ऑटो सेक्टर में सुस्ती के बीच रफ्तार भर रही है 28 करोड़ टर्नओवर वाली दिल्ली की ये ऑटो एसेसरीज कंपनी
अमेरिकी लेखक रॉबर्ट कोलियर का एक प्रसिद्ध कोट है कि परिस्थितियां जितनी विपरीत होती हैं, उसमें आगे बढ़ने के भी उतने ही मौके छिपे होते हैं।
कोलियर के इन्हीं शब्दों को नई दिल्ली से चलने वाली एक ऑटो एसेससरीज मैन्युफैक्चरिंग कंपनी 'ऑटोफर्निश' चरितार्थ करने में जुटी है।
पुनीत अरोड़ा, रूपल वाधवा और चकित खट्टर ने मिलकर 2012 में ऑटोफर्निश को शुरू किया था। यह कंपनी ऑटो एक्सेसरीज की मैन्युफैक्चरिंग और ईकॉमर्स बिजनेस में है। देश के ऑटो सेक्टर में मंदी के बावजूद कंपनी के ऑटो एसेसरीज की मांग में बढ़ोतरी देखी जा रही है और इसे हर रोज अपने उत्पादों के लिए करीब 2,000 ऑर्डर मिल रहे हैं।
ऑटो सेक्टर ने 2019 में बीते दो दशकों की अपनी सबसे खराब बिक्री दर्ज की है। हालांकि इसके बावजूद ऑटोफर्निश इस सुस्त होती इंडस्ट्री का भरपूर फायदा उठा रही है।
लेकिन कैसे? इसका उत्तर बेहद आसान है। दरअसल ऑटोफर्निश का पूरा फोकस प्री-ओन्ड व्हीकल (जिन गाड़ियों को कस्टमर पहले ही खरीद चुके हैं) सेगमेंट पर है।
इस कंपनी का दिल्ली के मालवीय नगर में एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट है और इसका दावा है कि कंपनी का 28 करोड़ रुपये का टर्नओवर है।
सुस्ती का असर नहीं
देश के ऑटो सेक्टर में सुस्ती के चलते 2018 और 2019 के बीच सभी श्रेणियों के वाहनों की कुल बिक्री में 13.77 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। हालांकि इसमें प्री-ओन्ड सेगमेंट के बिक्री शामिल नहीं है। प्री-ओन्ड गाड़ियों के मार्केट पर ऑटो सेक्टर की मंदी का असर नहीं पड़ा है।
असल में प्री-ओन्ड वाले कार मार्केट में औपचारिकता और कंसॉलिडेशन के बढ़ते स्तर के चलते पिछले कुछ वर्षों में इस सेगमेंट में काफी वृद्धि हुई है।
ऑटोफर्निश के फाउंडर और सीईओ पुनीत अरोड़ा ने बताया,
"मौजूदा मंदी आश्चर्यजनक रूप से ऑटो एसेसरीज सेक्टर पर किसी भी तरह का प्रभाव नहीं डालती है। इसका पूरा श्रेय सेकेंड-हैंड कार बाजार के ग्रोथ को जाता है।"
वह कहते हैं:
"व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखें तो नई कारों की घटती बिक्री और कार एसेसरीज बाजार की वृद्धि के पीछे के अहम कारकों में से एक प्री-ओन्ड कार मार्केट भी है।"
ऑटोफर्निश उन ग्राहकों पर फोकस करती है जो पैसा बचाने के लिए प्री-ओन्ड यानी सेकेंड-हैंड कारों को खरीदना चाहते हैं और फिर एसेसरीज खरीदकर उस कार को नया रूप देना चाहते हैं।
39 वर्षीय पुनीत कहते हैं,
“भारत में कार एसेसरीज का बाजार पिछले कुछ वर्षों में काफी तेजी से बढ़ा है। कार एसेसरीज मार्केट में बहुत सारे इनोवेशन हो रहे हैं। सेकेंड हैंड कार खरीदारों की मांगों को पूरा करने और उन्हें सभी प्रीमियम फीचर्स देने के लिए ऑटो एक्सेसरीज़ निर्माता नई कारों की विशेषताओं से मिलान करने के लिए नई तकनीक और इनोवेशन लाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।”
वह कहते हैं कि यही कारण है कि ऑटो एसेसरीज बाजार लगातार तेजी से आगे बढ़ रहा है और इसमें मंदी के संकेत नहीं दिख रहे हैं।
कैसे ये आइडिया आया
आईटी की पढ़ाई करने वाले पुनीत जब IIM बैंगलोर में थे, उसी समय वह अपना खुद का बिजनेस शुरू करने के लिए प्रेरित हुए थे। 2012 में उनकी मुलाकात रूपल से हुई, जिनका परिवार ऑटो एसेसरीज के बिजनेस में था।
पुनीत और रूपल ने महसूस किया कि देश का ऑटो एसेसरीज बाजार काफी असंगठित है और इस मार्केट में बड़े और स्थापित ब्रांड नहीं हैं।
पुनीत कहते हैं,
"एक ब्रांड बनाने की संभावना थी ताकि ग्राहक अपने वाहनों के लिए एक ब्रांडेड उत्पाद खरीद सकें। हमने टीयर II और टीयर III शहरों में छोटे और ऑफलाइन कार एसेसरीज मार्केट देखे, जिनमें उत्पादों या ब्रांडों की अच्छी रेंज नहीं थी। इसने हमारे लिए एक अवसर दिया।"
इसके बाद इन दोनों ने इस मौके को भुनाने पर काम करना शुरू किया। पुनीत को लगा कि ऑटो एसेसरीज का ऑनलाइन डिजिटल मार्केटिंग सबसे सरल और सफल चैनल होगा। हालांकि उनके इस आइडिया आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। जब दोनों संस्थापकों ने अपने दोस्तों, परिवारों और स्थानीय ऑटो एसेसरीज डीलरों को यह विचार भेजा, तो उन्होंने पाया कि बहुत से लोगों ने ऑटो एसेसरीज ऑनलाइन खरीदने के आइडिया को स्वीकार नहीं किया।
हालांकि यह संस्थापकों को रोक नहीं पाया। उन्होंने इसे उन बाजारों पर कब्जा करने के अवसर के रूप में देखा जो तेजी से डिजिटल हो रहे थे। उन्होंने बताया,
"यह बाजार की मानसिकता थी जिसे हम बदलना चाहते थे। ऑनलाइन चैनलों के माध्यम से टियर II और टियर III शहरों में ऑटो एसेसरीज की रिटेल बिक्री में हमें काफी संभावनाएं दिखीं।"
उसी वर्ष पुनीत और रूपल ने ऑटो एसेसरीज बिक्री के लिए ईकॉमर्स पोर्टल बनाने का फैसला किया और इसके लिए अपने स्वयं के पैसे का निवेश कर ऑटोफर्निश की शुरुआत की। उन्होंने विभिन्न ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर उत्पादों को सूचीबद्ध किया।
उन्होंने बताया,
"हमने एक स्व-वित्त पोषित कंपनी के रूप में शुरुआत करने और कमाई और पुनर्निवेश के माध्यम से बढ़ने का फैसला किया। यह हमारे तकनीकी और कार्यात्मक ज्ञान का एक मिश्रण था और हमने 2014 तक हमारे पोर्टल से ठीठ-ठाक बिक्री होने लगी।"
चकित इन दोनों से बाद में जुड़े और 2015 में तीनों संस्थापकों ने उच्च गुणवत्ता वाले ऑटो सामान की बढ़ती मांग को पूरा करने के उद्देश्य से उत्पादों का निर्माण शुरू करने का फैसला किया। हालंकि वे ऐसा तभी कर सकते थे जब उनका मैन्युफैक्चरिंग पर कंट्रोल हो।
इसकी शुरुआत के लिए इन्होंने मालवीय नगर में एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट खोली और कवर, फुट मैट, पॉलिश, डस्टर, राइडिंग गियर, बाइक सूट, फेस मास्क आदि बनाना शुरू किया। कंपनी का दावा है कि यह 250 से अधिक प्रकार के कार एसेसरीज और 100 से अधिक प्रकार के बाइक एसेसरीज का निर्माण करती है।
ऑनलाइन बिक्री पर फोकस
पुनीत का लक्ष्य कार और बाइक एसेसरीज खरीदने की प्रक्रिया को आसान बनाना था। अपनी वेबसाइट के अलावा ऑटोफर्निश के नए उत्पादों को एमेजॉन इंडिया, फ्लिपकार्ट और अन्य ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर सूचीबद्ध किया गया है।
उन्होंने बताया,
"बॉयर्स के लिए आफ्टरमार्केट एसेसरीज की दुकानों पर जाना और कई दुकानों पर जाना काफी चुनौतीपूर्ण और थकाऊ काम था। मने उन्हें कुछ ही क्लिक के भीतर बाहरी, आंतरिक, कार केयर और स्टाइल एसेसरीज की पूरी रेंज को खरीदना आसान बना दिया।"
आज ऑटोफर्निश एक मैन्युफैक्चरिंग कंपनी के साथ-साथ एक ईकॉमर्स कंपनी भी है और इसने इसे सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचने में आसानी हुई है।
मैन्युफैक्चरिंग के बाद ऑटोफर्निश अपने उत्पादों को ऑनलाइन सूचीबद्ध करती है। यह प्रक्रिया बिचौलियों या बिचौलियों की आवश्यकता को समाप्त करती है। यह व्यवसाय को थोक दरों पर बेचने और अपने ग्राहकों को एक महत्वपूर्ण लागत लाभ देने की अनुमति देता है।
पुनीत कहते हैं,
"इस M2C (मैन्युफैक्चरिंग-टू-कंज्यूमर) मॉडल के जरिए हम सुनिश्चित कर सकते हैं कि हमारे उत्पाद न केवल उच्च गुणवत्ता वाले और टिकाऊ हों, बल्कि ग्राहकों की जेब पर भी अधिक असर न डालें।"
उन्होंने बताया कि ऑनलाइन चैनल के जरिए उन्हें रोजाना 1,800 से 2,000 ऑडर्र मिलते हैं।
बड़ी मात्रा या ऑर्डर्स के साथ काम करना आसान नहीं है। ऑटोफर्निश ने मांग को पूरा करने के लिए आपूर्ति प्रबंधन में चुनौतियों का सामना किया। इसे दूर करने के लिए कंपनी ने इनवेंट्री प्रबंधन में मदद के लिए एक ई-कॉमर्स-केंद्रित ईआरपी (एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग) प्रणाली विकसित की।
प्रोपराइटरी और कॉपीराइट सॉफ्टवेयर अब ऑटोफर्निश को कंट्रोल करने और ऑर्डर के विभिन्न चरणों की निगरानी करने में मदद करता है। इसमें कच्चे माल की खरीद, विनिर्माण और उत्पाद सूचीकरण से लेकर भुगतानों के भंडारण तक शामिल है।
पुनीत का दावा है कि ऑटोफर्निश को देश के ऑटो एसेसरीज सेगमेंट में सबसे परले एंट्री करने का लाभ मिलता है। वह पूरे एशिया में ऑटो एक्सेसरीज़ के लिए एक घरेलू नाम बनना चाहते हैं और उनका कहना है कि फिलहाल इस क्षेत्र में कोई दूसरी कंपनी उनके मुकाबले में नहीं है।
उन्होंने बताया,
"हमारा लक्ष्य ऑटोफर्निश के ऑनलाइन और ऑफलाइन मौजूदगी को उसकी वर्तमान सीमाओं से आगे बढ़ाने की योजना है। हम 2022 तक दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम एशियाई देशों में ऑफ़लाइन वितरण चैनल बनाने और बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, यूएई और सऊदी अरब जैसे प्रमुख ऑटोमोबाइल बाजारों को कवर करने की योजना पर काम कर रहे हैं।"