लेफ्टिनेंट कर्नल संजीव मलिक ने कोलंबिया में विश्व चिकित्सा और स्वास्थ्य खेलों में पांच स्वर्ण पदक जीतकर रचा इतिहास
उनकी 800 मीटर, 1500 मीटर, 3000 मीटर, 5000 मीटर और क्रॉस-कंट्री स्पर्धाओं में हुई जीत उन्हें वर्ष 2023 में आयोजित इन खेलों में ऐसी शानदार उपलब्धि हासिल करने वाला एकमात्र एथलीट बनाती है. वे 1978 में शुरू हुए इन खेलों के कुछ चुनिंदा एथलीटों में शामिल हो गए हैं.
आर्मी मेडिकल कोर के अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल संजीव मलिक ने कोलंबिया में आयोजित 42वें विश्व चिकित्सा और स्वास्थ्य खेलों में पांच स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा है. वह वर्तमान में राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में राष्ट्रपति अंगरक्षक में तैनात हैं.
उनकी 800 मीटर, 1500 मीटर, 3000 मीटर, 5000 मीटर और क्रॉस-कंट्री स्पर्धाओं में हुई जीत उन्हें वर्ष 2023 में आयोजित इन खेलों में ऐसी शानदार उपलब्धि हासिल करने वाला एकमात्र एथलीट बनाती है. वे 1978 में शुरू हुए इन खेलों के कुछ चुनिंदा एथलीटों में शामिल हो गए हैं. DGAFMS लेफ्टिनेंट जनरल दलजीत सिंह ने इस शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें बधाई दी है और भविष्य में अधिक सम्मान हासिल करने की शुभकामनाएं भी दीं हैं.
विश्व चिकित्सा और स्वास्थ्य खेलों को अक्सर स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए ओलंपिक खेल के रूप में जाना जाता है. ये खेल चिकित्सा समुदाय में सबसे प्रतिष्ठित वैश्विक खेल आयोजन के रूप में विकसित हुए हैं. वर्ष 1978 की विरासत के साथ इन खेलों में प्रति वर्ष 50 से अधिक देशों के 2,500 से अधिक प्रतिभागी शामिल होते हैं. ये स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर ओलंपिक की मूल भावना को बरकरार रखते हुए, व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से, लगभग बीस खेल विधाओं में भाग लेते हैं.
लेफ्टिनेंट कर्नल संजीव मलिक की यह सफलता न केवल उनकी व्यक्तिगत उत्कृष्टता पर प्रकाश डालती है, बल्कि विश्व स्तर पर स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों के समर्पण को भी दर्शाती है, जो एथलेटिक उपलब्धियों के साथ अपनी चिकित्सा विशेषज्ञता का भी परस्पर मिश्रण करते हैं. इन खेलों के 42वें संस्करण के समापन के साथ लेफ्टिनेंट कर्नल संजीव मलिक स्वास्थ्य खेलों की दुनिया में आज प्रेरणा के प्रतीक के रूप में खड़े हैं.
उनकी यह शानदार उपलब्धि न केवल उनकी दृढ़ता और समर्पण को दर्शाती है, बल्कि यह पूरे देश में हजारों डॉक्टरों को प्रतिस्पर्धी खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए भी प्रेरित करेगी. उनकी इस सफलता से पूरे विश्व में हमारे डॉक्टरों की प्रतिष्ठा और छवि बढ़ी है. लेफ्टिनेंट कर्नल संजीव मलिक की इस शानदार उपलब्धि ने इस तथ्य की पुष्टि कर दी है कि भारत के डॉक्टर न केवल शल्य-क्रिया और स्टेथोस्कोप के उपयोग में ही निपुण हैं, बल्कि वे उत्तम स्वास्थ्य के भी राजदूत बन सकते हैं.
(फीचर इमेज: PIB)