पानी के स्टार्टअप पर एवी ऑर्गेनिक्स ने किया 10 लाख डॉलर का निवेश
हमारे देश में बोतल बंद पानी का व्यापार हर साल 18 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। कई बड़े स्टार्टअप करोड़ो का निवेश कर चुके हैं। स्टार्टअप कंपनी एवी ऑर्गेनिक्स ने ‘इवोकस’ के विनिर्माण पर वडोदरा में 10 लाख डॉलर का निवेश किया है। इसी तरह अमेरिकी स्टार्टअप कंपनी जीरो मास वाटर ने 155.9 करोड़ का निवेश किया है।
पानी और पैसा, हमारी पहली प्राथमिकता बन चुके हैं। भारत में बोतल बंद पानी का व्यापार हर साल 15 से 18 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। आरओ या मिनरल वाटर कारोबार में आज बड़ी से बड़ी कंपनियां दौड़ लगा रही हैं। मार्केट में एक रुपए के पाउच से लेकर 20 लीटर की बोतल तक धड़ल्ले से बिक रही हैं। इसमें सबसे बड़ी भागेदारी एक लीटर वाली पानी की बोतल की है।
घरेलू स्टार्टअप ए. वी. ऑर्गेनिक्स ने अपने खनिज पेयजल ब्रांड ‘इवोकस’ के विनिर्माण के लिए गुजरात के वडोदरा में 10 लाख डॉलर का निवेश कर 50 हजार वर्गफुट क्षेत्र में बड़ा संयंत्र लगाया है, जिसकी सालाना उत्पादन क्षमता चार करोड़ बोतलों की है। कंपनी का दावा है कि यह काले रंग का पेयजल बड़ी संख्या में पाचन एवं स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभदायक खनिज पदार्थों से युक्त है। कंपनी ने पुणे, चंडीगढ़ और वड़ोदरा में शुरुआत के बाद अब ‘इवोकस’ को दिल्ली-एनसीआर में पेश किया है।
स्टार्टअप कंपनी एवी ऑर्गेनिक्स के संस्थापक और प्रबंध निदेशक आकाश वघेला ने दावा किया है कि उनके ऑर्गेनिक पानी का ऑनलाइन और ऑफलाइन बाजार उत्साहजनक है। अगले पांच महीनों में कंपनी की योजना इसे बेंगलुरु, हैदराबाद, जयपुर, मुंबई, चेन्नई, इन्दौर, अहमदाबाद और सूरत में ले जाने की है।
एवी ऑर्गेनिक्स ने देश के पहले प्राकृतिक ब्लैक एल्केलाइन वॉटर ‘इवोकस’ को हाल ही में दिल्ली-एनसीआर में लॉन्च किया है। हाइड्रेशन और डिटॉक्सीफिकेशन के लिए यह पानी बेहद उपयोगी है। अमेरिका के टेक्सास के वैज्ञानिक डॉ नॉबर्ट चिराजे ने इस ब्लैक वॉटर को तैयार किया था। इवोकस का फॉर्मूला हाइड्रेशन, डिटॉक्सीफिकेशन और मेटाबोलिज्म को बढ़ाने वाला है, जो युवा उपभोक्ताओं के लिए जरूरी एवं फायदेमंद है।
स्टार्टअप कंपनी एवी ऑर्गेनिक्स के बोतलबंद पानी की यह नई श्रेणी खासतौर पर 21वीं सदी के भारतीय उपभोक्ताओं के लिए पेश की गई है, जो उपभोक्ताओं की सेहत को ध्यान में रखते हुए उन्हें बेहतर हाइड्रेशन प्रदान करेगी। नदी के शुद्ध पेयजल में 70 प्राकृतिक ट्रेस मिनरल्स को मिलाकर ब्लैक पेयजल बनाया जा रहा है। वड़ोदरा में एक करोड़ डॉलर के निवेश से स्वचालित मैनुफैक्चरिंग एवं बॉटलिंग प्लांट तथा शोध एवं विकास केन्द्र बनाए गए हैं। इवोकस वाटर 500 एमएल की 6 और 24 बोतलों के पैक में उपलब्ध है। एक बोतल की कीमत 100 रुपए रखी गई है।
बाजार के रुख को देखते हुए पानी को लेकर, भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में तरह-तरह के साइंटिफिक प्रयोग चल रहे हैं। एरिजोना (अमेरिका) के साइंटिस्ट कोडी फ्रिसन ने एक ऐसी वाटर टेक्नोलॉजी ईजाद की है, जिससे अब छत पर सोलर पैनल से बिजली बनाने की तरह मिनरल वाटर तैयार किया जा रहा है। उनके स्टार्टअप जीरो मास वाटर ने इसकी बिक्री भी शुरू कर दी है। जीरो मास में इन्वेस्टर्स के 155.9 करोड़ रुपए लगे हैं। घरेलू स्तर पर इस वाटर मेकिंग सिस्टम की लागत 2.92 लाख रुपए है।
फ्रिसन केवल अपने घर की छत पर ही नहीं बल्कि अमेरिका के कई इलाकों समेत 8 अन्य देशों में भी इस वाटर मेकिंग सिस्टम को इन्स्टॉल कर चुके हैं। फ्रिसन का मानना है कि जल्द ही इस सिस्टम से घरों, स्कूलों और कॉरपोरेट बिल्डिंग्स में साफ, गुणवत्तापूर्ण पीने का पानी मुहैया हो सकेगा। इससे न केवल शहरों में बल्कि गांवों, सूखाग्रस्त क्षेत्रों आदि में भी पानी उपलब्ध हो सकेगा।