Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

आखिर क्यों: 70 साल में राजस्थान से चुनी गईं सिर्फ 28 महिला सांसद!

सांकेतिक तस्वीर, साभार: Shutterstock

इतिहास गवाह है कि रणबांकुरे राजस्थान की सियासत के अनेकानेक गौरवशाली अध्याय, यहां की महिलाओं के त्याग, बलिदान, समर्पण की दास्तानों से पटे पड़े हैं। महारानी पद्मावती से लेकर मां पन्ना धाय तक न जाने ऐसे कितने व्यक्त-अव्यक्त नाम हैं जिन्होंने इस मरूधरा के शौर्य को अपने लहू से सीचा है किंतु राजस्थान की सियासत ने महिलाओं को शायद वो मुकाम, कभी नहीं अता किया, जो उन्हें मिलना चाहिये था।


यह विडंबना नहीं तो और क्या है कि आजाद और आधुनिक भारत के पहले आम चुनाव में राजस्थान से दो महिलाएं खड़ी हुईं और दोनों की जमानत जब्त हो गई थी। सूबे की पहली विधानसभा तो महिला प्रतिनिधित्व से महरूम ही रही। शायद तभी राजस्थान की महिलाओं में राजनीतिक जागृति की कमी पर अफसोसनाक टिप्पणी करते हुए 31 मार्च 1954 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पं.जवाहरलाल नेहरू ने कहा था- कल मैं आपकी विधानसभा देखने गया था। मुझे यह देखकर बड़ी हैरत हुई कि 160 सदस्यों वाले सदन में महिला विधायक सिर्फ एक है।


राजस्थान महिलाओं के मामले में बहुत पिछड़ा हुआ है। हमें उन्हें आगे लाना होगा। वास्तव में पं. नेहरू की यह पीड़ा सही थी, जो उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री जयनारायण व्यास के आवास पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की एक बैठक में व्यक्त की थी। उस समय एकमात्र महिला विधायक यशोदा देवी थीं, जो समाजवादी पार्टी के टिकट पर बांसवाड़ा क्षेत्र से उपचुनाव में निर्वाचित हुई थीं। 31 मार्च 1954 से शुरू हुई उस चिंतन यात्रा ने आज 2019 तक लगभग 70 साल पूरे कर लिये हैं लेकिन हमेशा इतिहास बनाने वाला राजस्थान, सियासत में महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने के मामले में आज भी फिसड्डी ही रहा। हैरत है कि स्त्रियों को सम्मान का दर्जा देने वाले राजस्थान से 70 वर्षों में सिर्फ 28 महिलाएं ही लोकसभा पहुंच सकी जबकि कुल 180 महिला प्रत्याशियों ने 2014 तक चुनाव लड़ा था।


पहली बार संसद में राजस्थान का प्रतिनिधित्व करने का गौरव जयपुर राजघराने की पूर्व राजमाता गायत्री देवी को प्राप्त हुआ। उन्होने भी एक महिला प्रत्याशी शारदा देवी, जो कि कांग्रेस से थीं, को डेढ़ लाख मतों से पराजित कर यह गौरव प्राप्त किया था। विदित हो कि जयपुर लोकसभा सीट से लड़ते हुए कुल दो लाख 46 हजार 516 मतों में से एक लाख 92 हजार नौ सौ नौ मत प्राप्त कर उन्होने एक रिकॉर्ड कायम किया था, बाद में उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया।


यहां यह जानना दिलचस्प है कि 31 मार्च 1954 को पं. नेहरू राजस्थान की सियासत में महिला प्रतिनिधित्व को लेकर दुख व्यक्त करते हैं और उनकी कांग्रेस 1962 में सम्पन्न हुये तीसरे आम चुनाव में पहली बार किसी महिला को अपना उम्मीदवार बनाती है। राजस्थान की पहली महिला सांसद पूर्व राजमाता गायत्री देवी, स्वतंत्र पार्टी से थीं। विदित हो कि स्वतंत्र पार्टी राजा-महाराजाओं की पार्टी मानी जाती थी और गायत्री देवी एक बार नहीं बल्कि लगातार तीन बार इसी पार्टी से जयपुर से सांसद रहीं। 1971 में पहली बार राजस्थान से दो महिलाएं संसद पहुंची।


जिसमें जोधपुर से निर्दलीय लड़ीं पूर्व राजमाता कृष्णा कुमारी शामिल थीं। शुरुआती चुनाव में औसतन पांच से छह महिलाएं चुनाव मैदान में उतर रही थीं लेकिन 1991 के बाद इसमें तेजी आई और चुनाव मैदान में उतरने वाली महिलाओं की संख्या 20 से 25 तक हो गई। वर्ष 2009 में सबसे ज्यादा 31 महिलाओं ने चुनाव लड़ा, जबकि 2014 में 27 महिलाएं चुनाव मैदान में थीं। दो आम चुनाव 1957 और 1977 ऐसे रहे, जब एक भी महिला चुनाव मैदान में नहीं थी।


दरअसल बहुत कुछ स्थापित दलों के टिकट वितरण पर भी निर्भर करता है। राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा दो ही प्रमुख दल हैं। और दोनों दलों का महिला उम्मीदवारी के संदर्भ में इतिहास बहुत उत्साहजनक नहीं है। अब तक हुए चुनावों की बात करें तो भाजपा ने महिला प्रत्याशियों को 19 और कांग्रेस ने 27 टिकट दिए हैं। यहां यह भी देखने वाली बात है कि महिला प्रत्याशिता में भले ही उत्तरोत्तर वृद्धि हुई किंतु चेहरे पुराने रहे। जैसे वसुंधरा राजे 1989 से 1999 तक हुए पांच लोकसभा चुनाव में हर बार चुनाव मैदान में रहीं और जीतीं।


इसी तरह कांग्रेस की ओर से गिरिजा व्यास को 1991 से 2004 तक लगभग हर बार टिकट मिला और एक बार छोड़कर वे लगातार जीती भी। 2014 में कांग्रेस ने 06 महिलाओं को टिकट दिया था लेकिन कोई भी संसद नहीं पहुंच पायी। लेकिन अब वक्त बदलने लगा है। सियासत में औरत का दखल बढ़ने लगा है। गायत्री देवी से शुरू यात्रा वंसुधरा तक पहुंचने के बाद एक काफिले में तब्दील होना चाहती है। शायद तभी इस बार राजस्थान कांग्रेस में 25 लोकसभा सीटों में से 21 सीटों पर महिला दावेदारों ने दावेदारी ठोक रखी है केवल अलवर, जालौर, सिरोही भरतपुर, धौलपुर-करौली की सीट ऐसी है जहां महिला दावेदार नहीं है। बताया जा रहा है कि वर्तमान में बदली रणनीति के तहत अब कांग्रेस महिला चेहरों को प्राथमिकता देने का मन भी बना रही है।


खैर, अब 2019 के लोकसभा चुनावों का ऐलान हो चुका है। चुनाव भी दो चरणों में सम्पन्न होने हैं। देखना यह है कि राजस्थान महिलाओं को सियासी प्रतिनिधित्व देने की दिशा में इस बार इतिहास रचता है या फिर महिलायें एक बार सियासत का शिकार होती हैं।


यह भी पढ़ें: भारत के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति अजीम प्रेमजी ने परोपकार में दान किए 52 हजार करोड़