कृषि मंत्रालय ने 3 साल में लौटाया 44000 करोड़ रुपये का बजट, नहीं कर पा रहा फंड का पूरा इस्तेमाल
कृषि और किसान कल्याण विभाग की अनुदान मांगों (2023-24) पर अपनी रिपोर्ट में, पीसी गद्दीगौदर की अध्यक्षता वाली कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण पर स्थायी समिति ने सरकार से बजट में से बची हुई राशि को लौटाने की प्रैक्टिस से बचने की सलाह दी.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत आने वाले कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने पिछले तीन सालों में अपने बजट में से 44,015.81 करोड़ रुपये की राशि वापस लौटा दी. विभाग ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह इस आवंटन का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाया. इसकी जानकारी सोमवार को लोकसभा में पेश संसद की स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में दी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, कृषि और किसान कल्याण विभाग की अनुदान मांगों (2023-24) पर अपनी रिपोर्ट में, पीसी गद्दीगौदर की अध्यक्षता वाली कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण पर स्थायी समिति ने सरकार से बजट में से बची हुई राशि को लौटाने की प्रैक्टिस से बचने की सलाह दी.
रिपोर्ट में कहा गया है, "विभाग के जवाब से तैयार नोट में समिति ने कहा कि 2020-21, 2021-22 और 2022-23 (अनुमानित) के दौरान क्रमशः 23,824.54 करोड़ रुपये, 429.22 करोड़ रुपये और 19,762.05 करोड़ रुपये की राशि सरेंडर की गई है." इसका मतलब है कि कुल मिलाकर पिछले तीन सालों में 44,015.81 करोड़ रुपये की राशि वापस लौटाई गई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि मंत्रालय द्वारा फंड का लौटाया जाना मुख्य रूप से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के कल्याण के लिए बनाई गई योजनाओं के लिए "कम आवश्यकता" के कारण है.
नोट में कहा गया, "समिति को सूचित किया गया है कि धन का लौटाया जाना मुख्य रूप से एनईएस (पूर्वोत्तर राज्यों), एससीएसपी (अनुसूचित जाति उप-योजना) और जनजातीय क्षेत्र उप-योजना (टीएएसपी) घटकों के तहत कम आवश्यकता के कारण है."
इसमें कहा गया है, "समिति महसूस करती है कि फंड को लौटाने की प्रैक्टिस को अब से हर तरह से टाला जाना चाहिए ताकि योजनाओं से प्राप्त होने वाले मूर्त लाभों को जमीनी स्तर पर सही तरीके से लागू करने की अनुमति दी जा सके."
"समिति, इसलिए, विभाग से अनुशंसा करती है कि फंड को लौटाए जाने के कारणों की पहचान करें और यह सुनिश्चित करने के लिए सुधारात्मक उपाय करें कि फंड का पूर्ण और कुशलता से उपयोग किया जाता है."
रिपोर्ट में इस बात की ओर भी ध्यान आकर्षित किया गया है कि केंद्र सरकार के कुल बजट में से फाइनेंशियल ईयर 2020-21 में विभाग को दिया जाने वाले फंड का प्रतिशत 4.41 फीसदी से घटकर 2023-24 में 2.57 फीसदी रह गया है.
समिति ने अपने नोट में कहा कि विभाग ने अपने जवाबों में स्वीकार किया है कि वर्ष 2020-21, 2021-22, 2022-23 और 2023-24 में दौरान भारत सरकार के कुल बजट में से प्रतिशत के संदर्भ में विभाग के पक्ष में किए गए बजटीय आवंटन का अनुपात क्रमश: 4.41 फीसदी, 3.53 फीसदी, 3.14 फीसदी और 2.57 फीसदी रहा.
नोट में कहा गया, फाइनेंशियल ईयर 2020-21 में केंद्र सरकार का कुल बजट परिव्यय 30,42,230.09 करोड़ रुपये था, जो 2023-24 में बढ़कर 45,03,097.45 करोड़ रुपये हो गया. ग्रामीण आजीविका, रोजगार सृजन और देश की खाद्य सुरक्षा में कृषि द्वारा निभाई गई प्रमुख भूमिका को ध्यान में रखते हुए, समिति विभाग को केंद्रीय बजट से प्रतिशत के रूप में बजटीय आवंटन के मुद्दे को वित्त मंत्रालय के साथ उठाने और यह सुनिश्चित करने की सिफारिश करती है.
इसके साथ ही, समिति ने विभाग से उन कारणों की भी पहचान करने के लिए कहा जिनके कारण प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत कंपनियां बीमा के दावों के निपटारे में देरी कर रही हैं.
Edited by Vishal Jaiswal