इस स्टार्टअप की मदद से समस्याएं सुलझा रहे ऐग्रीटेक स्टार्टअप्स और कॉर्पोरेट्स
एक नामचीन फ़ार्मा कंपनी बेयर की फ़सल विज्ञान यूनिट एक बड़ी समस्या से घिर गई। 150 साल पुरानी कंपनी किसानों को ट्रैक करने, स्पॉट करने और मक्के के खेतों में कीड़े लगने की समस्या से निपटने के लिए नए इनोवेशन की ज़रूरत थी। यही से भूमिका शुरू होती है आसालैब्स के व्यवसहाय प्लेटफ़ॉर्म की।
व्यवसहाय एक ओपन इनोवेशन प्लेटफ़ॉर्म है, जो कॉर्पोरेट्स इकाईयों की रिसर्च यूनिट्स, विश्वविद्यालयों और फ़ाउंडेशन्स इत्यादि को ऐग्रीटेक स्टार्टअप्स के साथ जोड़ता है। सतीश भवनकर, राघवेंद्र केएस और रघुवेंद्र जोशी ने मैसूर के आसालैब्स की शुरुआत की थी, लेकिन इसका डिवेलपमेंट सेंटर, सैंडबॉक्स स्टार्टअप्स हुबली में है। आसालैब्स के फ़ाउंडर्स, साथ मिलकर स्टार्टअप शुरू करने से पहले से ही एक-दूसरे को जानते थे और साथ काम कर चुके थे। इन्होंने अपने स्टार्टअप के अंतर्गत व्यवसहाय की भी शुरुआत की।
व्यवसहाय बिज़नेस वेंचर्स को अपनी चुनौतियां सामने रखने और सुलझाने का प्लेटफ़ॉर्म देता है, जो पूरी तरह से नई हैं और जिन्हें सुलझाने के लिए पहले से कोई स्थायी तरीक़ा लोगों के संज्ञान में नहीं है। ऐसी चुनौतियों के लिए व्यवसहाय के साथ जुड़े प्रॉब्लम सॉल्वर्स यानी समस्याओं का हल खोजने वाले लोग एक पूरा ऐक्शन प्लान तैयार करते हैं और संभावित उपायों की जानकारी देते हैं।
कंपनी के को-फ़ाउंडर सतीश का कहना है, "हमारा मुख्य उद्देश्य है कि मूलरूप से एक प्लेटफ़ॉर्म तैयार किया जाए, जो सभी के लिए खुला हो और जहां पर ऐग्री-फ़ूड इंडस्ट्री में होने वाले नए प्रयोगों की प्रक्रियो को एक नया आयाम दिया जा सके।" उदाहरण के तौर पर, बेयर ने व्यवसहाय के प्लेटफ़ॉर्म पर अपनी ज़रूरतों की एक पूरी फ़ेहरिस्त दर्ज करा रखी है। यह प्लेटफ़ॉर्म विभिन्न स्टार्टअप्स के साथ जुड़ा हुआ है और साथ ही, इसके साथ कई नए प्रयोगशाली लोग भी जुड़े हुए हैं, जो समस्याओं के लिए उपयुक्त उपायों का सुझाव देते हैं।
सतीश जानकारी देते हैं, "संगठन सीधे तौर पर स्टार्टअप्स के साथ बातचीत करता है और उन्हें पूरा मार्गदर्शन देता है, लेकिन इस प्रतियोगिता में कोई एक ही स्टार्टअप जीतता है। प्रक्रिया में सभी स्टार्टअप्स को प्रोटोटाइप तैयार करने की छूट होती है और उन्हें प्रोटोटाइप तैयार करने की पूरी जानकारी दी जाती है, मार्केट के हिसाब से प्रोडक्ट तैयार करने और अन्य सभी महत्वपूर्ण कामों में भी उनकी मदद की जाती है।"
ऐग्रीटेक सेक्टर को भारत में लगातार प्राथमिकता मिल रही है। योर स्टोरी द्वारा किए गए शोध के मुताबिक़, 2018 में कम से कम 13 ऐग्रीटेक स्टार्टअप्स ने 65.6 मिलियन डॉलर का फ़ंड जुटाया। सतीश बताते हैं, "शुरुआत में व्यवसहाय के पास फ़ॉलो करने के लिए कोई भी निर्धारित मॉडल नहीं था। हमें सब चीज़ों पर पहले चरण से काम करना पड़ा। पहले हमने अपनी दिशा निर्धारित की, फिर प्रयोग किए और फिर हमारी ख़ामियां सामने आईं। संगठनों से मिलने वाले फ़ीडबैक के ज़रिए हमने अलग-अलग मूल्य आधारित मॉडल तैयार किए और इसमें कई अन्य अहम चीज़ों को भी शामिल किया।"
हाल में, यह प्लेटफ़ॉर्म संगठनों से होस्टिंग फ़ी के तौर पर 75,000 रुपए की फ़ीस लेता है और जीतने वाले स्टार्टअप से 10 प्रतिशत का कमीशन चार्ज करता है।
अपने डिजिटल इनोवेशन के लिए आसालैब्स को डिपार्टमेंट फ़ॉर प्रमोशन ऑफ़ इंडस्ट्री ऐंड इंटरनल ट्रेड (डीपीआईआईटी) की ओर से प्रमाणपत्र भी मिल चुका है। इसके अलावा, आसालैब्स, बीएसई सोशल इम्पैक्ट अवॉर्ड 2019 के शीर्ष 50 की सूची में भी जगह बना चुका है।
फ़िलहाल कंपनी पूरी तरह से बूटस्ट्रैप्ड फ़ंडिंग के सहारे चल रही है। कंपनी के को-फ़ाउंडर्स को प्लेटफ़ॉर्म तैयार करने में 15 महीने लगे और 7 लाख रुपए खर्च हुए।
योर स्टोरी के शोध के मुताबिक़, 2018 में कम से कम 13 ऐग्रीटेक स्टार्टअप्स ने 65.6 मिलियन डॉलर की फ़ंडिंग जुटाई है, जो 2017 में 54 मिलियन डॉलर के मुक़ाबले 21 प्रतिशत तक अधिक है।
भविष्य की योजनाओं के बारे में बात करते हुए सतीश कहते हैं, "हम चाहते हैं कि पूरे देश के साथ-साथ दुनियाभर में हमारी मौजूदगी दर्ज हो। साथ ही, लोग क़ाग़ज़ से लेकर ज़मीनी स्तर तक नए प्रयोगों को अमलीजामा पहनाने के लिए हमारी मदद ले सकें।"