एयर इंडिया को चाहिए नए कर्मचारी, पुराने स्थाई कर्मचारियों के लिए शुरू स्पेशल रिटायरमेंट स्कीम
16 मई को कैंपबेल विलसन के एयर इंडिया के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर बनने के बाद कंपनी में बड़े बदलाव हो रहे हैं. पुराने स्थाई कर्मचारियों के लिए लागू VRS स्कीम इन बदलावों की ताजा कड़ी है.
टाटा के स्वामित्व वाली निजी कंपनी एयर इंडिया को अपने यहां नए कर्मचारियों की भर्ती करनी है. एयर इंडिया, जो कि पहले एक सरकारी कंपनी थी, के पुराने सेवा नियमों के मुताबिक वहां बहुत सारे ऐसे कर्मचारी हैं, जो कॉन्ट्रैक्ट पर नहीं हैं और परमानेंट इंप्लॉई हैं. कंपनी चूंकि सेवा नियमों के मुताबिक ऐसे कर्मचारियों को नौकरी से नहीं निकाल सकती तो उनके लिए एयर इंडिया ने नई वीआरएस (वॉलेंटरी रिटायरमेंट स्कीम) लांच की है.
इन स्थाई कर्मचारियों में केबिन क्रू भी शामिल हैं. एयर इंडिया के इतिहास में यह पहली बार है कि केबिन क्रू को भी वीआरएस स्कीम में जगह मिली है. इस वॉलेंटरी रिटायरमेंट स्कीम में वो कर्मचारी शामिल हैं, जिनकी उम्र या तो 55 वर्ष से ज्यादा है या जो कंपनी में 20 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. केबिन क्रू सदस्यों और कुछ अन्य विभागों से जुड़े कर्मचारियों के लिए उम्र सीमा 40 वर्ष रखी
गई है.
इस घोषणा में कहा गया है कि जो कर्मचारी 1 जून से 31 जुलाई के बीच वॉलेंटरी रिटायरमेंट के लिए अप्लाय करेंगे उन्हें एकमुश्त अनुग्रह धनराशि के अलावा अतिरिक्त आर्थिक लाभ भी दिया जाएगा.
टाटा ग्रुप ने पिछले साल अक्तूबर में एयर इंडिया का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया था. एयर इंडिया के निजीकरण की बात काफी लंबे समय से चल रही थी, लेकिन जून, 2017 में पहली बार भारत सरकार ने निजीकरण के इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति की मुहर लगा दी थी. पहले सरकार इसके सिर्फ 76 फीसदी स्टेक बेचना चाहती थी.
इस दिशा में मिली शुरुआती असफलता के बाद 2019 में सरकार ने एयर इंडिया का 100 फीसदी स्टेक बेचने का फैसला किया. सितंबर, 2021 में नए टेंडर जारी किए गए. स्पाइस जेट और टाटा संस ने एयर इंडिया को खरीदने के लिए बोली लगाई और आखिरकार अक्तूबर, 2022 में टाटा संस ने एयर इंडिया को 18,000 करोड़ की सबसे ऊंची बोली लगाकर खरीद लिया.
1932 में टाटा परिवार के ही जेआरडी टाटा ने एयर इंडिया की नींव डाली थी, जिसका नाम शुरू में टाटा एयरलाइंस था. 1953 में भारत सरकार ने एयर कॉरपोरेशंस एक्ट पास किया और टाटा संस ने टाटा एयरलाइंस का मेजॉरिटी स्टेक खरीद लिया और इसका नाम बदलकर इंडियन एयरलाइंस इंटरनेशनल लिमिटेड कर दिया गया. हालांकि तब भी जेआरडी टाटा 1977 तक इसके चेरयमैन
बने रहे.
अक्तूबर में एयर इंडिया को वापस खरीदने के बाद कंपनी में लगातार नए बदलाव हो रहे हैं. पिछले महीने की 12 तारीख को विमानन की दुनिया में 25 सालों का लंबा अनुभव रखने वाले कैंपबेल विलसन को एयर इंडिया ने अपना सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर नियुक्त किया. इसके पहले कैंपबेल सिंगापुर की विमानन कंपनी स्कूट के सीईओ थे. वो जापान, कनाडा, हांगकांग समेत 15 देशों की विमानन कंपनियों में महत्वपूर्ण पदों पर रहे चुके हैं.
एयर इंडिया का मानना है कि बढ़ते प्रतियोगी बाजार को देखते हुए उसे अपनी संरचना, कार्यप्रणाली और वर्क इनवायरमेंट में आमूलचूल बदलाव करने की जरूरत है. कैंपबेल के आने के बाद से यह सबसे बड़ी घोषणा है कि पुराने स्थाई कर्मचारियों को वॉलेंटरी रिटायरमेंट देकर कंपनी नए लोगों को भर्ती करना चाहती है.
नवंबर, 2019 तक एयर इंडिया में 9,426 स्थाई कर्मचारी कार्यरत थे.
Edited by Manisha Pandey