शहर में कोई भूखा ना सोये यह पुख्ता करने का लगातार प्रयास कर रही हैं पुणे की आकांक्षा
पुणे की आकांक्षा सादेकर ने बीते करीब डेढ़ महीन से अधिक समय में अब तक करीब 16 लाख से अधिक मील बांटने का काम किया है। वह लगातार यह सुनिश्चित करने का काम कर रही हैं कि उनके शहर में कोई भी व्यक्ति भूखा न सोये।
पुणे कोरोना महामारी से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले शहरों में से एक है।इस महामारी ने देश भर में लगभग सभी को बुरी तरह प्रभावित करने का काम किया है। बुनियादी जरूरतों जैसे खाने की बात करें तो महामारी ने सभी के लिए ऐसी परिस्थितियाँ खड़ी करने का काम भी किया है जिनके चलते बड़ी संख्या में लोगों की बेहतर और साफ सुथरे खाने तक पहुँच मुश्किल हो गई है, इसमें हेल्थकेयर वर्कर्स और पुलिस विभाग के कर्मचारी शामिल हैं।
हालांकि इस दौरान इस समस्या को सुलझाने का लगातार प्रयास करते हुए पुणे की आकांक्षा सादेकर ने बीते करीब डेढ़ महीन से अधिक समय में अब तक करीब 16 लाख से अधिक मील बांटने का काम किया है। वह लगातार यह सुनिश्चित करने का काम कर रही हैं कि उनके शहर में कोई भी व्यक्ति भूखा न सोये।
एक ट्वीट से मिली प्रेरणा
आकांक्षा के अनुसार उनका एक छोटा भाई है जो खुद मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है और अपनी इंटर्नशिप के आखिरी साल में है। आकांक्षा के अनुसार वो जानती हैं कि उनके भाई को घर का बना खाना पसंद है और इस मुहिम की असल शुरुआत दरअसल आकांक्षा ने अपने भाई को खाने का टिफिन भेजने के साथ ही की है।
हालांकि अन्य के लिए इस तरह की मदद की प्रेरणा उन्हे एक ट्वीट से मिली, जहां एक डॉक्टर ने अपने अनुभव को बयां करते हुए बताया था कि किस तरह वे शाम साढ़े आठ बजे तक अपने घर आते हैं और उस समय घर पर खाने के लिए कुछ नहीं होता है, जिसके चलते उन्हे महज मैगी खाकर गुजारा करना पड़ता है। खुद अपने भाई के मेडिकल प्रोफेशन में होने के चलते आकांक्षा को डॉक्टर का यह अनुभव काफी पीड़ादाई लगा और उन्होने इसे अपने स्तर पर इसे हल करने का फैसला किया।
और यूं हो गई शुरुआत
आकांक्षा ने उस डॉक्टर के ट्वीट पर रिप्लाई करते हुए आग्रह किया कि वह अपने भाई के लिए भी खाना पकाती हैं और वह उनके लिए भी खाना भेज सकती हैं। आकांक्षा का यह रिप्लाई इंटरनेट पर वायरल हो गया और लोगों ने उन्हे मैसेज करना शुरू कर दिया। इस दौरान लोग आकांक्षा ने खाना भेजने का आग्रह कर रहे थे।
इस तरह आकांक्षा ने हेल्थकेयर वर्कर्स के लिए खाने के 10 डब्बे भेजने के साथ अपने नेक कदम इस दिशा में बढ़ा दिये। जानकारी होने के साथ ही अन्य हेल्थकेयर वर्कर ने भी आकांक्षा से यही आग्रह करना शुरू कर दिया और जल्द ही यह संख्या 10 से 100 के पार पहुँच गई। गौरतलब है कि अपने इस काम को अंजाम देने के लिए आकांक्षा ने सिर्फ अपने दोस्तों से ही आर्थिक मदद ली है। मालूम हो कि आकांक्षा फिलहाल यह नेक काम अपनी दोस्त रोनिता के साथ मिलकर कर रही हैं।
‘बदल गई जिंदगी’
ब्रिटेन से पढ़ाई करने वाली आकांक्षा के अनुसार महज एक ट्वीट ने इस महामारी के बीच उनकी जिंदगी को बदल दिया है। आज ये खाना एक किचन में तैयार किया जाता है, जहां आकांक्षा की तीन से चार लोगों की टीम खाना पैक करने का काम करती है। खाने को फिर एक टेम्पो के जरिये सही लोकेशन तक पहुंचाने का काम किया जाता है। हेल्थकेयर वर्कर उसी एक जगह से खाने को पिक कर लेते हैं।
आज आकांक्षा कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच पुलिस, मेडिकल हेल्थ वर्कर के साथ ही रेडलाइट एरिया में भी खाना पहुंचाने का काम कर रही हैं। खानी की बर्बादी ना हो इसके लिए आकांक्षा पुलिस के साथ मिलकर भी काम करती हैं, इसी के साथ वह उन जगहों को भी चिन्हित करती हैं जहां खाना नहीं पहुँच रहा है और फिर वहाँ भी खाना पहुंचाने का काम करती हैं।
Edited by Ranjana Tripathi