टाटा और महिंद्रा के बाद ओला भी इलेक्ट्रिक वाहनों के बाज़ार में; 2024 में आ जाएगी पहली इलेक्ट्रिक कार
ओला के 2024 में इलेक्ट्रिक कार लाने के ऐलान के साथ भारतीय ईवी मार्केट में नयी सरगर्मी की सम्भावना है. टाटा और महिंद्रा जैसी बड़ी कंपनियाँ इस सेग्मेंट में पहले से हैं.
भारत का ऑटो बाज़ार इलेक्ट्रिक वेहिकल के क्षेत्र में बड़े शेयर के लिए बड़ा प्रयास कर रहा है. टाटा मोटर्स की इस पहल में Tata Nexon इलेक्ट्रिक कार की मार्केट में पहले से ही धूम है.
अब इस रेस में टाटा के अलावा महिंद्रा एंड महिंद्रा भी शामिल है. दो बड़ी कम्पनियाँ और पर्यावरण का बड़ा मुद्दा! इन दोनों कंपनियों ने अभी तक इलेक्ट्रिकल व्हीकल को सिर्फ SUV के रेंज में ही लांच किया है. भविष्य में इनकी तैयारी EV के दूसरे सेगमेंट में गाड़ियाँ उतारने की है.
इस बीच देश के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ओला इलेक्ट्रिक ने आधिकारिक तौर पर जानकारी दी है कि भारतीय बाजार के लिए उसकी पहली इलेक्ट्रिक कार 2024 में आएगी.
यूरोपियन कमीशन का अनुमान है कि साल 2028 तक सड़कों पर 200 मिलियन इलेक्ट्रिक कारें दौड़ेंगी. बता दें कि बैटरी इलेक्ट्रिक कारों की क़ीमत 40 फीसदी तक बढ़ा देती है और चीन का दुनिया के दो तिहाई बैटरी मैन्युफैक्चरिंग मार्केट पर कब्जा है. यूरोपीय संघ को 2028 तक इस मार्केट में अपने हिस्से को मौजूदा 3 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी तक करने की उम्मीद है.
ओला के फाउंडर भावेश अग्रवाल ने कहा है कि भारत को ईवी रिवॉल्यूशन का केंद्र बनना चाहिए. देश सेमीकंडक्टर, सोलर, इलेक्ट्रॉनिक और दूसरी मैन्युफैक्चरिंग क्रांति में पिछड़ गया है. जबकि दुनिया के ऑटोमोटिव मार्केट में देश की 25 फीसदी हिस्सेदारी होनी चाहिए. हम अगर हम आज निवेश करें तो हम इलेक्ट्रिक सेल्स और बैटरी के मार्केट में लीड कर सकते हैं.
ओला कंपनी का दावा है कि नई ओला इलेक्ट्रिक कार सिंगल चार्ज में 500 किमी से अधिक दूरी तय करने की रेंज के साथ आएगी.इस कार के 4 सेकंड से भी कम समय में 0-100 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार चलने का दावा किया गया है. यह कार ब्रांड के इन-हाउस ली-आयन बैटरी पैक से पावर्ड होगी. ऐसी बैटरी के कारण ही इलेक्ट्रिक कारें कार्बन फ्री होती हैं.
चार्जिंग की सुविधाओं पर कंपनी ने 50 बड़े शहरों में 100 हाइपरचार्जर लॉन्च करने का भी दावा किया है. ओला इलेक्ट्रिक के बाजार में EV स्कूटर पहले से मौजूद हैं. हालांकि उनकी सेफ्टी पर कई सवाल उठे हैं.
इलेक्ट्रिक वहीकल उद्योग के सामने चार्जिंग टाइम करने और बैटरी की ट्रैवल केपेसिटी बढ़ाने के साथ-साथ सबसे बड़ी चुनौती ठीक उसी समस्या से जुड़ी है जिसका समाधान करने के लिए उसका जन्म हुआ है यानि पर्यावरण. इलेक्ट्रिक वाहन डीज़ल और पेट्रोल वाले वाहनों के विपरीत पर्यावरण को कोई सीधा नुक्सान नहीं पहुँचाते. लेकिन इन में इस्तेमाल होने वाली बैटरी की रिसाइकिलिंग एक बड़ी चुनौती है.
क्या टाटा और ओला इसका समाधान जल्द ढूँढ पाएँगे?
(फीचर इमेज क्रेडिट: @OlaElectric)