'सड़क' पर समाज की धारणा तोड़ रहीं करनाल की अर्चना और सरिता, महिला दिवस पर सीएम खट्टर करेंगे सम्मानित
समाज के लोगों का मानना था कि बस चलाना मजबूत हाथों (पुरुषों) का काम होता है लेकिन अर्चना ने इस बात को खुद पर हावी नहीं होने दिया।
ड्राइवर के पेशे को पुरुष प्रधान माना जाता है। यानी समाज में माना जाता है कि ड्राइविंग करना केवल पुरुषों का काम है। हालांकि ऐसा है नहीं, आजकल कई महिलाएं हैं जो समाज में फैले इस मिथक को तोड़ रही हैं। ऐसी ही दो महिलाएं हैं हरियाणा की अर्चना और सरिता, अर्चना ड्राइवर हैं और सरिता कंडक्टर (परिचालक)। दोनों ही महिलाएं समाज की गलत धारणा को तोड़ते हुए नारी शक्ति की एक अनोखी मिसाल पेश कर रही हैं। दोनों ही करनाल शहर में नगर निगम की सिटी बसों में काम करती नजर आती हैं।
अब उनके इस काम को देखते हुए हरियाणा की खट्टर सरकार दोनों को इस महिला दिवस (8 मार्च) को सम्मानित कर रही है। अर्चना हरियाणा के करनाल की पहली महिला बस ड्राइवर हैं। अर्चना के लिए इसकी राह आसान नहीं थी। समाज के लोगों का मानना था कि बस चलाना मजबूत हाथों (पुरुषों) का काम होता है लेकिन अर्चना ने इस बात को खुद पर हावी नहीं होने दिया। हरियाणा के बल्ला गांव की निवासी अर्चना करनाल की सड़कों पर नगर निगम की सिटी बस चलाती हैं।
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए अर्चना कहती हैं,
'मैं पिछले 5 सालों से बस चला रही हूं। मैंने बहुत संघर्ष किया है क्योंकि हमारा समाज इस पेशे (ड्राइविंग) को महिलाओं के लिए उपयुक्त नहीं मानता है। अब मैं खुश हूं कि मेरे काम को अब पहचाना जा रहा है। इस महिला दिवस पर मुझे और बस कंडक्टर सरिता को मुख्यमंत्री एमएल खट्टर सम्मानित करेंगे।'
अर्चना को बस चलाते देख कई लोग हैरानी जताते हैं। वहां के लोगों ने महिलाओं को ई-रिक्शा चलाते तो देखा था लेकिन सवारियों से खचाखच भरी बस की स्टियरिंग एक महिला के हाथ में देख सभी लोग आश्चर्यचकित हैं। अर्चना शादीशुदा हैं और 12वीं तक पढ़ी हैं। उनके पति धर्मेंद्र भी पेशे से एक ड्राइवर ही हैं। वह टैक्सी चलाने का काम करते हैं।
वह आगे कहती हैं,
'प्रधानमंत्री मोदी की #SheInspiresUs पहल काफी अच्छी और प्रोत्साहित करने वाली है। यह पहल महिलाओं को अपने जीवन में कुछ नया हासिल करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। पीएम मोदी ने महिलाओं के कल्याण के लिए बहुत कुछ किया है।'
ड्राइवर अर्चना के अलावा परिचालक सरिता ने भी समाज की धारणा तोड़ते हुए अलग मिसाल कायम की है। सरिता करनाल के नगला शाहपुर की निवासी हैं। उनके यहां तक के सफर में उनके पति कुलदीप ने पूरा सहयोग किया है।
जब लोग शहर की सिटी बस में बैठते हैं तो महिला ड्राइवर को देखकर तो चौंकते ही हैं, कंडक्टर के तौर पर भी महिला को देखकर सभी लोग आश्चर्य में पड़ जाते हैं। हालांकि लोग अब दोनों की तारीफ करते हैं। लोगों का कहना है कि दोनों ने ही समाज में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए एक नई पहल की है और इसका स्वागत होना चाहिए।