न्यूयॉर्क शहर की पहचान 'स्टैच्यू ऑफ़ लिबर्टी’ का इतिहास
Friday October 28, 2022 , null min Read
स्वतंत्रता का प्रतीक माने जाने वाले ‘स्टैच्यू ऑफ़ लिबर्टी’ अमेरिका के न्यू यॉर्क शहर के हार्बर में लिबर्टी द्वीप में स्थित एक प्रतिमा हैं जो एक तरह से पर्यटकों के लिए अमेरिका का भी प्रतीक बन चूका है. इस मूर्ती को ‘लिबर्टी इनलाइटनिंग द वर्ल्ड’ के नाम से भी जाना जाता है. मूर्ती के नाम से ही इसके महत्त्व को समझा जा सकता है. इस मूर्ती को रोमन गॉडेस 'लिबर्ट्स' के रूप में बनाया गया है जो रोमन पौराणिक कथाओं में स्वतंत्रता की देवी मानी जाती है. इस मूर्ति के एक हाथ में जलती हुई मशाल और दूसरे हाथ में एक किताब है. स्वतंत्रता की प्रतीक यह मूर्ती अमेरिकी स्वतंत्रता का भी प्रतीक है. अमेरिकी स्वतंत्रता की पहचान बन चूका ‘स्टैच्यू ऑफ़ लिबर्टी’ को फ्रांस ने अमेरिका को तोहफे में दिया था. 4 जुलाई 1776 को अमेरिका की स्वतंत्रता की स्मृति में फ्रांसीसियों द्वारा दिया गया एक उपहार था. फ्रांस के लोगों की ओर से मिले इस तोहफे को अमेरिका के राष्ट्रपति ग्रोवर क्लीवलैंड ने अपनी जनता की ओर से स्वीकार किया. उपहार स्वरूप दिए गए ‘स्टैच्यू ऑफ़ लिबर्टी’ का निर्माण फ्रांस और अमेरिका दोनों के संयुक्त प्रयासों से किया गया था. स्टैच्यू की नींव का निर्माण अमेरिका द्वारा किया गया था, वहीँ मूर्ति को आकार और स्वरूप फ्रांसीसी वास्तुकारों लोगों ने दिया.
एडौर्ड डी लाबौले (Edouard de Laboulaye) ने सबसे पहले इसे अमेरिका को उपहार में देने का विचार जाहिर किया. इसे डिज़ाइन फ्रेडरिक ऑगस्ट बर्थोल्डी (Frederic Auguste Bartholdi) ने किया था और चार विशाल स्टील सपोर्ट के ढांचे, जिस पर तांबे की चादरों से प्रतिमा अपना रूप लेती है, को एलेक्जेंडर-गुस्ताव एफिल द्वारा डिजाइन किया गया था.
मूर्ती का आधिकारिक रूप से निर्माण 1875 में फ्रांस में शुरू हुआ, मई 1884 में फ्रांस में यह मूर्ति बन कर तैयार हुई. जून 1885 में इसे करीब 200 टुकड़ों में अमेरिका लाया गया. न्यूयॉर्क हार्बर में इन्हें जोड़कर पूरी मूर्ति खड़ी की गई. 151 फीट ऊंची बनी तांबे की यह मूर्ति लगभग 9 साल में बन कर तैयार हुई थी.
‘स्टैच्यू ऑफ़ लिबर्टी’ मूर्ति के मुकुट पर 7 स्पाइक्स हैं, जो सातों महाद्वीपों और समुंद्रो को दर्शाती है. हर स्पाइक की लंबाई 9 फीट और वजन लगभग 150 पाउंड है. वहीं क्राउन में 35 खिड़कियां हैं. जिस आइलैंड पर ‘स्टैच्यू ऑफ़ लिबर्टी की’ मूर्ति को बनाया गया था उसका नाम Bedloe Island था जिसे 1956 में बदलकर लिबर्टी आइलैंड कर दिया गया था.
यह प्रतिमा भले ही जलती हुई मशाल के लिए जानी जाती है, लेकिन अब जो इसमें मशाल रखी गई है वो एक केवल कॉपी है. 1984 में, मौसम की वजह से होने वाले नुकसान के कारण मशाल को बदलना पड़ गया था. कॉपी रखी गई टोर्च में नई तरीके से मशाल को डिजाइन किया गया है. ऑरिजिनल मशाल को पर्यटकों के देखने के लिए लिबर्टी संग्रहालय में डिस्प्ले के रूप में रखा गया है.