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एग्री बिजनेस और वॉटर प्लांट लगा गांव में ही लाखों रूपये महीना कमा रहे ये युवा

एग्री बिजनेस और वॉटर प्लांट लगा गांव में ही लाखों रूपये महीना कमा रहे ये युवा

Monday March 12, 2018 , 6 min Read

नालंदा के डॉक्टर चंद्रकांत कुमार निराला हों या रतलाम के आनंद गर्ग, उच्च शिक्षा लेने के बाद जॉब को ठोकर मार गांव की मिट्टी से हर महीने कमा रहे हैं लाखों...

आनंद गर्ग और चंद्रकांत

आनंद गर्ग और चंद्रकांत


आज कोई भी सुक्षित युवा अपना व्यापार या व्यवसाय स्थापित करना चाहे, सफल उद्यमी बनना चाहे तो उसे खुद को ब्रांड के रूप में स्थापित करना होगा। इसके लिए ग्राहकों से बेहतर संबंध बनाने होंगे। सफलता पहला पायदान है समय के सही अनुपालन, श्रम के साथ कुशल प्रबंधन।

जब किसी के जीवन में जुनून पैदा हो जाए और वह सिर्फ काम का जुनून हो, फिर तो उसे लाखों में एक होने से कोई रोक नहीं सकता है। ऐसे में उसका करियर ही उसकी जिंदगी का जुनून और मकसद बन जाता है, और तब करियर उसमें जिस तरह के आनंद का जुनून पैदा करता है, वह हर किसी को आसानी से मुमकिन नहीं हो पाता है। एम. टेक कर चुके रतलाम (मध्य प्रदेश) के आनंद गर्ग सत्रह लाख की नौकरी छोड़कर अपनी ऐसी मजबूत हैसियत बना चुके हैं कि स्वयं तो लाखों रुपए कमा ही रहे हैं, अपने हुनर और मेहनत के बूते अपने यहां काम करने वालों को भी एक लाख तक सैलरी दे रहे हैं।

आनंद कोई ऐसे अकेले उद्यमी नहीं हैं। आज के जमाने में कोई आईटी, पीएचडी करके भी चपरासी की नौकरी के लिए दर दर भटक रहा है तो कोई हवा-पानी बेचकर करोड़ो रुपए कमा रहा है। लाखों का जॉब ठुकरा चुके आनंद के प्लांट से पानी की बोतलें नियामत बन गईं तो दो ऐसे सफल दोस्त हैं, जो स्वच्छ हवा बेचकर हर साल डेढ़ करोड़ रुपए कमा रहे हैं। मोसेज लैम औऱ ट्रोय पाक्वेट भी नौकरी करते-करते ऊब चुके थे। हंसी-मजाक में एक दिन उनके मन में हवा बेचने का कांसेप्ट घर कर बैठा। वर्ष 2015 में दोनो दोस्तों ने विटैलिटी एयर कंपनी खोल ली और ऑनलाइन सेलिंग वेबसाइट के माध्यम से पूरी दुनिया में फ्रेश एयर बेचने लगे।

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नौकरी की ऊब तो एक बहाना थी, उनके दिमाग में यह आइडिया बढ़ते प्रदूषण से दिमाग में आया। उन्होंने सोचा की पानी का तो अच्छा खासा बाजार बन ही चुका है, ढेर सारे लोग बेंच रहे हैं, बिगड़ते पर्यावरण से अब स्वच्छ हवा भी लोगों की जरूरी जरूरतों में शामिल हो चुकी है, तो क्यों न उसे ही हम बेंचें। अब वह स्वच्छ हवा के बड़े कारोबारी बन गए हैं और लाखों रुपए हर महीने कमा रहे हैं। जब 2015 में बीजिंग में वायु प्रदूषण ज्यादा बढ़ जाने पर सरकार ने चेतावनी जारी कर दी तो उनके प्रोडक्ट की डिमांड अचानक उछल गई। उनकी कंपनी भारत में प्रति कनस्तर फ्रेश एयर बारह सौ रुपए में बेच रही है। उनकी एक लीटर स्वच्छ हवा लगभग डेढ़ सौ रुपए में बिक रही है। वह कनाडा से आगे अब ऑस्ट्रेलिया और स्विटजरलैंड में भी फ्रेश एयर बेच रहे हैं।

स्टार्टअप के लिए इन दिनों सरकारें युवाओं को उद्यमी बनाने के लिए लगातार प्रोत्साहित कर रही हैं। ऋण देने से लेकर हर तरह की मदद कर रही हैं। रतलाम (म.प्र.) के जिला जावरा के आनंद दिल्ली की एक कंपनी में 17 हजार रुपए के पैकेज पर फायनेंस एक्जीक्यूटिव की नौकरी कर रहे थे। उन्हें लगा कि योग्यता के अनुकूल उन्हें नौकरी से कमाई नहीं हो पा रही है। तभी उनकी नजर मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना पर पड़ी। उन्होंने ठान लिया कि अब वह खुद का ऐसा उद्योग खड़ा करेंगे, जहां दूसरों को नौकरी देने लायक बन सकें। मार्च 2016 में उनका जुनून रंग लाया।

उन्होंने नौकरी ठुकरा दी और मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना में अपना आरओ वाटर प्लांट मंजूर करा लिया। सरकार ने उन्हें प्रोजेक्ट लगाने के लिए पंद्रह फीसदी अनुदान के साथ एक करोड़ का ऋण दे दिया। हाइवे से सटे उनके गृह ग्राम के निकट घर की जमीन पर स्थित उनका प्लांट पिछले साल से प्रोडक्ट देने लगा है। रोजाना एक लाख लीटर पानी की क्षमता वाले इस प्लांट की 'फ्यूचर चाईस क्रोड' नाम से ढाई सौ और पांच सौ, दो तरह की बोतलें इंदौर, जोधपुर, औरंगाबाद, दाहोद, गोधरा तक होलसेलरों के माध्यम से सप्लाई हो रही हैं। प्लांट को तीन ऑपरेटर और लगभग एक दर्जन श्रमिक संभाल रहे हैं, जिन पर हर महीने एक लाख रुपए का वैतनिक खर्च है।

इसी तरह के सफल युवा उद्यमी हैं नालंदा (बिहार) के वेटरनेरी डॉक्टर हैं चंद्रकांत कुमार निराला, जो रांची से वेटरनेरी की डिग्री लेकर कहीं नौकरी की ताक में भटकने की बजाए एग्री क्लिनिक एग्री बिजनेस सेंटर में दो महीने का कोर्स पूरा कर किसानों की किस्मत बदलने में जुट गए हैं और सालाना 15 लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं। वह गांव-गांव जाकर लोगों को खेती-बाड़ी, डक फार्मिंग, मछली पालन, बकरी पालन आदि के उद्यम सिखा रहे हैं। अब एग्रीकल्चर में करियर सिर्फ खेती-बाड़ी तक ही सीमित नहीं रह गया है। एग्रीकल्चर सेक्टर के बदले माहौल का परिणाम है कि अन्य सेक्टरों की ही तरह एग्रीकल्चर सेक्टर भी युवाओं को काफी आकर्षित कर रहा है। किसानों की आमदनी बढ़ाने और एग्रीकल्चर को एक करियर के रूप में बनाने के लिए सरकार कई तरह के कोर्स भी करा रही है।

आज कोई भी सुक्षित युवा अपना व्यापार या व्यवसाय स्थापित करना चाहे, सफल उद्यमी बनना चाहे तो उसे खुद को ब्रांड के रूप में स्थापित करना होगा। इसके लिए ग्राहकों से बेहतर संबंध बनाने होंगे। सफलता पहला पायदान है समय के सही अनुपालन, श्रम के साथ कुशल प्रबंधन। स्टार्टअप में ऐसे तमाम युवा नौकरियां छोड़कर सिर्फ सेलरी से कई गुना अधिक प्रॉफिट ही नहीं कमा रहे, भावी उद्यमी संगठनों का निर्माण भी कर रहे हैं। उद्यमिता की जिम्मेदारियां अपने कंधे पर लेकर देश के विकास में भी भारी योगदान कर रहे हैं। उद्यमी बनना काफी कठिन है। उद्यमिता की राह में भी कई तरह के उतार-चढ़ाव हैं। बढ़ती जनसंख्या के कारण कृषि में ग्रामीण युवाओं को वर्षभर काम नहीं मिल पाता, जिसके कारण उन्हें बेरोजगारी की समस्या का सामना करना पड़ता है।

गांव स्तर पर रोजगार की अनुपलब्धता की वजह से ग्रामीण युवा प्राय: आस-पास के शहरों में रोजगार की तलाश में चले जाते हैं। सभी को नौकरी मिलना असंभव है। इन विषम परिस्थितियों में एक ही रास्ता है जो सारी समस्याओं का निदान कर सकता है, वह है उद्यमिता विकास। आज जरूरत इस बात की है कि युवा वर्ग एक सफल उद्यमी बनने का सपना संजोएं और रोजगार के लिए दूसरों की ओर न देखें, बल्कि खुद दूसरों को रोजगार देने वाले बनें। इसके लिए युवाओं को तकनीकी क्षेत्र में आगे आकर दक्षता हासिल करना जरूरी है। इसमें फल-सब्जी परिरक्षण एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है।

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