इन 10 फिल्मों के बिना आपकी मूवी लिस्ट अधूरी है
अगर आप बेहतरीन फिल्मों का शौक रखते हैं तो ये 10 फिल्में आप जरूर पसंद करेंगे। इन फिल्मों ने दर्शकों के बीच अपनी एक खास जगह बनाई है।
फिल्में समाज पर अपना सीधा प्रभाव छोड़ती हैं। फिल्में अच्छी होंगी तो दर्शकों को स्वस्थ मनोरंजन मिलेगा और उनके पास फिल्मों का कुछ हासिल भी होगा, वहीं फिल्में अगर बुरी होंगी तो वे महज फूहड़ मनोरंजन ही देंगी।
देश और विदेश में बेहतरीन कहानी के साथ अपने साथ संदेश लेकर चलने वाली फिल्में शुरुआत से ही बनती रही हैं, हम नीचे आपको ऐसी ही कुछ फिल्मों के बारे में बता रहे हैं जिन्हे ऑल-टाइम बेहतरीन फिल्मों में गिना जाता है।
बाईसकिल थीव्स (1948)
इटली के फ़िल्ममेकर विटोरियो डि सिका द्वारा बनाई गई फिल्म ‘बाईसकिल थीव्स’ की गिनती सार्वकालिक सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में होती है। इस मार्मिक फिल्म की कहानी एक पिता और बेटे के ऊपर आधारित है, जहां संघर्ष के साथ जीवन गुजार रहे पिता की साइकल एक चोर ले जाता है। फिल्म मानवीय संवेदनाओं को बड़ी ही खूबसूरती के साथ दर्शकों के सामने प्रस्तुत करती है।
फिल्म रिलीज होने के साथ ही इसे दर्शकों और समीक्षकों ने खूब पसंद किया था, साथ ही फिल्म को कई अवार्ड भी हासिल हुए थे। गौरतलब है कि इस फिल्म को रंगमंच पर भी उतारा गया था। बीते साल शिकागो में हुए राइनोसेरोस थिएटर फेस्टिवल में इसका प्रेमियर भी हुआ था।
शिंडलर्स लिस्ट (1993)
स्टीवन स्पीलबर्ग की फिल्म शिंडलर्स लिस्ट एक जर्मन व्यापारी और नाज़ी पार्टी के सदस्य ऑस्कर शिंडलर के जीवन पर आधारित है। फिल्म का बैकड्रॉप द्वितीय विश्वयुद्ध के समय का है, जहां यह जर्मन व्यापारी अपने 1 हज़ार से अधिक पोलिश-यहूदी मजदूरों को नरसंहार से बचाता है।
स्पीलबर्ग ने इस फिल्म को ब्लैक एंड व्हाइट में शूट किया था। फिल्म को दुनिया भर से सराहना मिली इसी के साथ फिल्म ने बेस्ट पिक्चर समेत 7 ऑस्कर भी जीते थे। दर्शक इस फिल्म को स्पीलबर्ग के करियर की सर्वश्रेष्ठ फिल्म बताते हैं। उस समय 22 मिलियन डॉलर की लागत से बनी फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर भी कमाल करते हुए 322 मिलियन डॉलर की कमाई की थी।
फॉरेस्ट गंप (1994)
साल 1994 में आई फिल्म फॉरेस्ट गंप में मुख्य किरदार निभाटे हुए अभिनेता टॉम हैंक्स को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का ऑस्कर मिला था। इस फिल्म ने 67वें ऑस्कर में सर्वश्रेष्ठ फिल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक समेत 6 ऑस्कर जीते थे, जबकि फिल्म को कुल 13 श्रेणियों में नामांकित किया गया था।
फिल्म विंस्टन ग्रूम की नॉवेल पर आधारित है। नॉवेल का शीर्षक भी फॉरेस्ट गंप ही है। फिल्म एक ऐसे किरदार के बारे में जो अपनी कमजोरियों को भूलते हुए सफलता की ओर लगातार बढ़ता जाता है। फिल्म दर्शकों को मानवीय संवेदनाओं के लगभग हर आयाम से रूबरू कराती है। गौरतलब है कि अभिनेता आमिर खान इसी फिल्म के एडॉप्टेड हिन्दी वर्जन में काम कर रहे हैं, यह फिल्म लाल सिंह चड्ढा के नाम से आएगी।
मसान (2015)
साल 2015 आई फिल्म मसान को समीक्षकों द्वारा बेहद पसंद किया गया। फिल्म का निर्देशन नीरज घेयवान ने किया, जबकि फिल्म का स्क्रीनप्ले वरुण ग्रोवर ने लिखा था। फिल्म बनारस पर बेस्ड है, जहां यह फिल्म अपने साथ दो कहानियों को समानान्तर रूप से लेकर आगे बढ़ती है। फिल्म को कान फिल्म फेस्टिवल में भी प्रदर्शित किया गया था, जबकि फिल्म के लिए नीरज घेयवान को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
फिल्म के किरदार अपने साथ समाज के वास्तविक स्वरूप को दर्शकों के सामने प्रस्तुत करते हैं, जो फिल्म देख रहे दर्शकों को सोचने के लिए मजबूर कर देते हैं।
आई, डेनियल ब्लैक (2016)
2016 में आई ड्रामा फिल्म आई, डेनियल ब्लैक को केन लोच ने निर्देशित किया था, गौरतलब है कि इस बेहतरीन फिल्म को कान फिल्म फेस्टिवल में पाम डी’ओर से सम्मानित किया गया था। फिल्म की कहानी एक ऐसे व्यक्ति पर आधारित है जो अपनी नौकरी के लिए लड़ रहा है।
यह फिल्म बेहद मार्मिक है और कई बार आपको झकझोर कर रख देती है। फिल्म को कई फिल्म फ़ेस्टिवल्स में प्रदर्शित किया गया, जहां फिल्म ने कई अवार्ड भी जीते।
फैंड्री (2013)
साल 2013 में आई फिल्म फैंड्री एक मराठी फिल्म है, जिसका निर्देशन नागराज मंजूले ने किया है। यह फिल्म समाज के निचले तबके का चित्रण इतने सहज रूप से करती है कि दर्शक उस हालात को खुद-ब-खुद जीने लगते हैं।
फैंड्री की कहानी समाज के उस ताने-बाने से बुनी हुई है, जहां समाज के तथाकथित उच्च वर्ग और निम्न वर्ग के बीच की खाईं साफ समझ आती है। फैंड्री के लिए नागराज मंजूले को बेस्ट फिल्म निर्देशक का नेशनल अवार्ड मिला था।
जाने भी दो यारों (1983)
कुन्दन शाह द्वारा निर्देशित फिल्म जाने भी दो यारों एक कॉमेडी फिल्म होने के बावजूद बड़े ही सहज तरीके से सिस्टम की वास्तविकता से आपका परिचय कराती है। फिल्म में नसीरुद्दीन शाह, रवि बसवानी और ओम पूरी का अभिनय आपको उनके किरदारों के इतना करीब कर देता है कि आप फिल्म को अपनी जिंदगी से जोड़कर देखने में भी सहज हो जाते हैं।
यह फिल्म अपने आप में एक कल्ट क्लासिक है, हालांकि रिलीज के बाद फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर सफलता तो हासिल नहीं हुई, लेकिन फिल्म के चाहने वालों की संख्या में साल-दर-साल बढ़ोत्तरी होती चली गई।
स्वदेश (2004)
आशुतोष गोवारिकर के निर्देशन में बनी ड्रामा फिल्म स्वदेश एक एनआरआई के जीवन पर आधारित है, जो अपने वतन लौटता है। फिल्म को पसंद करने वाले दशकों की संख्या काफी है, लेकिन बावजूद इसके इस फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर सफलता हासिल नहीं हुई थी।
इस फिल्म को दो नेशनल अवार्ड के साथ दो फिल्मफेयर अवार्ड भी हासिल हुए थे, वहीं एआर रहमान द्वारा दिया गया फिल्म का संगीत आज भी कल्ट है।
जोजो रैबिट (2019)
टाइका वाईटीटी द्वारा निर्देशित जोजो रैबिट की कहानी जोजो नाम के ऐसे बच्चे के ऊपर है जो हिटलर यूथ का मेम्बर है और हिटलर उसका काल्पनिक दोस्त भी है। यह कॉमेडी-ड्रामा फिल्म अपने साथ हास्य के साथ कई मार्मिक दृश्य भी लेकर चलती है, जिसके चलते यह फिल्म बेहद खास हो जाती है। फिल्म में टाइका द्वारा लिखे गए व्यंग इस फिल्म को और भी धार देते हैं।
फिल्म को रिलीज के साथ ही कई वैश्विक स्तर पर सराहना मिली। फिल्म के लिए टाइका वाईटीटी को एक ऑस्कर भी मिला है। गौरतलब है कि इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर भी ताबड़तोड़ कमाई की है।
पैरासाइट (2019)
फिल्म पैरासाइट एक दक्षिण कोरियाई फिल्म है, जिसका निर्देशन बोंग जून-हो ने किया है। फिल्म ने इस साल एकेडमी अवार्ड्स में बेस्ट पिक्चर और बेस्ट डायरेक्टर समेत 4 ऑस्कर जीते, जबकि फिल्म को कुल 6 श्रेणियों में नामित किया गया था। पैरासाइट बेस्ट पिक्चर का ऑस्कर जीतने वाली पहली गैर-अंग्रेजी फिल्म है।
फिल्म की कहानी एक ऐसे परिवार की है, जहां यह परिवार धीरे से एक अमीर घर पर नौकरी पा जाता है और उसके बाद लगातार घटित होने वाली घटनओं का चित्रण दर्शकों को बांधे रखता है। फिल्म ने कान फिल्म फेस्टिवल में भी पाम डी’ओर का खिताब जीता था।