सड़कों पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए पूरी तरह सक्षम हैं वीरांगना कमांडो, सख्त ट्रेनिंग के बाद मिलता है मौका
इस खास यूनिट में शामिल महिला कमांडो में से अधिकतर ने खुद भी अपने परिवार या समाज में बुरा बर्ताव झेला है और कई बार तो घरेलू हिंसा का भी सामना किया है।
असम में लगातार अपनी बेहतरीन सेवा दे रही वीरांगना भारत की पहली ऑल फीमेल कमांडो यूनिट है। आज राज्य में महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचारों और बुरे बर्ताव के खिलाफ यह यूनिट सबसे आगे खड़ी नज़र आती है।
इस खास यूनिट में शामिल महिला कमांडो में से अधिकतर ने खुद भी अपने परिवार या समाज में बुरा बर्ताव झेला है और कई बार तो घरेलू हिंसा का भी सामना किया है। महिला कमांडो टीम का मानना है कि महिलाओं को सिर्फ सरस्वती और लक्ष्मी के रूप में ही नहीं देखना चाहिए, जब जरूरत पड़ती है तब वे दुर्गा और काली का रूप भी धारण कर सकती हैं, और इस वीरांगना कमांडो यूनिट ने इस बात को बखूबी साबित भी किया है।
2012 में हुई शुरुआत
साल 2012 में जब असम में महिलाओं के प्रति होने वाले अत्याचारों में बड़ी वृद्धि दर्ज़ की गई तब वीरांगना जैसी एक महिला कमांडो यूनिट की जरूरत महसूस की गई। असम पुलिस के भीतर भी वीरांगना कमांडों को लेकर शुरुआत में कुछ पुरुष पुलिसकर्मियों द्वारा एक तरह की अस्वीकार्यता का भाव देखने को मिला लेकिन वीरांगना कमांडो की मेहनत और उनके प्रदर्शन को देखने के बाद यह जल्द ही बदल गया।
वीरांगना कमांडो को महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचारों के खिलाफ लड़ने के लिए विशेष तौर पर ट्रेनिंग मिलती है। कमांडो टीम शांति बनाए रखने के लिए अक्सर गुवाहाटी की सड़कों पर नज़र आती है। गौरतलब है कि बीते कुछ सालों में असम में महिलाओं के खिलाफ होने वाले क्राइम में बढ़ोत्तरी दर्ज़ की गई है और वीरांगना कमांडो के ऊपर इसे ही संभालने का जिम्मा है।
बेहद कठिन है ट्रेनिंग
इस सभी महिला कमांडो की ट्रेनिंग गुवाहाटी के पहाड़ी इलाकों में होती है। ट्रेनिंग कर रही ये सभी महिला कमांडो सुबह 4 बजे उठ जाती हैं और अपनी ट्रेनिंग शुरू कर देती हैं। ट्रेनिंग के दौरान इन सभी महिला कमांडो को अपनी ब्लैक ड्रेस अर्जित करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।
वीरांगना बटालियन में हर साल सिर्फ 50 नई महिला कमांडो की भर्ती की जाती है जिन्हे फिर कड़े ट्रेनिंग दौर से गुजरना होता है, इस दौरान ये महिला कमांडो कठिन परिस्थितियों में हथियारों का इस्तेमाल करना भी सीखती हैं, इसी के साथ इन्हे दंगे कंट्रोल करने के लिए भी पूरी तरह प्रशिक्षित किया जाता है। गौरतलब है कि वीरांगना कमांडो को मिलने वाली ट्रेनिंग शारीरिक और मानसिक रूप से काफी थका देने वाली होती है।
हर परिस्थिति के लिए तैयार
इस बेहद कठिन और थका देने वाली स्पेशल ट्रेनिंग के बाद वीरांगना कमांडो सड़कों पर उतर कर अपनी ड्यूटी शुरू कर देती हैं। वीरांगना कमांडो महिलाओं और लड़कियों के साथ होने वाली छेड़छाड़ या बुरे बर्ताव की शिकायत मिलने पर फौरन प्रतिक्रिया देती हैं।
यह वीरांगना कमांडो की लगातार मेहनत और समर्पण का ही नतीजा है कि सड़कों पर निकलते समय आज लोग उन्हे बेहद सम्मान और सुरक्षा को लेकर आश्वस्त होते हुए उम्मीद भरी नज़रों से देखे हैं। गुवाहाटी की सड़कों पर वीरांगना कमांडो के लगातार प्रयासों के चलते अब क्राइम में एक बड़ी कमी देखने को मिली है। जरूरत के समय समय महिलाएं सीधे वीरांगना कमांडो से संपर्क कर सकें इसके लिए एक व्यापक सिस्टम तैयार किया जा रहा है।