शादी के बाद पति से मांगा था शौचालय बनवाने का वचन, बनवा चुकी हैं सैकड़ों शौचालय
बहू हो तो ऐसी, जिसने शादी के बाद अपनी सुहागरात को पति से पहला वचन घर में शौचालय बनवाने का मांगा। उत्तर प्रदेश के औरैया जिले की वह बहू सुमन चतुर्वेदी लोगों को प्रेरित कर अब तक सैकड़ों गांवों में शौचालयों का निर्माण करा चुकी हैं। पीएम मोदी का स्वच्छता मिशन सार्थक करने के लिए उन्हे दो बार सम्मानित किया जा चुका है।
उत्तर प्रदेश के औरैया की सुमन चतुर्वेदी पीएम नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत के सपने को साकार कर रही हैं। मोदी के पहली बार 2014 में सत्तासीन होने के बाद भारत सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी, जबकि समाजशास्त्र से एमए सुमन उससे एक दशक पहले से इस अभियान में जुटी हुई हैं। लोगों को प्रेरित कर अब तक वह सैकड़ों गांवों में शौचालयों का निर्माण करा चुकी हैं।
वर्ष 2000 में अपनी शादी के बाद सुहाग रात को उन्होंने सबसे पहले अपने पति से घर में शौचालय बनवाने का वचन लिया था। इटावा निवासी इनकम टैक्स अधिकारी आर.बी. तिवारी की पुत्री सुमन चतुर्वेदी का विवाह वर्ष 2000 में औरैया के ब्लॉक अछल्दा के गांव औतों निवासी अशोक कुमार के साथ हुआ था। अब तो उनके इस अभियान में उनके पति, देवर तथा देवरानी भी जुड़ गए हैं। ससुर कमलेश चतुर्वेदी तथा सास उमा का कहना है कि उन्हें अपनी बहू पर गर्व पर है।
आमतौर से शादी की पहली रात महिलाएं पति से उपहार में गहने, कपड़े या कोई वस्तु मांगती हैं लेकिन पति ने सुमन की फरमाइश पूछी तो उन्होंने उनसे शौचालय बनवाने का वचन ले लिया। पति ने अगले दिन ही शौचालय बनवाना शुरू कर दिया। उसके बाद सुमन का हौसला बढ़ता गया। उन्होंने पूरे गांव में शौचालय बनवाने के लिए लोगों को प्रेरित करना शुरू कर दिया। पास-पड़ोस की महिलाओं ने उनकी बात मानी और अपने पतियों से शौचालय बनवाने का वचन लेने लगीं। बस, यहीं से यह कारवां आगे बढ़ चला।
जब यह बात प्रशासन को पता चली तो अधिकारियों ने सुमन की नजीर दूसरे गांवों में देनी शुरू की। इससे सुमन का हौसला और बढ़ गया। अब वह कुछ महिलाओं तथा बच्चों की टोली लेकर गांव-गांव जाकर लोगों को शौचालय निर्माण के लिए प्रेरित करती हैं। सुमन अब तक सैकड़ों गांवों में शौचालयों का निर्माण करा चुकी हैं।
सुमन का जिंदगीनामा 'टॉयलेट एक प्रेमकथा' की अभिनेत्री से किसी भी मायने में कम नहीं है। यह फिल्म तो अभी कुछ साल पहले बनी है लेकिन सुमन का यह स्वच्छता अभियान लगभग डेढ़ दशक पहले ही शुरू हो चुका था। अब तक वह सैकड़ों गांवों में स्वच्छता अभियान के तहत शौचालय बनवा चुकी हैं। इसके लिए उन्हें दिल्ली और लखनऊ में सम्मानित भी किया जा चुका है। सुमन बताती हैं कि ससुराल में शौच के लिए खेत में जाना दुल्हन के लिए सबसे शर्मिंदगी भरा होता है। वह अपने मायके में शुरू से ही शौचालय प्रयोग करती रही हैं। ससुराल पहुंची तो यही अभाव उन्हे सबसे कष्टकर लगा। वह बताती हैं कि तीन अगस्त 2016 में वह पहली बार ओडीएफ मिशन से जुड़ीं। उनके परिवार में सास, ससुर, पति, देवर, देवरानी और उनकी दो बेटियां हैं। पहले सबने मना किया, लेकिन बाद में सब उनके साथ हो लिए।
सुमन जब इस अभियान से जुड़ीं तो लोग उन पर हंसते थे। उनका साथ देने वाला कोई नहीं था। इस पर वह सुबह उठतीं और देखती कौन-कौन खुले में शौच जा रहे हैं। उनके नाम वह दीवारों पर लिखने लगीं। शुरू में झगड़े भी हुए और फिर लोग शर्म के कारण शौचालय बनवाने को तैयार होने लगे। इसके बाद युवाओं की टोली सुमन के साथ हो चली। सुमन अब तक सौ से अधिक पंचायतों में जागरूकता अभियान चला चुकी हैं। वह बताती हैं कि ग्रामीण स्वच्छता मिशन से जुड़ने के बाद उनमें नई ऊर्जा का संचार हुआ है। परिवार के साथ-साथ डीपीआरओ कार्यालय के लोगों का भरपूर सहयोग मिलता है।