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जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी बढ़ाने में कृषि अवसंरचना फंड होगा अहम

जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी बढ़ाने में कृषि अवसंरचना फंड होगा अहम

Thursday August 13, 2020 , 2 min Read

किसानों के संगठन एफएआईएफए के अनुसार विशेष रूप से कोरोना वायरस की वजजह से आई मंदी के बीच अर्थव्यवस्था में स्थिरता बढ़ाये जाने की अपेक्षा हो रही है।

farmer

सांकेतिक चित्र



सरकार द्वारा शुरू किया गया एक लाख करोड़ रुपये का कृषि अवसंरचना कोष (फंड), देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि क्षेत्र का योगदान बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित होगा। किसानों के संगठन एफएआईएफए के अनुसार विशेष रूप से कोरोना वायरस की वजजह से आई मंदी के बीच अर्थव्यवस्था में स्थिरता बढ़ाये जाने की अपेक्षा हो रही है।


अखिल भारतीय किसान संघों के महासंघ (एफएआईएफए) ने कहा कि देश के कृषि बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने की ओंर ध्यान देने वाले किसानों, कृषि-उद्यमियों, स्टार्ट-अप्स, कृषि-प्रौद्योगिकी कंपनियों और किसान समूहों के लिए यह कोष महत्वपूर्ण साबित होगा।


महासंघ आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और गुजरात में वाणिज्यिक फसलों के किसानों और कृषि श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करता है।


एफएआईएफए ने एक बयान में कहा, ‘‘मौजूदा समय में कृषि, राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 14 प्रतिशत से अधिक का योगदान करती है और देश के श्रमिकों के 40 प्रतिशत से अधिक हिस्से को आजीविका प्रदान करती है। कोविड-19 की वजह से पैदा आर्थिक मंदी के बीच 2020-21 में आर्थिक स्थिरता के लिए इसका योगदान और भी अधिक होने की उम्मीद है।’’





किसान निकाय ने कहा,

‘‘यह कृषि क्षेत्र का जीडीपी में अपने योगदान बढ़ाने में मदद करेगा, व्यापार संतुलन की स्थिति में सुधार करेगा, कृषि क्षेत्र की निर्यात क्षमता को प्रोत्साहित करेगा और किसानों की आय में वृद्धि करके एक स्थिर और समृद्ध जीवन सुनिश्चित करेगा।’’

फंड का स्वागत करते हुए, एफएआईएफए के अध्यक्ष जवारे गौड़ा ने कहा, ‘‘यह कोष कृषि क्षेत्र को फसल की कटाई के बाद उसके प्रबंधन के बुनियादी ढाँचे की लाभप्रद परियोजनाओं में निवेश के लिए मध्यम-से-दीर्घावधिक ऋण वित्तपोषण की सुविधा की योजना तैयार करने में मदद करेगा तथा ब्याज सहायता और वित्तीय समर्थन के जरिये सामुदायिक खेती की संपत्ति बनाने में मदद करेगा।’’


उन्होंने कहा कि इस कोष के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।


(सौजन्य से- भाषा पीटीआई)