आर्ट गैलरी नहीं सड़क पर देखिये अद्भुद कला का नमूना, हजारों कलाकारों को मिल रहा मंच और पैसा
बेंगलुरु में कुमार कृपा रोड पर हर साल पेंटिंग की एक प्रदर्शनी लगती है। इसमें कई राज्य के हजार से भी ज्यादा चित्रकार अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए आते हैं। यह आयोजन चित्रा सांते की मदद से ही संभव हो पाता है।
इस प्रदर्शनी में हर तरफ रंग ही रंग बिखरे होते हैं। यहां पर पेंटिंग्स, मूर्तिकला, भित्त चित्र, कार्टून, स्केच से लेकर बॉडी आर्ट के खूबसूरत नमूने आपको देखने को मिलेंगे। इस प्रदर्शनी में चार लाख से भी ज्यादा लोग शामिल होते हैं।
हमारे समाज में कलाकारों को इज्जत तो खूब मिलती है, उनकी तारीफ भी काफी की जाती है, लेकिन जब बात उनके पारिश्रमिक की आती है तो हर कोई चुप हो जाता है। वास्तव में कलाकारों को अपनी रोजी-रोटी चलाना भी कई बार मुश्किल हो जाता है। बेंगलुरु के चित्रा सांते ऐसी ही तमाम कलाकारों को प्लेटफॉर्म दिलाकर उन्हें नाम के साथ-साथ कुछ पैसे भी कमाने में मदद कर रहे हैं। बेंगलुरु में कुमार कृपा रोड पर हर साल पेंटिंग की एक प्रदर्शनी लगती है। इसमें कई राज्य के हजार से भी ज्यादा चित्रकार अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए आते हैं। यह आयोजन चित्रा सांते की मदद से ही संभव हो पाता है। इस प्रदर्शनी की भव्यता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह दो किलोमीटर की दूरी में फैली होती है।
इस प्रदर्शनी में हर तरफ रंग ही रंग बिखरे होते हैं। यहां पर पेंटिंग्स, मूर्तिकला, भित्त चित्र, कार्टून, स्केच से लेकर बॉडी आर्ट के खूबसूरत नमूने आपको देखने को मिलेंगे। इस प्रदर्शनी में चार लाख से भी ज्यादा लोग शामिल होते हैं। मुंबई, आंध्र प्रदेश, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों और शहरों से कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए आते हैं। पांच सालों से लगातार इस प्रदर्शनी का लुत्फ उठाने आने वाली सलोनी भाटिया कहती हैं, 'मुझे आर्ट कम्यूनिटी के लोगों से सीधे बात करने का मौका मिल जाता है। मुझे यहां का फेस्टिवल सरीखा माहौल काफी पसंद आता है। यह सब चित्रा की मदद से ही संभव हो पाता है।'
इस प्रदर्शनी का आयोजन कर्नाटक चित्रकला परिषत के सहयोग से किया जाता है। इस परिषत की स्थापना नांजुंदा श्री ने की थी। उन्हीं की याद में यह आयोजन होता है। चित्रा सांते यहां आने वाले कलाकारों के लिए चित्रा एक माध्यम बन गए हैं। इससे कलाकारों को न केवल अपनी कला का प्रदर्शन करने का मौका मिलता है बल्कि उन्हें अपने शिल्प को बेचने का सही मार्केटप्लेस मुहैया हो जाता है। बीते कई सालों से चित्रा ने इस आयोजन को काफी प्रसिद्धि दिलाई है। बेंगलुरु में रहने वाले लोग बड़ी बेसब्री से इस आयोजन का इंतजार करते हैं। इस प्रदर्शनी में लोगों की अच्छी-खासी भीड़ देखने को मिलती है।
इसके अलावा चित्रा कई सारे दूरदराज इलाकों में रहने वाले कलाकारों को मंच प्रदान करते हैं। ओडिशा के परंपरागत पट्टचित्रा कलाकार हों या तमिलनाडु के तंजौर पेंटिग्स बनाने वाले या फिर बिहार की मधुबनी पेंटिंग बनाने वाले कलाकार, इन सबको आज बेंगलुरु जैसे शहर में अपनी कला का प्रदर्शन करने का मौका मिल रहा है। इस मेले में आने वाले एक चित्रकार रघुनाथ एन. ने बताया, 'इस शहर के लोग काफी अच्छे हैं। हर साल मैं यहां आता हूं और लोग मेरी पेंटिंग्स को खूब सारा प्यार देकर जाते हैं। इस मेले से मुझे 50,000 रुपये के करीब मिल जाते हैं। हमें कर्नाटक चित्रकला परिषत की बाकी प्रदर्शनियों में भी जाने का मौका मिल जाता है।'
राजस्थान की राजधानी जयपुर से पहली बार यहां पधारने वाली कलाकार शिल्पा प्रजापत ने बताया, 'मैं यहां के लोगों की आर्ट में दिलचस्पी देखकर दंग रह गई। सच कहूं मुझे अंदाजा नहीं था कि लोग कला के इतने दीवाने हो सकते हैं। मुझे लोगों से काफी तारीफें मिलीं और मुझे पैसे भी मिले। हकीकत में कलाकारों की जिंदगी काफी मुश्किल होती है, लेकिन ऐसे आयोजन से हमें प्रोत्साहन मिलता है।' यहां पर 100 रुपये से लेकर लाखों रुपये की पेंटिंग्स बिकती हैं। यह सब चित्रा सांते की बदौलत ही हो पाता है। उन्हें इस काम के लिए सलाम तो मिलना ही चाहिए। कला को आर्ट गैलरी से उठाकर सड़क पर आम लोगों के बीच लाने का यह प्रयास सार्थक साबित होगा।
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