IIT के पूर्व छात्रों ने शुरू किया स्टार्टअप, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की मदद से स्टूडेंट्स को बता रहा करियर के विकल्प
भारत में हर साल 1 करोड़ 30 लाख युवा प्रोफ़ेशनल करियर की शुरुआत करने के पायदान तक पहुंचते हैं। वी फ़ोरम की एक रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से मात्र 10 प्रतिशत ही रोज़गार के योग्य हो पाते हैं।
आईआईटी के पांच पूर्व छात्रों ने पाया कि इसकी मुख्य वजह यह है कि ज़्यादातर लोग अपनी योग्यता और ख़ासियतों के हिसाब से सही स्ट्रीम या करियर का चुनाव नहीं कर पाते। जागरूकता की कमी की वजह से रोज़गार की योग्यता में कमी आती है और इस कमी को दूर करने के उद्देश्य के साथ ही, आईआईटी, खड़गपुर के पूर्व छात्रों, मोहम्मद अम्माचांडी, दलीफ़ रहमान, मोहम्मद सलीह, साजिद मोहम्मद और मुनव्वर फ़ैरूज़ ने 2017 में कोझिकोड से वी लीड (vLead) स्टार्टअप की शुरुआत की।
मोहम्मद अम्माचांडी का कहना है, "हमने आईआईटी और ऐसे ही देश के अन्य सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में पढ़ने वाले दोस्तों में भी यह समस्या पाई है कि वे ज़्यादा सोच-विचार किए बिना ही अपने कोर्स या प्रोफ़ेशनल करियर के निर्णय ले लेते हैं।"
अम्माचांडी बताते हैं कि शुरुआती 3 महीनों में उन्होंने अपनी टीम के साथ भारत और दुनियाभर में करियर डिवेलपमेंट के लिए मौजूद विभिन्न विकल्पों पर शोध किया और पाया कि स्टूडेंट्स को इस क्षेत्र में मदद के लिए कोई भी वैज्ञानिक विधि नहीं है, जो उनके लिए सबसे उपयुक्त हो।
इसके बाद कंपनी के को-फ़ाउंडर्स ने मिलकर एलसीएटी लॉन्च किया। यह एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है, जो ऐप्टीट्यूड और स्किल्स के आधार पर करियर की दिशा निर्धारित करने में कैंडिडेट्स की मदद करता है। इस प्लेटफ़ॉर्म पर वैज्ञानिक रूप से करियर असेस्मेंट की सुविधा उपलब्ध है, जिसके बाद प्रशिक्षित करियर एक्सपर्ट्स की मदद से असेस्मेंट के परिणाम के आधार पर कैंडिडेट्स की काउंसलिंग की जाती है। काउंसलिंग सेशन से पहले स्टूडेंट्स और उनके माता-पिता की पसंद-नापसंद और उम्मीदों का पूरा ब्यौरा भी लिया जाता है।
एलसीएटी प्लेटफ़ॉर्म ऐसी विधि का इस्तेमाल करता है, जिसके अंतर्गत आर्टिफ़िशल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग तकनीकों के साथ-साथ विशेषज्ञों द्वारा साइकोलॉजिकल और साइकोमैट्रिक आकलन का मेल है। इसमें तीन श्रेणियां हैं- राइज़ (8वीं और 9वीं कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों के लिए), सेल (10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षा में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए) और रीडिज़ाइन (कॉलेज में पढ़ने वाले और हाल ही में ग्रैजुएट हुए स्टूडेंट्स के लिए)।
पहले चरण में आदमी की पसंद, ऐप्टीट्यूड, व्यक्तित्व और इमोशनल इंटेलिजेंस आदि के आधार पर कम्प्यूटर आधारित साइकोमैट्रिक असेस्मेंट किया जाता है। असेस्मेंट पूरा होने के बाद, ऐल्गॉरिदम पांच करियर फ़ील्ड्स का सुझाव देती है ( या दो स्ट्रीम्स का विकल्प देती है, एलसीएटी राइज़ के मामले में), जो उस आदमी के लिए सबसे उपयुक्त हों।
इसके बाद काउंसलिंग सेशन में स्टूडेंट्स और उनके मात-पिता दोनों ही पक्षों से बात की जाती है और एक व्यक्तिगत सेशन के अंतर्गत विडियो कॉन्फ़्रेंस के ज़रिए करियर काउंसलिंग के विशेषज्ञ दोनों ही पक्षों से बातचीत करते हैं। पूरा ब्यौरा लेने के लिए एक्सपर्ट्स अपनी सलाह देते हैं। पहले चरण से लेकर आखिरी तक पूरी प्रक्रिया की जानकारी स्टूडेंट के पर्सनल डैशबोर्ड पर होती है। काउंसलिंग में मिली सलाह को कैसे लागू करना है, इस बारे में भी स्टूडेंट्स को डैशबोर्ड के माध्यम से लगातार मदद मिलती रहती है। स्टूडेंट्स लगातार एक्सपर्ट्स के साथ चैट कर सकते हैं।
एलसीएटी इंस्टीट्यूशन्स को भी इस तरह की सर्विसेज़ देता है। संस्थान अपने स्टूडेंट्स के करियर डिवेलपमेंट के लिए एलसीएटी प्लेटफ़ॉर्म की मदद ले सकते हैं।
वी लीड एडुवेंचर्स तीन रेवेन्यू मॉडलों के तहत काम करता है- बी टू बी, जिसमें स्कूलों और इंस्टीट्यूट्स के ज़रिए सेल्स होती है; बी टू सी, जिसमें शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली इकाईयों, इंस्टीट्यूशन्स, सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों के साथ सेल्स और स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप की जाती है; तीसरे मॉडल के तहत कंपनी ऑफ़लाइन प्लेयर्स के साथ-साथ ऑनलाइन माध्यम से एडटेक सेक्टर में काम करने वाले लोगों या इकाईयों के साथ काम करती है। वी लीड के मुताबिक़, 2 हज़ार से ज़्यादा स्टूडेंट्स उनके प्लेटफ़ॉर्म कर रहे हैं।
राइज़ कैटेगरी के लिए कंपनी हर स्टूडेंट से 2,300 रुपए चार्ज करती है, सेल कैटेगरी के लिए हर स्टूडेंट से 2,400 रुपए और रीडिज़ाइन कैटेगरी में हर स्टूडेंट से 3,400 रुपए चार्ज किए जाते हैं। बीटूबी चैनल के लिए कंपनी की प्राइसिंग स्ट्रैटजी अलग है। कंपनी का दावा है कि उन्होंने इस साल जनवरी से अभी तक 150 प्रतिशत की मासिक रेवेन्यू ग्रोथ हासिल की है।