक कंपनी ने यह भी आरोप लगाया कि मिस्त्री के कार्यकाल के दौरान बार-बार समूह की संस्कृति और परंपराओं के विरूद्ध कार्य हुए। टाटा संस ने एक बयान में कहा, ‘पत्र में निराधार और दुर्भावनापूर्ण आरोप लगाये गये थे। इसके जरिये टाटा समूह, टाटा संस के निदेशक मंडल तथा टाटा समूह की कई कंपनियों तथा कुछ सम्मानित व्यक्तियों के ऊपर आक्षेप लगाया गया।’ कंपनी ने मिस्त्री के इस दावे को खारिज कर दिया कि वह निरीह चेयरमैन बन गये थे।
बयान के अनुसार, कार्यकारी चेयरमैन के रूप में उन्हें समूह तथा उसकी कंपनियों की अगुवाई के लिये पूरा अधिकार दिया गया था। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनको पद से हटाये जाने के बाद ही पूर्व चेयरमैन के विभिन्न क्षमताओं के तहत एक दशक से अधिक समय तक किये गये कारोबारी निर्णय को लेकर आरोप लगाये गये और तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया गया।
टाटा संस का कहना है, कि मिस्त्री को समूह का नेतृत्व करने का पूरा अधिकार दिया गया था, लेकिन हटाने के बाद ही उन्होंने निरीह चेयरमैन होने जैसे आरोप लगाने शुरू किये।