यह कौनसा अवार्ड है जिसे पाने के लिए मेहनत कर रहे हैं आपके जिला कलेक्टर?
UPSC की परीक्षा क्रैक करके आईएएस बनना ऐसी उपलब्धि है जो भारत में किसी के प्रतिभाशाली होने का प्रमाण मानी जाती है. उसके साथ ताक़त और रुतबे की बात भी हमेशा से जोड़ कर देखी जाती है. आम सोच कुछ ऐसी है कि एक बार आईएएस बन गये तो फिर आपको कुछ भी साबित करने की ज़रूरत नहीं. कोई आपका मूल्यांकन नहीं करता, आप ही सबसे काम करवाते हो.
लेकिन सचाई ऐसी नहीं है. आईएएस अफ़सरों का उनके काम के आधार पर लगातार मूल्यांकन होता है और काम में नयी सोच और उत्कृष्टता के लिए उनको एक बेहद ख़ास अवार्ड भी दिया जाता है.
हर साल सिविल सर्विस डे के मौके पर लोक-प्रशासन में उत्कृष्ट योगदान देने वाले अफ़सर को Prime Minister Awards for Excellence in Public Administration दिया जाता है. है। मूल रूप से, यह पुरस्कार केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा किए गए अभिनव कार्यों को सम्मानित करता है।
2006 में हुई थी शुरुआत, 2014 में बदले नियम
इस योजना की शुरुआत भारत सरकार द्वारा साल 2006 में की गयी थी. पहले यह अवार्ड जिला कलेक्टर या व्यक्तिगत सिविल सेवक के बजाय जिले के प्रदर्शन पर आधारित होता था.
2014 में इस पुरस्कार की चयन प्रक्रिया में कई बदलाव किये गए. 2020 में इसे फिर से पुनर्गठित करते हुए उस साल से ‘जिले के आर्थिक विकास की दिशा में’ जिला कलेक्टरों के प्रदर्शन को मान्यता देने को मापदंड बनाया गया. 2021 में इस पुरस्कार को कंस्ट्रक्टिव कम्पटीशन, इनोवेशन, रेप्लिकेशन और बेस्ट प्रैक्टिसेज को संस्थागत करने की दिशा में सोचा गया. मतलब आउटपुट और परिणामो को प्राथमिकता दी जायेगी.
इस पुरस्कार के लिए सिविल सेवकों के योगदान का मूल्यांकन पाँच मापदंडो पर किया जाता है.
‘जन भागीदारी' या ‘पोषण अभियान’ में लोगों की भागीदारी को बढ़ावा देना
पहला मानदंड पोषण अभियान में जन भागीदारी को बढ़ाना है, जिसका लक्ष्य बच्चों, किशोरों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करना है. योजना में कहा गया है कि बेहतर प्रदर्शन करने वाले जिलों को कम वजन वाले बच्चों और बच्चों और किशोरियों में एनीमिया के प्रतिशत में कमी के जरिए मापा जाएगा.
खेलो इंडिया योजना के माध्यम से खेल और स्वास्थ्य में उत्कृष्टता को बढ़ावा देना
अगर जिलों ने खेलों के विकास के लिए खेलो इंडिया योजना का भरपूर लाभ उठाया है और अगर योजना फिजिकल फिटनेस, नई खेल प्रतिभाओं की पहचान करने और बड़े मंच पर बेहतर प्रदर्शन करने के लिए सभी जरूरी मदद मुहैया कराने के लिए जमीनी स्तर पर पहुंची है, तो उनका मूल्यांकन भी इसी तरह किया जाएगा.
पीएम स्वनिधि योजना में डिजिटल भुगतान और सुशासन
जिलों में जिस तीसरी योजना का मूल्यांकन किया जाना है, उसके तहत पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) योजना के तहत कैशबैक योजना के जरिए लाभार्थी वेंडर्स में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना है. इस योजना का उद्देश्य बगैर बैंकिंग वाले स्ट्रीट वेंडर्स को औपचारिक बैंकिंग चैनल्स में लाना है, ताकि वे शहरी अर्थव्यवस्था में शामिल हो सकें.
एक जिला एक उत्पाद योजना के माध्यम से समग्र विकास
समग्र आर्थिक विकास के अंतर्गत किसी भी जिले में बनने वाले या उत्पादित होने वाले ख़ास चीज़ को पहचान कर उसे बढ़ावा देना है. बढ़ावा देने के क्रम में उसे पहचानने से लेकर, प्रोसेस करने, उसके वेस्ट को कम करना, स्टोरेज, ब्रांडिंग और मार्केटिंग तक की प्रकिया को सक्षम बनाना है.
मानव हस्तक्षेप के बिना सेवाओं की निर्बाध, एंड-टू-एंड डिलीवरी
Seamless End to End Delivery of Service without Human Intervention’ या बगैर मानवीय मदद के सेवाओं की डिलीवरी का भी पीएम अवॉर्ड्स के लिए मूल्यांकन किया जाएगा. इस पुरस्कार के तहत सेवाओं की डिलीवरी, तैनात की गई तकनीक, इसे लेकर किए गए इनोवेशन, नागरिकों की संतुष्टि, बेरोक टोक प्रक्रिया, मानवीय मदद के स्तर आदि का मूल्यांकन किया जाएगा.
लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कारों की कुल संख्या 18 है. सभी जिला कलेक्टरों के लिए पुरस्कार के लिए आवेदन करना अनिवार्य है.
2022 में पीएम एक्सीलेंस अवॉर्ड की पुरस्कार राशि को दोगुना कर दिया गया है. अब यह 20 लाख रुपये है. इस पुरस्कार राशि का उपयोग संसाधन अंतराल को पाटने और परियोजनाओं को लागू करने के लिए किया जाएगा। परियोजनाओं/कार्यक्रमों के कार्यान्वय या लोक कल्याण वाले किसी क्षेत्र में संसाधनों की कमियों को पूरा करने के लिए किया जाएगा.
आप अपने कलक्टर साहेब के काम पर नज़र रखिये और देखिये वो इन पाँच मापडंडों पर कैसा प्रदर्शन कर रहे हैं. आप अपनी राय हम तक पहुँचा भी सकते हैं.